LAC के नज़दीक अंतिम चरण में पहुंचा भारत-अमेरिका का साझा युद्धाभ्यास, भारत ने ड्रैगन की चिंता और बढ़ाई
उत्तराखंड में एलएसी से 100 किलोमीटर की दूरी पर अमेरीकी सेना भारतीय सेना से हाई ऑलटेट्यूड एरिया में लड़ने के गुर सीख रही है। भारत को हाई ऑलटेट्यूड एरिया में जंग लड़ने के लिए पूरी तरह से महारथ हासिल है ।
उत्तराखंड में तैयार किया गया फॉरेन ट्रेनिंग नोड
उत्तराखंड के औली में 15 नवंबर को शुरू हुआ है साझा युद्धाभ्यास अब अंतिम चरण में पहुंच गया है । 15 नवंबर से 2 दिसंबर तक चलने वाले इस अभ्यास में अमरीकी सैनिक भारतीय सेना से विषम परिस्थितियों वाला युद्ध लड़ना सीख रहे हैं। देश में पहली बार हाई ऑलटेट्यूड में अमेरिका के साथ साझा सैन्य युद्धाभ्यास किया जा रहा है।
उत्तराखंड में तैयार किया गया फॉरेन ट्रेनिंग नोड
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कश्मीर से लेकर लद्दाख तक, उत्तराखंड से लेकर हिमाचल तक तो पूर्वोत्तर में सिक्किम से लेकर अरुणाचल तक भारतीय सेना विषम परिस्थितियों में तैनात है। इसी ट्रेनिंग को साझा करने के लिए दोनो देश युद्धाभ्यास मे शामिल हुए। भारत और अमेरीका के बीच साझा युद्धाभ्यास तो साल 2004 से ही जारी है लेकिन इस बार का युद्धाभ्यास बिलकुल अलग है क्योंकि पहली बार किसी हाई ऑलटेट्यूड एरिया में इस अभ्यास को आयोजित किया जा रहा है। उत्तराखंड का ऑली, जो 9500 फ़ीट की उंचाई पर है ना सिर्फ एलएसी से नजदीक है बल्कि भौगोलिक रूप से उस इलाके से काफी मिलता-जुलता भी है लिहाजा भारत और अमेरिका के सैनिक हाय एल्टीट्यूड वार फेयर के दांवपेच साझा करेंगे।
युद्धाभ्यास का अजेंडा
अभ्यास का पिछला संस्करण अक्टूबर 2021 में संयुक्त बेस एल्मडॉर्फ रिचर्डसन, अलास्का (यूएसए) में आयोजित किया गया था। 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की दूसरी ब्रिगेड के अमेरिकी सेना के जवान और असम रेजीमेंट के भारतीय सेना के जवान अभ्यास में भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र शासनादेश के अध्याय VII के तहत एक एकीकृत युद्ध समूह के चार्टर पर केंद्रित है।शेड्यूल में पीस कीपिंग और पीस एनफोर्समेंट से जुड़े सभी ऑपरेशन शामिल हुए। दोनों देशों के सैनिक समान उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। संयुक्त अभ्यास मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
दोनों सेनाओं के पेशेवर कौशल और अनुभवों से पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए, चयनित विषयों पर एक कमांड पोस्ट अभ्यास और विशेषज्ञ अकादमिक चर्चा (ईएडी) की गई। फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास के दायरे में एकीकृत युद्ध समूहों का सत्यापन, बल गुणक, निगरानी ग्रिड की स्थापना और कामकाज, पर्वत युद्ध कौशल, रेस्क्यू और प्रतिकूल इलाके और जलवायु परिस्थितियों में चिकित्सा सहायता देना भी शामिल है।
भारतीय सेना के अनुभव से सीखकर उत्साहित अमेरिका के सैनिक
भारतीय सेना को ऊंची पहाड़ियों पर लड़ने और तैनाती का पूरा अनुभव है। यहाँ मौसम सबसे बड़ा दुश्मन होता है ऑक्सीजन कम और तापमान भी माइनस में और इसी तरह की चुनौती वाले माहौल में जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज के लिए फॉरेन ट्रेनिंग नोड (FTN) तैयार किया गया है ये भारतीय सेना का पहला हाई एल्टीट्यूट ट्रेनिंग नोड है और पहली बार का अभ्यास अमेरिकी सेना के साथ हो रहा है और भविष्य में अन्य मित्र देशों के साथ भी हाई एल्टीट्यूट में जॉइंट ट्रेनिंग की जा सकेगी। ऑली में बने इस ट्रेनिंग नोड में बाहर से आए सैनिकों के लिए रहने की व्यवस्था तैयार की गई है जहां 350 सैनिकों के रहने का इंतजाम किया गया है।
वैलिडेशन में हो रही प्रशिक्षण की परख
युद्धाभ्यास क्या आखिरी चरण में इस ट्रेनिंग के दौरान जो भी कुछ दोनों सेनाओं ने दूसरे से सीखा उसका वैलिडेशन किया जा रहा है इस दौरान पिछले 15 दिनों में जिन अलग-अलग टास्क्स को दोनों सेनाओं ने सीखा अब उनको मिलाकर एक बड़ी ड्रिल कर युद्ध कौशल का सत्यापन होगा।
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