EXCLUSIVE : पुतिन ने बनाया मन, अब नहीं होगी बात, बस होगा तो परमाणु जंग

रूस-यूक्रन युद्ध लंबा खिंचता जा रहा है। इस बीच नाटो देशों ने रूस को परास्त करने के लिए मीटिंग कर रहे हैं। उधर रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी पुतिन ने मन बना लिया है कि अब बात नहीं होगी। बस होगा तो परमाणु घात, पुतिन के पास अब यूक्रेन युद्ध में खोने के लिए कुछ नहीं है। पुतिन एटम बम फोड़ेगे। अब पक्का हो गया!

क्या यूक्रेन जंग में जीत का फैसला अब एटम बम से ही होगा। क्या बाइडेन पुतिन को परमाणु हमला करने से नहीं रोक पाएंगे। पुतिन को जीतने नहीं देने की हुंकार भर रहे NATO देश क्या पुतिन के परमाणु प्रतिशोध में भस्म हो जाएंगे। ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं। क्योंकि परमाणु हथियारों पर नियंत्रण को लेकर मिस्र की राजधानी काहिरा में होने वाली अमेरिका और रूस की बैठक रद्द हो गई है। रूस अपने परमाणु हथयिारों के Inspection के लिए राजी नजर नहीं आ रहा तो साथ ही इस बैठक की अगली तारीख पर सस्पेंस रखकर वो अपने न्यूक्लियर अटैक वाले मिशन पर आगे बढ़ता भी दिख रहा है।

पुतिन ने मन बना लिया है कि अब बात नहीं होगी। बस होगा तो परमाणु घात, पुतिन के पास अब यूक्रेन युद्ध में खोने के लिए कुछ नहीं है। उनके पास अब बहुत कम विकल्प बचे हैं। लिहाजा तमाम एक्सपर्ट ये मानकर चल रहे हैं कि पुतिन किसी भी वक्त परमाणु हमले जैसा कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। इस बात को इसलिए भी बल मिलता है क्योंकि जंग शुरु होने के ठीक 22 दिन बाद पुतिन ने मन मुताबिक कामयाबी ना मिलता देख यूक्रेन पर परमाणु हमले का मन बनाया था और ऐसा एक नहीं तीन बार हुआ था।

पुतिन की परमाणु फाइल लीक हो गई है। जिसमें परमाणु बम के इस्तेमाल पर बड़ा खुलासा हुआ है।

  • पुतिन ने सबसे पहले परमाणु हमले का मन कब बनाया
  • सबसे पहले किन न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल का प्लान बना
  • कब-कब पुतिन ने वरिष्ठ सहयोगियों के साथ परमाणु अटैक पर मंत्रणा की
  • और किन कारणों से परमाणु हमले को टाल दिया गया

इसकी एक-एक सीक्रेट रिपोर्ट अब जाकर सामने आई है

24 फरवरी य़ूक्रेन पर हमले के बाद से लेकर 12 अप्रैल तक यानि 48 दिनों के भीतर पुतिन ने यूक्रेन पर 3 बार परमाणु हमले का मन बना लिया था। पुतिन के परमाणु मंसूबों को लेकर ये सनसनीखेज खुलासा रशिया फेडरल सिक्योरिटी सर्विस यानी एफएसबी के एक एजेंट के कुछ सीक्रेट ई मेल लीक होने के बाद सामने आया है। ई-मेल के मुताबिक रुसी सैन्य अधिकारियों ने यूक्रेन पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर कई बार चर्चा की थी। एफएसबी के एजेंट के जो ईमेल लीक हुए हैं वो इसी साल 17 मार्च 21 मार्च और फिर 12 अप्रैल के हैं।

जिन्हें रूस के पत्रकार ब्लादिमीर ओसेच्किन को फॉरवर्ड किया गया था। आपको याद होगा 24 फरवरी जो जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तो बताया यही जा रहा था कि सिर्फ 4 दिन यानी 28 फरवरी तक यूक्रेन घुटने टेक देगा। मगर ऐसे हुआ नहीं जिससे नाराज पुतिन ने 22 दिन बाद यानि 17 मार्च को पहली बार परमाणु अटैक का मन बना लिया था।

इस प्लान के ठीक 4 दिन बाद 21 मार्च को भी पुतिन एक बार फिर यूक्रेन को सबक सिखाने के लिए न्यूक्लियर अटैक के लिए बेकरार हो गए थे लेकिन सैन्य अधिकारियों के साथ मीटिंग में फिर इस बात पर सहमति बनी। अगर यू्क्रेन पर परमाणु हमला किया गया तो वो एक तरह से रूस की हार के तौर पर देखा जाएगा।

ठीक इसी तरह से जंग का कोई नतीजा ना निकलता देख रूस ने 12 अप्रैल को भी परमाणु हमले पर मंथन किया था। मगर तब ये बात सामने आ गई कि टैक्टिकल यानि छोटे परमाणु हथियार से हमला हुआ तो उसका कोई खास रिजल्ट नहीं मिला और बड़ा परमाणु बम दागा गया तो उसकी आंच रूस तक भी पहुंच सकती है।

