Tips For Food: गलती से भी किसी को अपने हाथ से न दें नमक, उठाने पड़ सकते हैं ये भारी नुकसान
Tips for food: भाेजन के दौरान अक्सर लोग नमक मांगते हैं। सब्जी में नमक की बात सुनते ही लोग तुरंत हाथ से नमक देने लगते हैं लेकिन यही ही जरा सी भूल आपके जीवन से खुशहाली को कम कर सकती है। जानिए कैसे आपका अपने हाथ से किसी दूसरे को नमक देना आपके लिए भारी हो सकता है।
नमक का टोटका
- एक−दूसरे को हाथाें से नमक कभी न दें
- जमीन या टेबल पर रखकर ही देना चाहिए नमक
- अच्छे से अच्छे संबंध टूटने की आ जाती है नौबत
Tips for food: जो अनाज, फल या उसके उत्पाद को हमसभी खाते हैं, यह एक पूर्ण अण्डज या भ्रूण होता है या कह सकते हैं कि उसके अंदर एक पूर्ण जीवित तंत्र है, जो उस वातावरण के गुणाें का समावेश करके रासायनिक क्षमताओं के रूप में विद्यमान है और जो उसका स्वामी होता है, वह उसी के मार्गदर्शन एवं गुणाें के साथ चलता है। उनमें वह सभी गुण उसके स्पर्श, उसके कर्म और उसकी मानसिकता से जुड़े रहते हैं।
इसी तरह कुछ खाद्य पदार्थ वो भी हैं जिन्हें यदि हम हाथ से सीधे किसी को देते हैं तो स्वयं को भारी नुकसान पहुंच सकता है। जिसमें प्रमुख है नमक। शास्त्रों में उल्लेख है कि यदि नमक एक दूसरे के हाथाें में दे दें तो अच्छे से अच्छा संबंध टूटकर बिखर जाता है। इसलिए यह नियम है कि नमक कभी भी एक दूसरे के हाथाें में न देकर, भूमि पर रखकर दिया जाता है।
ये है वैज्ञानिक आधार
नमक का सोडियम आयन (नमक का सूत्र) सक्रियता से विचारधारा बदल देता है। तंत्रिका तंत्र इसके आवेग से उच्चारित हो जाती है। इस कारण पति− पत्नी, पिता− पुत्र, माता− पुत्र, मित्र− मित्र में विवाद उत्पन्न होकर एकदम दूरियां बढ़ जाती हैं।
इनकी चोरी से हो सकता है त्वचा रोग
शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति घी, तेल चोरी करके खाता है उसे त्वचा रोग अवश्य भाेगना पड़ता है। इस तरह के व्यक्ति के विचार बदलते रहते हैं। वो शंकालु होता है। बार− बार अधर में लटकरकर घर में अशांति पैदा करते हैं। वहीं नीबू, संतरा, टमाटर माैसमी या गोभी, हरी सब्जियां, दूध आदि शरीर में घावों को भरने में सहायक होते हैं और त्वचा को कांतिमान बनाते हैं। इन्हें चोरी से, कपट से, दबाव से या बिना स्वीकृति के पेड़ाें के नीचे से उठाकर जो मानव खाता है या दूसरों को खाने को देता है, उसके मुख ये मवाद टपकता है। उसके जोड़ोें में सदैव दर्द बना रहता है और उसकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। उसके शरीर में, मांसपेशियों में कैंसर रोग की शुरुआत हो सकती है। उसकी त्वचा फटने लगती है। कुछ लोग इतने संस्कारविहीन होते हैं कि दुकान से चुपचाप फल उठा लेते हैं या धोखे से प्रसाद में रखे फल को पार करके खा जाते हैं। दूसरे के लिए दिए गए फल पर नजर रखते हैं। इस तरह के लोग सदैव ही संताप ग्रस्त रहते हैं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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