यूक्रेन में इंडियंस तक जंग की आंच! लोग कहते हैं- लौट जाओ, स्टूडेंस बोले- पढ़ाई के चलते फंसे, कैसे रहें हम?

Ukraine-Russia Row: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद के हफ्तों में साल 2022 में लगभग 18,000 छात्रों को यूक्रेन से बचाकर निकाला गया था। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें भारतीय संस्थानों या अन्य विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाएगी, पर ऐसा नहीं हुआ।

Ukraine-Russia War

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Ukraine-Russia Row: जंग की मार झेलने वाले यूक्रेन में हिंदुस्तान के छात्रों को स्थानीय लोगों के विरोध और गुस्से का सामना करना पड़ा है। भारत से जो बच्चे वहां अपनी मेडिकल डिग्री पूरी करने के लिए लौटे थे, उन्हें हाल ही में देखने पर यूक्रेनी लोग "वापस जाओ-वापस जाओ" के नारे लगाने लगे। चूंकि, भारत और रूस के लंबे समय से संबंध अच्छे रहे हैं। यही वजह है कि यूक्रेन के लोग इस वॉर में कहीं-न-कहीं इंडिया को रूस का समर्थक मानने लगे हैं, जबकि भारत ने कभी भी शांति के अलावा इस मसले पर खुलकर कभी कुछ नहीं कहा।

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हमारे सहयोगी अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को वहां स्थानीय लोगों का गुस्सा झेलन वाले स्टूडेंट ने बताया- स्थानीय लोग उन्हें (इंडियंस) को देश छोड़ने के लिए कह रहे हैं। पिछले आठ हफ्तों में यह स्थिति और भी खराब हो गई है।

हालांकि, छात्र नियमित रूप से अपनी राज्य सरकारों और केंद्र को लिख रहे हैं कि उन्हें किसी अन्य देश के विश्वविद्यालयों में ट्रांसफर करने की अनुमति दी जाए, लेकिन कोई फायदा नहीं दिखा है।

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद के हफ्तों में साल 2022 में लगभग 18,000 छात्रों को यूक्रेन से बचाकर निकाला गया था। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें भारतीय संस्थानों या अन्य विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाएगी, पर ऐसा नहीं हुआ। जनवरी 2023 से, लगभग 3,400 छात्र जोखिमों के बावजूद अपनी डिग्री पूरी करने के लिए यूक्रेन वापस चले गए थे।

जैसे-जैसे युद्ध लंबा खिंचा है, जनता का मूड भी तेजी से भारतीय छात्रों के खिलाफ होता जा रहा है। इस बीच, एक और स्टूडेंट ने बताया, "यूक्रेन के लोग कहते हैं कि हम भारतीय रूस के अच्छे दोस्त हैं वे चाहते हैं कि हम उनका देश छोड़ दें।" लड़की ने आगे बताया- कभी-कभी दुकानदार हमें चीजें नहीं बेचते हैं। हमें अपने छात्रावास में भी इसी चीज़ का सामना करना पड़ता है। कर्मचारी हमारे साथ अभद्र व्यवहार करते हैं।

एक और छात्र ने आरोप लगाया, "कभी-कभी पानी उपलब्ध नहीं होता है या बिजली चली जाती है, या दोनों ही दिक्कतें साथ आ जाती हैं। कभी-कभी रसोई नहीं खुलती है। हम कैसे जीवित रहेंगे? हम यहां फंस गए हैं क्योंकि हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।"

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अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

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