Breast Feeding: जानें क्या है लैक्टेशन मसाजर, फीड करवाने में कैसे करता है मां की मदद

मां बनने का सुख ही अलग होता है। हालांकि मां बनने के साथ ही महिलाओं के लिए कई जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं। इन्हीं में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है ब्रेस्ट फीडिंग। ये तो हम सभी जानते हैं कि नवजात बच्चों के लिए मां का दूध अमृत समान है। लेकिन कई बार प्रसुताओं को इसमें परेशानी आती है।

Lactation Massager

Lactation Massager

मुख्य बातें
लैक्टेशन मसाजर से मिलता है ब्रेस्ट पेन में रीलिफमहिलाओं में अक्सर हो जाती है दूध की कमीइससे मिलती नवजात शिशु को दूध की पूर्ति

Breast Feeding Help: मां बनना किसी भी महिला के लिए सबसे प्यारा एहसास होता है। हालांकि नवजात बच्चे के साथ कई नई जिम्मेदारियां भी आती हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है बच्चे को दूध फीड करवाना। मां का दूध बच्चे के लिए बहुत ही जरूरी होता है। लेकिन अक्सर मांओं की शिकायत होती है कि ब्रेस्ट फीड करने के कुछ ही देर बाद बच्चे को भूख लग आती है। ऐसा अक्सर तब होता है जब मां के दूध से बच्चे का पेट एक बार में ठीक से भरा ही न हो यानी बच्चे की जरूरत के अनुसार मां के शरीर में दूध नहीं बन रहा हो। ऐसे में तकनीक का सहारा लेकर मांएं इस समस्या से निजात पा सकती हैं। इन दिनों बाजार में ऐसे कई उपकरण हैं जो ऐसी मांओं के लिए मददगार बनते हैं।

लैक्टेशन मसाजर

अगर मां को ब्रेस्ट फीडिंग कराने में दर्द महसूस होता है तो ऐसी स्थिति में लैक्टेशन मसाजर का इस्तेमाल करना अत्याधिक लाभकारी हो सकता है। लैक्टेशन मसाजर, स्तन की मालिश करने से यह सुनिश्चित करता है कि आपके बच्चे को संपूर्ण पोषण मिल रहा है। यह दूध पिलाने वाली किसी मां के लिए एक वरदान की तरह साबित हो सकता है। इस मसाजर का इस्तेमाल ब्रेस्ट की मसाज करने में होता है।

क्या है लैक्टेशन मसाजर

मसाजर के दो गोल सिरे होते हैं। एक चौड़ा, दूसरा छोटा। इसके अलावा इसमें कुछ सेटिंग्स भी होती हैं, जो उन्हें वाइब्रेट करने और हल्की गर्मी प्रदान करने में मदद करती हैं। यह सिलिकॉन का बना होता है और हाथ की हथेली पर आसानी से फिट हो जाता है।

लैक्टेशन मसाजर कैसे काम करता है

दरअसल कई बार महिलाओं के मिल्क डक्ट क्लॉग हो जाते हैं जिसकी वजह से दूध कम आता है। लेकिन जब आप लैक्टेशन मसाजर से अच्छी तरह मसाज करते हैं तो यह क्लॉग एरिया को खोलने की कोशिश करती हैं। इससे महिला के स्तनों में दूध का प्रवाह बेहतर होता है। साथ ही इससे ब्रेस्ट पेन में भी काफी राहत मिलती है। हांलाकि इसका इस्तेमाल करते हुए एक विशेष बात का ध्यान जरूर रखें कि स्तनों पर बहुत अधिक दबाव ना डालें। यह जोखिम भरा भी हो सकता है।

(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)

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