दिल्ली बुलाना,माफी और CM पर बयान, जानें गहलोत से क्या संदेश देना चाहती हैं सोनिया गांधी
Congress President Election :अशोक गहलोत ने ऐलान कर दिया कि वह कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। दिखने में यह बात जितनी सीधी दिख रही है, वास्तव में वह ऐसी नही हैं। क्योंकि अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से करीब एक घंटे की मुलाकात के बाद, जो बयान दिया है, उसके कई सियासी संदेश निकल रहे हैं।
- आलाकमान यह संदेश देना चाहता है कि दबाव की राजनीति नहीं चलेगी।
- सोनिया गांधी के साथ मीटिंग में अशोक गहलोत को सीएम की कुर्सी को लेकर को ठोस आश्वासन नहीं मिला है।
- अशोक गहलोत के रेस से बाहर होने के बाद, दिग्विजय सिंह बनाम शशि थरूर हो सकता है चुनाव।
मुलाकात और बयान से निकले ये 3 अहम संदेश
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सबसे पहला संदेश तो यही था कि राजस्थान में जिस तरह 90 से ज्यादा विधायकों ने अशोक गहलोत के पक्ष में गुटबाजी की और आलाकमान के सामने शर्तें रखीं, उससे आलाकमान बेहद नाराज था। इसीलिए जब अशोक गहलोत सफाई के लिए, अपनी बात रखना चाहते थे। तो उन्हें न केवल दिल्ली बुलाया गया बल्कि उन्हें बुधवार की जगह बृहस्पितवार का समय दिया गया। संदेश साफ था कि आलाकमान यह संदेश देना चाहता था कि दबाव की राजनीति नहीं चलेगी।
दूसरा अहम संदेश सोनिया गांधी से मीटिंग के बाद अशोक गहलोत के बयान से निकलता है। जिसमें उन्होंने मीडिया के सामने सार्वजनिक तौर पर कहा कि राजस्थान में जो हुआ वह गलत था और विधायक दल का नेता होने के नाते, वह इसकी जिम्मेदारी लेते हैं। यही नहीं गहलोत ने कम से कम दो बार कहा कि पूरी घटनाक्रम के लिए, उन्होंने सोनिया गांधी से माफी मांगी है। आम तौर यह बातें बंद कमरें में होती हैं।
इसके अलावा मुख्यमंत्री पद पर अशोक गहलोत का बयान भी काफी मायने रखता है। उनसे जब यह पूछा गया कि राजस्थान का मुख्यमंत्री पद आपके पास रहेगा या कोई और बनेगा। तो उन्होंने कहा कि इसका फैसला सोनिया गांधी लेंगी। साफ है कि इन तीनों कदमों से सोनिया गांधी, पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं को यह संदेश देना चाहती है कि गांधी परिवार अभी भी कमजोर नहीं है। और उनके खिलाफ नाफरमानी नहीं चलेगी।
सीएम की कुर्सी किसके पास !
अशोक गहलोत के बयान से यह तो साफ है कि सोनिया गांधी के साथ मीटिंग में उन्हें सीएम की कुर्सी को लेकर को ठोस आश्वासन नहीं मिला है। ऐसे में आने वाले समय में यह देखना है कि राजस्थान प्रकरण के बाद सीएम की कुर्सी अशोक गहलोत के पास रहेगी या नहीं। हालांकि जिस तरह से राजस्थान में अशोक गहलोत के पक्ष में विधायक एकजुट हैं। ऐसे में आलकमान बड़ा जोखिम नहीं लेना चाहेगा। लेकिन सीएम की कुर्सी के फैसले पर सचिन पायलट फैक्टर कितना असर डालेगा, इसके लिए कुछ दिन और इंतजार करना होगा।
इस बीच सोनिया गांधी से मुलाकात के कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि एक बार फिर ऑब्जर्वर जयपुर जाएंगे और विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी। इसके बाद सीएम पद पर फैसला होगा।
दिग्विजय बनाम थरूर होगा चुनाव
अशोक गहलोत के रेस से बाहर होने के बाद, अब पूरी संभावना है कि दिग्विजय सिंह और शशि थरूर के बीच कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला होगा। लेकिन दलित नेता मुकुल वासनिक के नाम की भी चर्चा गरम है। कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 30 सितंबर है। ऐसे में कल पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। हालांकि राजस्थान में सब-कुछ शांत हो गया है, ऐसा सोचना जल्दबाजी होगी।
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