Phulera Dooj Katha in Hindi: राधा कृष्ण के प्यार का प्रतीक है फुलेरा दूज, यहां पढ़े फुलेरा दूज की कथा

Phulera Dooj 2023 Vrat Katha: फुलेरा दूज का पावन पर्व राधा-कृष्ण को समर्पित है। कहते हैं इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से राधा माता और भगवान कृष्ण की पूजा करता है उसकी लव लाइफ में आ रही सभी टेंशन दूर हो जाती हैं।

phulera dooj katha

फुलेरा दूज व्रत कथा

Phulera Dooj Katha in Hindi: फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को फुलेरा दूज का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस त्योहर का बहुत महत्व है। फुलेरा दूज राधा कृष्ण के प्यार का प्रतीक है । मान्यता है कि इस दिन राधा और कृष्ण का विवाह भी हुआ था साथ ही फुलेरा दूज पर बृज में फूलों की होली खेली जाती है। जिसका आनंद लेने दूर दूर से भक्त आते हैं। फुलेरा दूज पर भगवान राधाकृष्ण की पूजा करने का विधान है। फुलेरा दूज पर राधाकृष्ण के दर्शन करने और पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन में मधुरता आती है। इस बार फुलेरा दूज 21 फरवरी मंगलवार को मनाई जाएगी। फुलेरा दूज मनाने के पीछे एक दिलचस्प कहानी भी जुड़ी हुई है। यह कथा राधाकृष्ण के प्यार का प्रतीक है। जानते हैं फुलेरा दूज की कथा।

फुलेरा दूज व्रत कथा (Phulera Dooj Katha in Hindi)

फुलेरा दूज की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण राधा जी से बहुत दिनों तक नहीं मिले जिसके कारण राधा जी उदास रहने लगी उनके उदास होते ही वृंदावन के सारे फूल मुरझा गए। पेड़ सूखने लगे डालिया टूटने लगी राधा जी की उदासी देखकर पक्षियों ने पहचाना बंद कर दिया नदी की धारा स्थिर रह गई और वृंदावन में भी उदासी छाने लगी। भगवान कृष्ण से मिलने की वजह से राधा जी उदास रहने लगी जिसे देखकर गोपियां भी बहुत उदास रहती थी। राधा जी बस भगवान कृष्ण के दर्शन की आस लगाए बैठी रहती थी वह न तो कुछ खाती और न ही जल पीती थी।

जब भगवान कृष्ण ने वृंदावन की यह स्थिति देखी तो उन्हें आभास हुआ की यह सब राधा जी के कारण हो रहा है। राधा मुझे पुकार रही है और उदास स्तिथि में रहती है जिसके कारण वृंदावन में कली कली मुरझा गई है। ऐसी दशा देखकर भगवान कृष्ण जी वृंदावन के लिए निकल पड़े और राधा जी से मिलने के लिए वृंदावन आने लगे । जैसे ही कान्हा के आने की खबर मिली राधा जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई ।उनका चेहरा खिल उठा । फूल खिलने लगे, पक्षी चहचाने लगे , पेड़ हरे भरे हो गए। सभी गोपियां खुश हो गई।

भगवान कृष्ण राधा जी से मिले उनसे मिलकर राधा जी बहुत प्रसन्न हुई।कान्हा ने पास से फूल तोड़ा और राधा जी पर फेंका यह देखकर राधा जी भी कान्हा पर फूल फेंकने लगी। यह देखकर सभी ग्वाल और गोपियां एक दूसरे पर फूल फेंकने लगे और वृंदावन में त्योहार हो गया। वह दिन फुलेरा दूज का था । तभी से ही फूलों की होली खेलने का प्रचलन शुरू हुआ।

हर साल मथुरा वृंदावन में इसी दिन फूलों की होली खेली जाती है। हर साल फुलेरा दूज के दिन मंदिरों को सजाया जाता है और राधा कृष्ण के साथ फूलों की होली खेली जाती है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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