चीन और ताइवान के बीच क्या है विवाद, युद्ध हुआ तो कार से लेकर मोबाइल पर होगा असर
ताइवान और चीन के बीच विवाद की शुरूआत 1949 से शुरू होती है। जब 1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत हासिल कर राजधानी बीजिंग पर कब्जा कर लिया। और हार के बाद सत्ताधारी नेशनलिस्ट पार्टी (कुओमिंतांग) के लोगों को भागना पड़ा। कुओमिंतांग पार्टी के सदस्यों को ताइवान में जाकरण शरण लेनी पड़ी और वहीं पर उन्होंने अपनी सत्ता स्थापित कर ली।
चीन ताइवान को बार-बार दे रहा है धमकी
- चीन और ताइवान की सैन्य ताकत का मुकाबला नहीं
- पूरी दुनिया चिप के लिए ताइवान के भरोसे हैं।
- चीन के पास 20 लाख सक्रिय सैनिक हैं। जबकि ताइवान के पास 1.70 लाख सैनिक हैं।
74 साल पुराना है विवाद
ताइवान और चीन के बीच विवाद की शुरूआत 1949 से शुरू होती है। जब 1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत हासिल कर राजधानी बीजिंग पर कब्जा कर लिया। और हार के बाद सत्ताधारी नेशनलिस्ट पार्टी (कुओमिंतांग) के लोगों को भागना पड़ा। कुओमिंतांग पार्टी के सदस्यों को ताइवान में जाकरण शरण लेनी पड़ी और वहीं पर उन्होंने अपनी सत्ता स्थापित कर ली। उसी वक्त से चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। जबकि ताइवान के लोग अपने को आजाद मुल्क मानते हैं।ताइवान का अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है। चीन का लक्ष्य ताइवान को चीन के कब्जे को मानने के लिए मजबूर करने रहा है।
चीन और ताइवान में किसकी सेना भारी
ग्लोबल फॉयर पावर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार चीन दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत है। जबकि ताइवान 21 वीं बड़ी सैन्य ताकत है। चीन के पास 20 लाख सक्रिय सैनिक हैं। जबकि ताइवान के पास 1.70 लाख सैनिक हैं। इसी तरह चीन के पास 3285 एयर क्रॉफ्ट हैं। जबकि ताइवान के पास 751 एयर क्रॉफ्ट हैं। चीन के पास 281 अटैक हेलिकॉप्टर हैं तो ताइवान के पास 91 अटैक हेलिकॉप्टर हैं। चीन के पास 79 पनडुब्बियां हैं जबकि ताइवान के पास 4 पनडुब्बियां हैं। जाहिर है ताइवान अपने दम पर चीन से मुकाबला नहीं कर पाएगा। लेकिन अगर यूक्रेन की तरह ताइवान को अमेरिका सहित दूसरे देशों का साथ मिला तो रूस-यूक्रेन जैसे लंबे युद्ध के हालात बन सकते हैं।
युद्ध होने पर मोबाइल-कार पर सीधे असर
अगर चीन, ताइवान पर हमला करता है तो रूस-यूक्रेन युद्ध की तरह, दुनिया के सामने नया संकट खड़ा हो सकता है। असल में पूरी दुनिया चिप के लिए ताइवान के भरोसे हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अकेले ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, दुनिया का 92 फीसदी एडवांस सेमीकंडक्टर का उत्पादन करती है। इसी तरह की एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सेमीकंडक्टर से होने वाली कुल कमाई का 54 फीसदी हिस्सा ताइवान की कंपनियों के पास है। जाहिर है कि युद्ध के हालात में दुनिया में मोबाइल फोन, लैपटॉप , ऑटोमोबाइल, हेल्थ केयर, हथियारों आदि उत्पादों का उत्पादन संकट में पड़ जाएगा।
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