पाकिस्तान में न्यायपालिका-सेना की मुखालफत पर जेल जाने के लिए रहिए तैयार, मसौदा तैयार

पाकिस्तान में अब किसी को न्यायपालिका और सेना का विरोध करना महंगा पड़ेगा। ऐसा करने पर 5 से लेकर 10 साल की सजा होगी। सरकार ने इस संबंध में बिल तैयार किया है जिस पर कैबिनेट की मंजूरी मिलने की जल्द उम्मीद है।

पाकिस्तान सरकार अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। पीएम शहबाज शरीफ कहते हैं कि आईएमएफ की शर्तों के मानने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। आईएमएफ भी पाकिस्तान से कह रहा है कि बिजली के दाम बढ़ा दो, पेट्रोल के दाम बढ़ा दो, गैस के दाम बढ़ा दो। इसके अलावा बड़ी बात यह है कि जितने भी बड़े नौकरशाह और सेना के बड़े अधिकारी जिनके ऊपर अकूत रकम इकट्ठा करने के आरोप हैं उन्हें सार्वजनिक करे।इन सबके बीच पाकिस्तान सरकार ने एक बिल तैयार किया है जिसमें अगर कोई शख्स या दल सोशल मीडिया पर या खुले में न्यायपालिका या सेना की मुखालफत करते हुए पाया गया तो उसे पांच से 10 साल की जेल होगी। सवाल यह है कि इस तरह के बिल के पीछे क्या मंतव्य है।

जानकारों का कहना है कि इस समय शहबाज शरीफ सरकार तमाम झंझावतों का सामना कर रही है। बदहाल अर्थव्यवस्था को लेकर उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं खास तौर पर इमरान खान पूरी तरह से हमलावर हैं। हाल ही में उनके दो मंत्रियों की गिरफ्तारी हुई है। पाकिस्तान में जब शहबाज शरीफ सत्ता में आए तो यह माना गया कि इमरान खान से कमर जावेद बाजवा की नाराजगी का नतीजा था। पूरी दुनिया इस बात को जानती है कि पाकिस्तान में नागरिक सरकार सिर्फ दिखावे के लिए है असली कंट्रोल सेना के पास रहता है। इस तरह की तस्वीर के बीच सेना पर सवाल उठाने का मतलब यह है सत्तासीन सरकार से सेना के विश्वास में कमी का होना। ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सरकार और सेना के बीच आपसी सहयोग का रास्ता हमेशा खुला रहे लिहाजा इस तरह का बिल लाया गया है।

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