गुजरात में भाजपा की आदिवासियों पर नजर, 2017 में ऐसे बिगड़ गया था खेल
Gujarat Assembly Election 2022: भाजपा राज्य में वोटरों की बीच पैठ बनाने के लिए पिछले महीने अक्टूबर में मेहसाणा से गौरव यात्रा शुरू कर चुकी है। इसके तहत 5 रूट से यात्रा निकाली गई है। इसमें सबसे ज्यादा फोकस आदिवासी वोटरो पर हैं। आदिवसी वोटर आम तौर पर कांग्रेस के समर्थक रहे हैं।
- राज्य में करीब 89 लाख आदिवासी आबादी है। जो कि कुल आबादी का करीब 15 फीसदी है।
- 2017 के चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 27 सीटों में से भाजपा केवल 9 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी।
- भाजपा ने इस बार 182 में से 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात चुनाव का आगाज हो चुका है। राज्य में दो चरणों में एक और 5 दिसंबर को वोटिंग होगी, । इन चुनावों के नतीते तो 8 दिसंबर को आएंगे लेकिन इस बीच एक महीने में राजनीति के कई रंग देखने को मिलेंगे। 2022 का चुनाव भाजपा, कांग्रेस और आम आमदी पार्टी तीनों के लिए बेहद अहम है। और इसके लिए पार्टियां हर वोटर को लुभाने की कोशिश में हैं। इसी कड़ी में 27 साल से सत्ता में बैठी भाजपा ने इस बार 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। जो लक्ष्य वो आज तक हासिल नहीं कर पाई है। लेकिन भाजपा के इस लक्ष्य में सबसे कमजोर कड़ी आदिवासी वोटर हैं। जहां पर 2017 में उसका जादू नहीं चला था। ऐसे में इस बार भाजपा गौरव यात्रा के जरिए उन 27 सीटों पर खास फोकस कर रही हैं, जहां से उसे पिछली बार केवल 9 सीटें हासिल हुईं थीं। राज्य में करीब 89 लाख आदिवासी आबादी है। जो कि कुल आबादी का करीब 15 फीसदी है।
आदिवासी वोट बैंक पर नजर
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भाजपा राज्य में वोटरों की बीच पैठ बनाने के लिए पिछले महीने अक्टूबर में मेहसाणा से गौरव यात्रा शुरू कर चुकी है। इसके तहत 5 रूट से यात्रा निकाली गई है। करीब 500 किलोमीटर सबसे लंबी गौरव यात्रा उनई से अंबाजी तक निकाली गई है। इस रूट पर ही सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी के प्रभाव वाली विधानसभाएं पड़ती हैं। इसके अलावा उनई से फगवेल रूट भी आदिवासी बेल्ट के लिए जाना जाता है। भाजपा की कोशिश है कि परंपरागत रूप से कांग्रेस के वोटर रहे, आदिवासी समाज को अपने पाले में लाया जाय। 2017 के चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 27 सीटों में से भाजपा केवल 9 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी। जबकि कांग्रेस को 16 सीटों पर और 2 सीटों पर भारतीय ट्राइबल को जीत मिली थी।
भाजपा के लिए क्यों चुनौती
गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा को जीत मिली थी। लेकिन जहां तक सीटों की बात है, तो 1990 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था, जब 182 सीटों वाली विधानसभा में पार्टी को 100 से कम सीटें मिली थी। 2017 में भाजपा को 99 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि 1990 के बाद उसे कभी भी 115 से कम सीटें नहीं मिली थीं। इन चुनावों में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं। जो कि कांग्रेस का साल 1985 के चुनावों के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन था।
इसे देखते हुए उसके लिए आदिवासी वोटों में सेंध लगाने की चुनौती है, क्योंकि अगर वह इन 27 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके लिए फिर से सत्ता में वापसी करना आसान हो जाएगा।
चौथी गौरव यात्रा
भाजपा ने पहली बार साल 2002 में गौरव यात्रा निकाली थी। यह यात्रा 2002 में गोधरा कांड और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद निकाली गई थी, इसके बाद से वह लगातार गौरव यात्रा निकाल रही है।पिछले चुनाव के वक्त पाटीदार आंदोलन और जीएसटी को लेकर भाजपा के खिलाफ एक तरह का माहौल बन गया था। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में भाजपा बहुमत हासिल करने में कामयाब हो गई थी। इस बार फिर बीजेपी ने यात्रा निकालने का निर्णय लिया है।
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