कांग्रेस ने अगर इन 3 चुनौतियों से पार पा लिया, तो राजस्थान चुनाव में 'जीत पक्की'

Rajasthan Chunav 2023: सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच अगर सचमुच सबकुछ ठीक हो गया है, तो क्या राजस्थान में कांग्रेस के जीत की राह आसान हो जाएगी? 30 सालों से एक बार भाजपा एक बार कांग्रेस का फॉर्मूला चल रहा है। ऐसे में कांग्रेस को अपनी जीत पक्की करने के लिए क्या करना होगा, ये समझिए...

Sachin Pilot, Ashok Gehlot, Congress

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां?

Rajasthan Election: राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं, कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के नेता अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगाने में जुटे हैं। सूबे का सियासी इतिहास पिछले तीस सालों से ये गवाही दे रहा है कि चुनावी नतीजों में यहां की जनता 5 साल के लिए कांग्रेस और 5 साल के लि भाजपा को मौका देती है। ऐसे में कांग्रेस के 5 साल बीतने वाले हैं, तो क्या अब फिर से भाजपा की बारी आने वाली है?

कैसे पार लगेगी कांग्रेस की नैय्या?

सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है। कांग्रेस को इस बात की आस है कि 30 साल पुरानी परपंरा इस बार टूट जाएगी और अशोक गहलोत दोबारा सूबे के मुखिया बनेंगे। अगर कांग्रेस जीत जाती है और कांग्रेस के अशोक गहलोत को फिर एक बार मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी जाती है तो क्या सचिन पायलट को इस बात से कोई ऐतराज नहीं होगा? इस सवाल के साथ-साथ एक आशंका ये भी है कि कहीं पार्टी में टूट ना हो जाए। ऐसे में आपको उन फैक्टर को समझना चाहिए जिससे कांग्रेस अपनी जीत पक्की कर सकती है। हाल ही में सचिन पायलट ने ये दावा किया था कि इस बार कांग्रेस दोबारा राजस्थान की सत्ता पर वापसी करेगी।

1). सचिन पायलट को मनाए रखना

हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी टीम बना ली है। कांग्रेस कार्य समिति में सचिन पायलट को शामिल किया गया और उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई। कांग्रेस ने इस फैसले के जरिए सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रही खिंचतान पर ब्रेक लगाने की कोशिश की। मगर कांग्रेस को अगर दोबारा सत्ता पर काबिज होना है तो सबसे पहले ये सुनिश्चित करना होगा कि अब सचिन पायलट चुनाव से पहले कोई बागी रुख अख्तियार ना करें। पायलट को मनाए रखना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।

2). कहीं पार्टी में टूट ना हो जाए

कांग्रेस पार्टी में गहलोत बनाम पायलट की जंग जगजाहिर है। मगर सबसे बड़ी बात ये है कि दोनों गुट के समर्थक अपने-अपने नेता के लिए एकदम कट्टर हैं। एक इशारा ही काफी है और सारा खेल पलट सकता है। इससे पहले कई बार कांग्रेस में पायलट और गहलोत गुट के समर्थकों के बीच हाथापाई तक देखी जा चुकी है। चुनाव आते ही दल-बदल का सिलसिला शुरू हो जाता है, ऐसे में कांग्रेस के सामने एक और बड़ी चुनौती ये होगी कि वो अपने नेताओं को टूटने ना दे।

3). भाजपा की प्लानिंग से आगे की सोच

भारतीय जनता पार्टी आसानी से हार मानने वाली नहीं है। ऐसे में कांग्रेस की हर कोशिश को नाकाम करने की भरपूर कोशिश हो रही है। राजस्थान की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन और बयानबाजी से ये समझा जा सकता है कि भाजपा ने अपनी कमर कस ली है। चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करने के लिए दोनों ही पार्टियां तैयार हैं, यदि कांग्रेस को दोबारा सत्ता में वापसी करनी है तो भाजपा के सियासी रणनीति का जवाब सूझ बूझ से देना होगा और चुनावी प्लानिंग- जैसे टिकट बंटवारा, बूथ प्लानिंग, चुनावी सभाएं और जातीय समीकरण का खास ख्याल रखना होगा।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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