Marburg Virus: 'मारबर्ग वायरस' एक नई बीमारी की दस्तक, जानिए इसके लक्षण और बचाव

Marburg Virus: मारबर्ग वायरस एक ऐसा वायरस है, जो बहुत तेजी से फैलता है। इससे प्रभावित व्यक्ति को बहुत तेज बुखार रक्तस्त्राव के साथ आता है। इस वायरस से संक्रमण होने के बाद मृत्यु की संभावना 88 प्रतिशत तक होती है। ये भी उसी परिवार का सदस्य है जिस परिवार का सदस्य ‘इबोला’ वायरस को माना जाता है।

Marburg Virus

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Marburg Virus: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भू-मध्यीय देश गिनी में पहली मारबर्ग वासरस से हुई मौत की पुष्टि करते हुए कहा है कि पश्चिमी अफ्रीकी देशों में हुई सभी 9 मौतों का यही ‘मारबर्ग वायरस’ है, जो कि इबोला वायरस परिवार का ही एक सदस्य है। अपने एक वक्तव्य में डब्लूएचओ ने गिनी से आए सैंपल की जांच की पुष्टि करते हुए कहा कि ये एक घातक वायरस है।

डब्लूएचओ के अफ्रीकी रीजन के डायरेक्टर डॉ. Matshidiso Moeti ने कहा कि ‘मारबर्ग एक बेहद ही संक्रामक वायरस है’ गिनी देश की सरकार और वहां की कार्यकारी अथॉरिटी बधाई की पात्र है, जो उन्होंने समय रहते हुए इस बीमारी की पुष्टि की और अनेकों लोगों को इस गंभीर बीमारी से बचा लिया।

क्या है मारबर्ग वायरस?

मारबर्ग वायरस एक ऐसा वायरस है, जो बहुत तेजी से फैलता है। इससे प्रभावित व्यक्ति को बहुत तेज बुखार रक्तस्त्राव के साथ आता है। इस वायरस से संक्रमण होने के बाद मृत्यु की संभावना 88 प्रतिशत तक होती है। ये भी उसी परिवार का सदस्य है जिस परिवार का सदस्य ‘इबोला’ वायरस को माना जाता है।

कैसे फैलता है मारबर्ग वायरस?

इबोला वायरस की ही तरह मारबर्ग वायरस भी चमगादड़ों से ही इंसानों तक पहुंचा है। इसके फैलने के लिए जो कारण जिम्मेदार हैं, उनमें प्रमुख है शारीरिक निकटता। एक दूसरे के निकट आने से ये बहुत तेजी से फैलता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के छूए हुए कपड़ों अथवा सतह को भी छूने से ये फैलता है।

मारबर्ग वायरस के लक्षण

मारबर्ग वायरस से प्रभावित व्यक्ति को अचानक से भयंकर सिर दर्द, बहुत तेज बुखार और भी गंभीर लक्षण आने शुरू हो जाते हैं। बहुत से मरीजों में सात दिन के अंदर गंभीर रक्तस्त्राव के लक्षण देखने को मिलते हैं।

क्या अभी कोई टीका मारबर्ग वायरस को रोकने के लिए उपलब्ध है?

हालांकि अभी कोई आधिकारिक टीका या दवाई मारवर्ग वायरस को रोकने के लिए नहीं बनी है, लेकिन इसके लक्षणों का इलाज करके हम इसकी गंभीर परिणामों को काफी हद तक रोक सकते हैं, जिससे हम इससे होने वाली मृत्यु दर में काफी कमी ला सकते हैं।

पहली बार कब सामने आया था मारबर्ग वायरस

इस दुर्लभ वायरस की पहचान पहली बार 1967 में हुइ जब जर्मनी, बेलाग्रिड और सर्बिया के कुछ प्रयोगशालाओं में इसका संक्रमण फैला। साल 2004 में अंगोला देश में इससे लगभग 252 लोग संक्रमित हुए, जिसमें से लगभग 90 प्रतिशत लोगों की मृत्यु हो गई। पिछले साल भी ‘घाना’ देश में 2 मौत रिपोर्ट की गई थी, जिनका कारण भी माबवर्ग वायरस को ही माना गया था।

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