यानी पुतिन बार-बार जो परमाणु हमले की धमकी दे रहे थे वो बेवजह नहीं थी। अमेरिकी प्रेसीडेंट बाइडेन अगर कह रहे थे कि 1962 के बाद मौजूदा दौर में परमाणु हमले का खतरा सबसे ज्यादा है वो बात यूं ही नहीं थी। अगर नाटो चीफ जैक सुलीवन बार-बार अमेरिका और रूस के बीच परमाणु हथियारों पर बातचीत की वकालत कर रहे थे तो उसके पीछे परमाणु हमले की वही ठोस वजह थी। जिस पर रूसी सीक्रेट एजेंट के ई-मेल मुहर लगा रहे हैं।

रूस और यूक्रेन के बीच की जंग अब उस मुहाने पर पहुंच गई है जहां कभी भी कुछ भी हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है। किसी दिन आप दिन की शुरुआत करें और खबरों में आपको दिखे कि दुनिया पर 77 साल बाद परमाणु बम गिरा दिया गया है। यकीन मानिए ये कोई कल्पना नहीं है। रूस में इसका खाका तैयार किया जा चुका है।

सवाल यही है कि अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा नाटो कैसे काउंटर अटैक करेगा। इसे लेकर नई थ्योरीज सामने आ रही हैं। अमेरिका की प्रिंसटन साइंस एंड ग्लोबल सिक्योरिटी प्रोग्राम के मुताबिक अगर रूस और नाटो के बीच जंग परमाणु जंग हुई तो रूस को नाटो देशों के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए करीब 300 न्यूक्लियर वॉरहेड को फाइटर जेट या फिर मिसाइलों से दागना होगा। वहीं नाटो को करीब 180 परमाणु हथियारों से रूस को काउंटर करना होगा। अगर ऐसा होता है तो सिर्फ 3 घंटों में ही करीब तीन लाख लोग मारे जाएंगे और पूरा यूरोप कुछ इस कदर तबाह हो जाएगा।

इसी प्रोजेक्शन के मुताबिक अगर नाटो 600 न्यूक वॉरहेड का इस्तेमाल अमेरिकी सैन्य ठिकानों से करेगा और सबमरीन बेस्ट मिसाइलें रूस की न्यूक्लियर फोर्स पर दागेगा तो सिर्फ 45 मिनट के भीतर साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोग मारे जाएंगे और कुछ ऐसे आधी दुनिया पर महातबाही की आंधी आ जाएगी।

यानी परमाणु युद्ध का नतीजा सिर्फ महाविनाश के तौर पर सामने आएगा। वाशिंगटन में सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मिलिट्री एक्सपर्ट मार्क कैनशियन ने रूस के परमाणु हमला करने की संभावनाओं पर साफ किया कि यूक्रेन में सिर्फ एक परमाणु हमला करने से पुतिन को कुछ नहीं मिलेगा। ऐसे में जैसे जापान के दो शहरों पर अमेरिका ने परमाणु हमला कर उसे सरेंडर करने को मजबूर कर दिया था ठीक वैसे ही रूस भी करेगा। रूस यह नहीं चाहेगा कि उसके हमलों में अधिक जानमाल का नुकसान हो लेकिन वो टैक्टिकल परमाणु हमला कर यूक्रेन को सरेंडर करने के लिए जरूर मजबूर करना चाहेगा।

अगर मान लिया जाये कि रूस हिरोशिमा और नागासाकी की तरह दो परमाणु हमला करने की सोचता है तो वह यूक्रेन के दो सबसे महत्त्वपूर्ण शहरों कीव और खारकीव को निशाना बना सकता है। दोनों ही शहरों की कुल आबादी करीब 42 लाख से अधिक है।

अब तक यूक्रेन के शहरों पर छोटे हमलों को महज ट्रेलर माना जा रहा था. पर जंग में अब हालात उस मोड़ पर है। जहां पुतिन पूरी तरह से बैकफुट पर हैं। यूक्रेन को मिल रहे नाटो और अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की तरफ से सैन्य मदद के चलते रूस के सामने एक तरफ डोनबास को बचाए रखने की चुनौती है वहीं क्रीमिया को खोने का डर भी है।

इसके अलावा रूस इस जंग में अपने सालाना बजट का एक चौथाई हिस्सा खर्च कर चुका है। रूस के पास मिसाइलों का जखीरा खत्म हो चुका है। पुतिन की आर्मी 1980 की मिसाइलें दाग रही है। पिछले एक महीने में ऐसी कई वॉर रिपोर्ट आ चुकी हैं, जो ऐलान कर रही हैं कि जंग लड़ने के लिए रूस के पास मिसाइलों का स्टॉक खत्म हो चुका है। यूक्रेन के रक्षा मंत्री का दावा है कि रूस युद्ध में अपनी 80 फीसदी मॉडर्न मिसाइलों को दाग चुका है। अब उसके पास इस्कंदर मिसाइलों का स्टॉक भी सिर्फ 13 फीसदी ही बचा है।

हालात खुद बयां कर रहे हैं कि पुतिन के पास विकल्प करीब करीब खत्म हो चुके हैं। एक्सपर्ट ये मानते हैं कि पुतिन सबकुछ बर्दाश्त कर सकते हैं। हार नहीं। यही कारण है कि हर गुजरता दिन परमाणु जंग की दहशत को बढ़ा रहा है।

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