अमीन सयानी: देश का पहला रेडियो स्टार, जिसने अपनी आवाज़ से मचा दी थी धूम, घर-घर पहुंच गया था नाम
करीब 42 साल तक रेडियो सिलोन और फिर विविध भारती पर प्रसारित यह कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय रहा। दुनिया के कई देशों में बिनाका गीतमाला बड़े चाव से सुना जाता था।
नहीं रहे अमीन सयानी
Ameen Sayani: अपनी जादुई आवाज से बरसों तक दुनिया के कई देशों के श्रोताओं के दिलों पर राज करने वाले अमीन सयानी ने आज हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। अमीन सयानी का 91 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अमीन सयानी सही मायनों में देश पहले रेडियो स्टार रहे, जिनका रुतबा किसी फिल्म स्टार से कम नहीं था। एक जमाना था जब अपने ‘बिनाका गीत माला’ कार्यक्रम से उन्होंने देश-विदेश में धूम मचा दी थी। उनकी आवाज़ की कायल पूरी दुनिया हो गई थी।
सात साल की उम्र में पैदा हुई ललक
21 दिसंबर 1932 को मुंबई में जन्मे अमीन सयानी का परिवार स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा था। जब वह सिर्फ 7 साल के थे उन्होंने अपने भाई ब्रॉडकास्टर हामिद सयानी के साथ ऑल इंडिया रेडियो में पहली बार रेडियो प्रसारण देखा था। उसी दिन से उनके मन में ये बात घर कर गई कि वह भी एक दिन अपनी आवाज़ का जादू फैलाएंगे। उनकी मां कुलसुम और उनके भाई हामिद दोनों उनके गुरु रहे थे। 1952 में रेडियो सिलोन पर फिल्म गीतों का कार्यक्रम ‘बिनाका गीतमाला’ शुरू हुआ तो धूम मच गई। पहले कार्यक्रम के बाद ही इनके पास श्रोताओं के 9 हजार पत्र पहुंच गए। बाद में हर सप्ताह 50 हजार पत्र आने लगे।
20 साल के अमीन सयानी की बदल गई जिंदगी
करीब 42 साल तक रेडियो सिलोन और फिर विविध भारती पर प्रसारित यह कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय रहा। दुनिया के कई देशों में बिनाका गीतमाला बड़े चाव से सुना जाता था। उस दौर में इसी कार्यक्रम से फिल्म गीतों को उनकी लोकप्रियता का क्रम देने की पहली शुरुआत हुई। इसका श्रेय सयानी को ही जाता है। उन्होंने बिनाका गीतमाला के हिट परेड से इसकी शुरुआत की। बिनाका गीतमाला ने 20 साल के अमीन सयानी की जिंदगी पूरी तरह बदल दी। इतनी कम उम्र में लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। रेडियो के जरिए उनका नाम घर-घर में मशहूर हो गया। इससे रेडियो की दुनिया में भी क्रांति आई और यह मनोरंजन के बड़े माध्यम के रूप में लोकप्रिय हुआ। अमीन सयानी की हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू के साथ गुजराती भाषा पर भी मजबूत पकड़ थी।
बिनाका गीतमाला शुरू में 30 मिनट का था
बिनाका गीतमाला शुरू में 30 मिनट का कार्यक्रम था। 1952 में ही इसने आसमान छू लिया और दशकों तक शीर्ष पर कायम रहा। बिनाका गीतमाला, हिट परेड और सिबाका गीतमाला जैसे नाम बदले। इस कार्यक्रम ने संगीत को लेकर उनकी गहरी समझ को भी दिखाया। शो की सफलता ने एक रेडियो स्टार के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत कर दिया। यह दौर 1952 से 1994 तक चला, उसके बाद 2000-2001 और 2001-2003 में इसका पुनरुद्धार हुआ। शो के नाम में थोड़ा बदलाव किया गया, लेकिन इसका सार वही रहा।
श्रोताओं को बेसब्री से रहता था इंतजार
उनका शो बिनाका गीतमाला लगभग 42 वर्षों तक रेडियो सिलोन और बाद में ऑल इंडिया रेडियो के विविध भारती पर प्रसारित हुआ। श्रोताओं को उनके साप्ताहिक एपिसोड का बेसब्री से इंतजार रहता था। अमीन सयानी के पास 54,000 से अधिक रेडियो कार्यक्रमों की मेजबानी करने, वॉयस-ओवर देने का एक जबरदस्त रिकॉर्ड था। इसके अलावा वॉयस ओवर कलाकार के रूप में लगभग 19,000 जिंगल में उनके योगदान के लिए उन्हें लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह मिली थी। भारत में रेडियो प्रसारण में क्रांति लाने वाले इस महान कलाकार के निधन पर मनोरंजन जगत आज शोक मना रहा है। इंडस्ट्री में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
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