Jagganth Puri Secret: पुरी मंदिर जिसमें भगवान कृष्ण का सबसे बड़ा राज़ छिपा है!, देखें ये Video

Jagganth Puri Temple: बात उस मंदिर की जिसके बारे में मान्यता और आस्था है कि वहां भगवान कृष्ण का दिल, बिलकुल इंसानों के दिल की तरह धड़क रहा है।

Jagannath Puri Temple Secret:सनातन धर्म में सबसे बड़ी पौराणिक मान्यता ये है कि भगवान....सच्चे भक्त के हृदय में बसते हैं लेकिन आज मैं जिस धड़कते दिल की बात कर रहा हूं वो किसी इंसान का नहीं बल्कि स्वयं भगवान का दिल है। बहुत लोगों को विश्वास नहीं होगा लेकिन ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण का दिल आज भी सामान्य मनुष्य की तरह जगन्नाथ पुरी के मंदिर में रखी मूर्ति में धड़क रहा है।

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पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ...उनके बड़े भाई बलभद्र यानी बलराम और बहन सुभद्रा जी की मूर्तियां हैं, इन मूर्तियों से जुड़ी ये मान्यता है कि यहां भगवान कृष्ण का दिल मौजूद है, इसे ब्रह्म पदार्थ भी कहा जाता है ।

बहुत से लोगों के इस बात पर भरोसा नहीं हो रहा होगा, कुछ लोग इसे आस्था और मान्यता से जुड़ा विषय मान रहे होंगे लेकिन ये आस्था और मान्यता से ज़्यादा, उन लोगों की गवाही मायने रखती है जिन्होंने भगवान कृष्ण के धड़कते दिल को अपने हाथों से छूकर महसूस किया है और सबसे बड़ा सबूत तो ये है कि हर 12 साल में जब इन मूर्तियों को बदला जाता है तो पूरे शहर की लाइट बंद कर दी जाती है।

ये एक ऐसा रहस्य है जो पिछले 5 हजार साल से चला आ रहा है

भगवान के धड़कते दिल से जुड़ा ये एक ऐसा रहस्य है जो पिछले 5 हजार साल से चला आ रहा है, हो सकता है आप में से बहुत से लोग भगवान कृष्ण से जुड़े इस रहस्य के बारे में सुना या पढ़ा हों लेकिन देश के बहुत से युवाओं को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होगी कि जगन्नाथ पुरी के इस मंदिर में भगवान कृष्ण का दिल धड़क रहा है, आज तक कोई इंसान इस बात को ख़ारिज करने की ना तो हिम्मत कर पाया है और ना ही कोई सॉलिड प्रूफ दे पाया है।

ये तो हम सब जानते हैं कि द्वापर युग में भगवान विष्णु ने मनुष्य अवतार लेकर कृष्ण के रूप में जन्म लिया था

महाभारत युद्ध के 36 साल बाद अपना शरीर त्याग कर दिया था ।

ऐसी मान्यता है कि सोमनाथ में एक बहेलिये ने गलती से भगवान कृष्ण पर तीर चला दिया था जिसे उनकी मृत्यु हो गई

मृत्यु के बाद भगवान का अंतिम संस्कार किया गया

और शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया लेकिन भगवान का दिल अग्नि में नहीं जला और धड़कता रहा ।

बाद में इस दिल को सोमनाथ के समंदर प्रवाहित कर दिया

जल में प्रवाह‍ित श्रीकृष्‍ण के हृदय ने एक लट्ठे यानी लकड़ी के आकार का रूप ले ल‍िया और पानी में बहते-बहते उड़ीसा के समुद्र तट पर पहुंच गया।

तब श्रीकृष्‍ण ने ने उड़ीसा के राजा इंद्रद्युम्न को सपने में इस पूरी घटना के बारे में बताया, तब इस लट्ठे से भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहिन सुभद्रा जी की मूर्ति का निर्माण हुआ । मान्यता है कि ये इन मूर्ती में भगवान कृष्ण का दिल धड़क रहा है। इस दिल को ब्रह्म पदार्थ के नाम से भी जाना जाता है ।

इस दौरान पूरे मंदिर के अलावा पूरे जगन्नाथ पुरी शहर में लाइट काट दी जाती है

आज भी हर 12 साल में मंदिर की इन तीनों मूर्तियों को बदला जाता है, तब इस ब्रह्म पदार्थ को दूसरी नई मूर्ती में डाल दिया जाता है, ये काम मंदिर के जो पुजारी करते हैं वो अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर और हाथों में कपड़े के दस्ताने पहनकर इस काम को करते हैं। इस दौरान पूरे मंदिर के अलावा पूरे जगन्नाथ पुरी शहर में लाइट काट दी जाती है और शहर मे अंधेरा कर दिया जाता है।

जिन पुजारियों ने अब तक इस ब्रह्म पदार्थ को बदला है उन्हें उस समय हाथ में कुछ उछलती हुई चीज का आभास हुआ है, कई पुजारियों को ऐसा भी लगा है कि हाथ में कोई ख़रगोश जैसी आकृति उछल रही हो, हालांकि किसी भी पुजारी ने आजतक इस चीज को अपनी आंखों से नहीं देखा है क्योंकि इस पूरी प्रकिया ना देखने की मान्यता है।

मंदिर के शिखर पर किसी भी पक्षी को बैठा हुआ नहीं देखा गया

जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा एक फैक्ट ये भी है कि मंदिर के शिखर पर किसी भी पक्षी को बैठा हुआ नहीं देखा गया, आमतौर पर मंदिर और दूसरे धार्मिक स्थलों के आसपास पक्षी बैठते ही हैं लेकिन इस मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं बैठता है, ऐसा क्यों होता है इसका जवाब अबतक किसी के पास नहीं है । इसी मान्यता के तहत मंदिर को...No Fly Zone में रखा गया है यानी कोई भी विमान इस मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ सकता है।

मंदिर में ऐसे-ऐसे चमत्कार हैं जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं

इस मंदिर का दूसरा रहस्य ये भी है कि इस मंदिर में प्रवेश करते हुए जब सिंहद्वार के पास खड़े होते हैं तो समंदर की लहरों की तेज़ आवाज़ सुनाई देती है लेकिन जैसे ही सिंहद्वार को पार करके मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं तो लहरों की आवाज़ सुनाई नहीं देती, ये कोई वास्तु या शिल्पकारी से जुड़ा विषय हो सकता है लेकिन अभी तक कोई इसका पुख़्ता प्रमाण भी नहीं दे पाया है। भगवान जगन्नाथ के मंदिर में ऐसे-ऐसे चमत्कार हैं जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है।

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