Shiva Temple in Chandigarh: चंडीगढ़ के इस शिव मंदिर में रोजाना कुएं के जल से होता है अभिषेक, जुड़ी हैं ये मान्‍यताएं

Shiva Temple in Chandigarh: चंडीगढ़ के सेक्‍टर-24 में स्थित शिवालय खेमपुरी में महाशिवरात्रि पर भक्‍तों का सैलाब उमड़ता है।यहां मौजूद शिवलिंग एक स्वयंभू शिवलिंग है। यह कुआं की खुदाई के दौरान प्रकट हुआ था। यहां पर जलाभिषेक कुआं के जल से किया जाता है। इस मंदिर की मान्‍यता कई राज्‍यों में फैली है।

Shiva Temple in Chandigarh

चंडीगढ़ शिवालय खेमपुरी

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • कुआं खुदाई के दौरान प्रकट हुआ था शिवलिंग
  • शिवलिंग पर कुआं से निकले जल से होता है अभिषेक
  • महाशिवरात्रि पर यहां उमड़ती है भक्‍तों की भारी भीड़

Shiva Temple in Chandigarh: ब्‍यूटीफुल शहर चंडीगढ़ जिना अपने प्राकृतिक खूबसूरती और हरियाली के कारण प्रसिद्ध है। उतना ही अपने प्राचीन मंदिरों के कारण भी इस शहर का नामकरण ही प्रसिद्ध चंडी माता मंदिर के नाम पर हुआ है। यहां कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं, जो इस शहर से भी सैकड़ों साल पुराने हैं। इनमें से ही एक सेक्टर-24 के प्राचीन शिव मंदिर (शिवालय खेमपुरी) भी है। इस शिवालय में महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए भक्‍तों का सैलाब उमड़ता है। इस मंदिर की मान्‍यता दूर-दूर तक फैली है। यहां मौजूद एक प्राचीन कुआं इस मंदिर को और भी खास बनाता है। इस कुआं से निकलने वाले जल से ही शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है।

खेमपुरी का मंदिर प्राचीन और शिवलिंग स्वयंभू हैं। यहां पर कभी कैलड़ गांव हुआ करता था। चंडीगढ़ बसने के बाद यह गांव शहर बन गया, लेकिन मंदिर वैसा का वैसा ही रहा। शिवालय खेमपुरी के प्रबंधक गोबिंद हरि ने बताया कि मंदिर के साथ यहां मौजूद कुआं भी प्राचीन है। इसे कुएं के जल को संरक्षित किया गया है। इस कुएं का जल पूरी तरह से शुद्ध है। हर साल इसे जांच के लिए लैब भेजा जाता है, कुआं के जल में आज तक कोई बदलाव नहीं हुआ। इस कुआं के जल से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। इस कुआं और शिव लिंग का इतिहास आपस में जुड़ा हुआ है।

कुआं की खुदाई के दौरान प्रकट हुआ शिवलिंगइस प्राचीन शिव मंदिर से जुड़ा कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता, लेकिन मंदिर के बारे में कई दंत कथा प्रचालित हैं। मान्‍यता है कि करीब दो सौ साल पहले जब यहां पर कैलड़ गांव हुआ करता था, तो गांव वाले कुआं की खुदाई कर रहे थे। इस दौरान ही जल के साथ स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ। जिसके बाद गांव वालों ने खुदाई बंद कर शिवलिंग को वहीं पर स्‍थापित कर पूजा-पाठ शुरू कर दिया। जब चंडीगढ़ बसा तो यहां पर सनातन धर्म द्वारा भव्‍य मंदिर बनवाया गया। कहा जाता है कि आसपास के जल स्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं, लेकिन इस कुआं का जल आज तक नहीं सूखा। इस मंदिर की मान्यता सिर्फ चंडीगढ़ ही नहीं, बल्कि आसपास के कई प्रदेशों में है। सावन माह और महाशिवरात्रि पर यहां हजारों-लाखों भक्‍त पहुंचते हैं।

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