Margashirsha Purnima 2022: इस दिन है स्नान-दान पूर्णिमा, धन समृद्धि के लिए जानें पूजन का शुभ मुहूर्त और विधि

Margashirsha Purnima 2022: हमारे शास्त्रों और हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर स्नान, दान और ध्यान करना विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि इस दिन विश्वास और श्रद्धा से इस व्रत करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन के समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

Margashirsha Purnima 2022

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • 7 दिसंबर को प्रातः 08 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगा मार्गशीर्ष पूर्णिमा
  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर स्नान, दान और ध्यान करना विशेष फलदायी
  • इस दिन विश्वास और श्रद्धा से इस व्रत करने मिलता है मोक्ष, पापों से मुक्ति

Margashirsha Purnima 2022: मार्गशीर्ष पूर्णिमा का पुराणों में बहुत महत्व है। इसे स्नान-दान पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसका उल्लेख पद्म पुराण, स्कंद पुराण आदि ग्रंथों में भी मिलता है। हिन्‍दू पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 7 दिसंबर 2022 को रखा जाएगा। मार्गशीर्ष यानी अगहन महीने को भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय मास माना गया है। इसलिए, पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत व पूजा करने पर जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर स्नान, दान और ध्यान करना विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि इस दिन विश्वास और श्रद्धा से इस व्रत करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तिथि, मुहूर्त और इस दिन चंद्र देव की पूजा का महत्व।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का मुहूर्त

इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा 7 दिसंबर को प्रातः 08 बजकर 01 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 08 दिसंबर 2022 को सुबह 09 बजकर 37 मिनट पर समाप्‍त होगा। यानी इस बार दो दिनों तक स्नान-दान कर पूर्णिमा का फल अर्जित कर सकते हैं।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में पूर्णिमा को विशेष तिथि के रूप में देखा जाता है। मान्‍यता है कि इस दिन किए गए स्नान का फल एक हजार बार किए गए गंगा स्नान और सौ बार किए गए माघ स्नान के बराबर होता है। इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मोक्षदायिनी पूर्णिमा भी कहा जाता है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्णत्व की स्थिति में होता है। वहीं, इस‍ि दिन किए जाने वाले दान से अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना अधिक फल मिलता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर प्रात:काल उठकर भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करें और आचमन करें। साथ ही श्री हरि को आसन, गंध और पुष्प आदि अर्पित करने के साथ ॐ नमोः नारायण कहकर श्री हरि का आह्वान करें। पूजा स्थल पर वेदी बनाएं और तेल, घी और बूरा आदि से हवन करें। व्रत के दूसरे दिन गरीब लोगों या ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान-दक्षिणा दें।

Vivah Muhurat 2023: साल 2023 में कब-कब बजेगी शहनाई, जानें जनवरी से दिसंबर तक की सभी तारीखें

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का महत्व

पुराणों में मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को दूध से अर्घ्य देने पर मानसिक शांति मिलती है। साथ ही घर और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पूर्णिमा पर चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को कच्चे दूध के साथ मिश्री और चावल मिलाकर अर्पण करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। इससे परिवार में हमेशा धन-संपत्ति बनी रहती है।

डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author

अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। अपने न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत की सोच ए...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited