Chandra Grahan: राहु-केतु जल्द लगाएंगे चंद्र को ग्रहण, ये महिलाएं हो जाएं सावधान

Chandra Grahan 2022 Date And Time: इस साल आखिरी ग्रहण नवंबर में लगने जा रहा है। खास बात ये है कि ये ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा।

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Chandra Grahan Or Lunar Eclipse November 2022: चंद्र ग्रहण कब और कहां देगा दिखाई?

मुख्य बातें
  • साल का आखिरी ग्रहण होगा चंद्र ग्रहण, जो 8 नवंबर को लगेगा
  • धार्मिक मान्यताओं अनुसार ग्रहण राहु-केतु के कारण लगता है
  • ग्रहण काल में कई चीजों की सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है

Chandra Grahan 2022 Date And Time: साल का अंतिम और दूसरा चंद्र ग्रहण पूर्णिमा तिथि के दिन यानी 08 नवंबर 2022 को लगने जा रहा है। धार्मिक दृष्टि से देखें तो ग्रहण लगना अशुभ माना जाता है। खासकर इस दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। ये ग्रहण भारत में दिखाई दिया जिस वजह से इसका सूतक काल मान्य होगा। पौराणिक कथाओं अनुसार चंद्र ग्रहण राहु-केतु के कारण लगता है।

चंद्र ग्रहण 2022 तिथि और समय (Chandra Grahan 2022 November Date And Time)

चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को शाम 5 बजकर 32 मिनट पर लगेगा और इसकी समाप्ति शाम 6 बजकर 18 मिनट पर होगी। इसके सूतक काल की बात करें तो वो 8 नवंबर को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से लगेगा और समाप्ति शाम 6 बजकर 18 मिनट पर होगी।

कहां लगेगा चंद्र ग्रहण? भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण केवल पूर्वी भागों में दिखाई देगा और देश के बाकी हिस्सों में आंशिक चंद्र ग्रहण दिखेगा। भारत के अलावा ये ग्रहण उत्तरी-पूर्वी यूरोप, उत्तर अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशान्त महासागर, हिन्द महासागर और दक्षिण अमेरिका के अधिकांश हिस्सों से दर्शनीय होगा।

कैसे लगता है चंद्र ग्रहण? खगोल विज्ञान के अनुसार ग्रहण को खगोलीय घटना माना जाता है। चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा एक रेखा में आ जाते हैं। इस दौरान पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है। ऐसे में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। सामान्य शब्दों में पृथ्वी इस दौरान सूर्य और चंद्रमा के बीच में आकर चंद्रमा को आंशिक या पूर्ण रूप से ढक लेती है इसी घटना को चंद्र ग्रहण के नाम से जाना जाता है।

चंद्र ग्रहण लगने के धार्मिक कारण? चंद्र ग्रहण की घटना पूर्णिमा के दिन होती है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार सूर्य ग्रहण हो या फिर चंद्र ग्रहण दोनों घटनाओं को राहु-केतु के साथ जोड़कर देखा जाता है। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार स्वरभानु नामक का एक दैत्य था जिसने समुद्र मंथन से निकलने वाले अमृत की कुछ बूंदों का अमृतपान कर लिया था। स्वरभानु छल से देवताओं का रूप धारण करते देवताओं की कतार में जाकर बैठ गया था। लेकिन सूर्य देव और चंद्र देव ने उस असुर को पहचान लिया और इस बात की जानकारी तुरंत ही मोहिनी रूप धारण किए भगवान विष्णु को दे दी। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन तब तक असुर अमृतपान कर चुका था जिस वजह से उसका सिर यानी राहु और धड़ यानी केतु सदैव के लिए अमर हो गया। कहते हैं उस समय से ही राहु और केतु बदला लेने के उद्देश्य से सूर्य और चंद्र पर ग्रहण लगाते आ रहे हैं।

सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं रहें सावधान: वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण का प्रभाव हर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। लेकिन इस दौरान खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को सवाधान रहने की सलाह दी जाती है। मान्यता अनुसार गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए क्योंकि इसका बुरा प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दौरान नुकीली चीजें जैसे कि चाकू, सुई आदि का उपयोग भी नहीं करना चाहिए।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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