'सनातन को समाप्त करने की मांग उठाता रहूंगा...' बयान पर अड़े हुए हैं स्टालिन; जानें क्या सफाई दी
Sanatan Political Controversy: उदयनिधि स्टालिन ने अपने बयान पर सफाई पेश करते हुए ये कहा है कि जिस तरह पीएम मोदी 'कांग्रेस मुक्त भारत' की बात करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह कांग्रेसियों की हत्या करने के लिए कह रहे हैं। मैं अपने पुराने बयान पर कायम हूं और सनातन को समाप्त करने की मांग उठाता रहूंगा।'
सनातन पर दिए बयान पर अपनी सफाई में क्या बोले उदयनिधि स्टालिन?
Udhayanidhi Stalin News: तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) की युवा इकाई के सचिव एवं राज्य के युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को ‘समानता एवं सामाजिक न्याय’ के खिलाफ बताते हुए कहा कि इसका उन्मूलन किया जाना चाहिए। उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया, और डेंगू वायरस एवं मच्छरों से होने वाले बुखार से करते हुए कहा कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि इन्हें समाप्त कर देना चाहिये। स्टालिन ने अपने बयान पर सफाई पेश की है और ये भी कहा है कि मैं अपने बयान पर कायम हूं।
अपनी सफाई में क्या बोले एमके स्टालिन के बेटे?
उदयनिधि स्टालिन ने सनातन पर दिए अपने उस बयान पर सफाई पेश की है, जिसे लेकर सियासत में उबाल आ गया है। उन्होंने बोला है कि मैंने अपने बयान में कहीं भी नरसंहार का जिक्र नहीं किया, सिर्फ सनातन धर्म की आलोचना की है। पीएम मोदी का उदाहरण पेश करते हुए स्टालिन ने कहा कि 'जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'कांग्रेस मुक्त भारत' की बात करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह कांग्रेसियों की हत्या करने के लिए कह रहे हैं।' उन्होंने आगे बोला कि कुल लोग द्रविड़म को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। क्या इसका मतलब ये है कि डीएमके के कार्यकर्ताओं को मार देना चाहिए? मैं सनातन को समाप्त करने की मांग करता रहूंगा।
उदयनिधि बोले- सनातन धर्म सामाजिक न्याय के खिलाफ
उदयनिधि की टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर आक्रोश देखने को मिला। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी प्रकोष्ठ के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि द्रमुक नेता ने सनातन धर्म को मानने वाली 80 प्रतिशत जनता का ‘नरसंहार’ करने का आह्वान किया है। हालांकि, उदयनिधि ने उनके आरोपों को खारिज कर दिया है। तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक एवं कलाकार संघ की शनिवार को यहां आयोजित बैठक को तमिल में संबोधित करते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि सनातन धर्म समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है।
सनातन ने लोगों को जातियों के आधार पर बांटा- स्टालिन
उन्होंने कहा, 'सनातन क्या है? यह संस्कृत भाषा से आया शब्द है। सनातन समानता और सामजिक न्याय के खिलाफ होने के अलावा कुछ नहीं हैं।'
उदयनिधि ने कहा, 'सनातन का क्या अभिप्राय है? यह शास्वत है, जिसे बदला नहीं जा सकता, कोई सवाल नहीं कर सकता है और यही इसका मतलब है।'
उन्होंने आरोप लगाया कि सनातन ने लोगों को जातियों के आधार पर बांटा। उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी को घृणा भाषण करार देते हुए मालवीय ने कहा, ' राहुल गांधी ‘मोहब्बत की दुकान’ की बात करते हैं लेकिन कांग्रेस की सहयोगी द्रमुक के वारिस सनातन धर्म के उन्मूलन की बात करते हैं। कांग्रेस की चुप्पी ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी द्वारा इस जनसहांर के आह्वान का समर्थन है। अपने नाम के अनुरूप अगर उन्हें मौका दिया जाए तो वह भारत की हजारों साल की सभ्यता को जड़ से मिटा देंगे।'
द्रमुक को ‘कैंसर’ कहने पर भड़के उदयनिधि स्टालिन
भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के.अन्नामलाई ने भी द्रमुक सरकार के मंत्री को उनकी दुर्भावनापूर्ण विचारधारा के लिए आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा, 'तमिलनाडु आध्यात्मिकता की भूमि है। आप सबसे अच्छा काम यह कर सकते हैं कि ऐसे कार्यक्रमों में माइक पकड़ें और अपनी हताशा व्यक्त करें।' भाजपा की तमिलनाडु इकाई के उपाध्यक्ष नारायण तिरुपति ने भी द्रमुक को ‘कैंसर’ करार देते हुए कहा कि सत्तारूढ़ द्रविड पार्टी द्वारा की गई इस तरह की टिप्पणी नयी नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी द्रमुक को खत्म कर देगी।
स्टालिन बोले, मैं अपने हर शब्द पर दृढ़ता से कायम हूं
आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए उदयनिधि ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, 'मैंने सनातन धर्म का अनुपालन करने वाले लोगों के जनसंहार का कभी आह्वान नहीं किया।' उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का सिद्धांत है जो लोगों को जाति और धर्म के आधार पर बांटता है। उदयनिधि ने कहा, 'सनातन धर्म को उखाड़ना मानवता और मानव समानता को बहाल करना है।' द्रमुक नेता ने कहा कि वह सनातन धर्म के कारण पीड़ित और हाशिये पर रह रहे लोगों की ओर से कहे गए अपने हर शब्द पर दृढ़ता से कायम हैं। उन्होंने कहा, 'मैं सनातन धर्म और समाज पर इसके नकारात्मक प्रभाव पर गहन शोध करने वाले पेरियार और (भीमराव)आंबेडकर के व्यापक लेखन को किसी भी मंच पर प्रस्तुत करने के लिए तैयार हूं।'
'कई सामाजिक बुराइयों के लिए जिम्मेदार है सनातन'
उन्होंने कहा, 'मैं अपने भाषण के अहम पहलू को दोहराता हूं: मेरा मानना है कि, मच्छरों द्वारा फैलने वाली डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों और कोविड-19 की तरह, सनातन धर्म कई सामाजिक बुराइयों के लिए जिम्मेदार है। मैं अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हूं, चाहे वह अदालत में हो या जनता की अदालत में। फर्जी खबरें फैलाना बंद करें।' उदयनिधि के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रतिक्रिया दी है जिनमें एक कानूनी अधिकार कार्यकर्ता मंच की प्रतिक्रिया भी शामिल है, जिसमें कहा गया है कि वह उनकी टिप्पणियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार करेगा। द्रमुक प्रवक्ता श्रवणन अन्नादुरई ने भाजपा के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ नारे का जिक्र करते हुए जानना चाहा कि क्या इसका मतलब जनसंहार है।
उदयनिधि का आरोप- सनातन ने महिलाओं को गुलाम बनाया
राज्य में खेल विकास विभाग का कार्यभार संभाल रहे उदयनिधि ने आरोप लगाया कि सनातन ने महिलाओं को गुलाम बनाया और उन्हें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं खेल में उपलब्धि हासिल कर रही हैं और अनेक महिलाएं आर्थिक रूप से भी स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा, 'सनातन ने महिलाओं के साथ क्या किया? इसने विधवा महिलाओं को आग (सती प्रथा का संदर्भ देते हुए)में झोंक दिया, विधावाओं का मुंडन करा दिया और उन्हें सफेद साड़ी पहनने को मजबूर किया, बाल विवाह भी हुआ।' उदयनिधि ने कहा, 'द्रविड़वाद (द्रविड़ विचारधारा जिसका अनुपालन द्रमुक करता है) ने क्या किया? महिलाओं को मुफ्त में बस यात्रा के लिए पास दिया, कॉलेज की शिक्षा के लिए छात्राओं को एक हजार रुपये महीने की सहायता दी। पंद्रह सितंबर से महिला लाभार्थियों को एक हजार रुपये मासिक सहायता (न्यूनतम आय योजना) मिलेगी।'
'केंद्र की इन योजनाओं का पुरजोर विरोध करेगी द्रमुक'
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की विश्वकर्मा योजना साजिश है और यह राजाजी (चक्रवर्ती राजगोपालाचारी) द्वारा 1953 में लाए गए कुला कल्वी थित्तम (जाति और समुदाय आधारित शिक्षा योजना) का दोहराव है, जिसका द्रमुक पुरजोर विरोध करेगी। उदयनिधि ने कहा, 'हम अपने बच्चों को शिक्षित करने की योजना ला रहे हैं, लेकिन फासीवादी हमारे बच्चों को शिक्षा से वंचित करने के लिए योजनाएं बना रहे हैं। सनातन विचारधारा की वजह से हम (पिछड़े, दलित वर्ग) शिक्षित नहीं हों और इसका क्लासिक उदाहरण नीट (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) है।' द्रमुक के मूल संगठन द्रविड़ कषगम ने पहले ही इस योजना का विरोध करते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य प्रतिगामी वर्णाश्रम धर्म के साथ जाति-आधारित व्यवसायों को कायम रखना है।
उदयनिधि ने कहा, ' हम तमिलनाडु के सभी 39 संसदीय क्षेत्रों और पुडुचेरी की एक सीट (2024 के लोकसभा चुनाव में) पर जीत हासिल करने का संकल्प लें। सनातन का पतन हो और द्रविड़ की जीत हो।' मंत्री ने कहा कि सब कुछ बदला जाना चाहिए और कुछ भी चिरस्थायी नहीं है। उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट आंदोलन और द्रमुक की स्थापना हर चीज पर सवाल उठाने के लिए की गई थी।
(इनपुट- भाषा)
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