Jaya Ekadashi Katha In Hindi: जया एकादशी पर जरूर पढ़ें गंधर्व की ये कथा

Jaya Ekadashi Vrat Katha: हिंदू धर्म में जया एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से व्रत रख इस पावन कथा को पढ़ता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं।

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Ekadashi Vrat Katha: एकादशी व्रत कथा इन हिंदी यहां देखें

Ekadashi Vrat Katha in Hindi: माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार ये एकादशी 1 फरवरी दिन बुधवार को पड़ी है। मान्यता है इस एकादशी व्रत को करने से मनुष्यों को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान पूजा की जाती है। हिंदू धर्म ये व्रत बेहद ही फलदायी माना गया है। इस एकादशी को दक्षिण भारत के कुछ हिंदू समुदायों, खासकर कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में ‘भूमि एकादशी’ और ‘भीष्म एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। जानिए जया एकादशी की पावन व्रत कथा।

जया एकादशी व्रत कथा (Jaya Ekadashi Vrat katha In Hindi)

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में नंदन वन में उत्सव हो रहा था। जिस उत्सव में सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि भी पधारे थे। उत्सव में संगीत और नृत्य का भी आयोजन किया गया था। इस उत्सव में माल्यवान नाम का एक गंधर्व भी था जो बेहद सुरीला गाता था और पुष्यवती नाम की एक सुंदर नृत्यांगना नृत्य कर रही थी। नृत्य के दौरान दोनों एक-दूसरे की तरफ मोहित हो गए और अपनी लय व ताल से भटक गए। ऐसे में उनके इस व्यवहार पर इंद्र देव को क्रोध आ गया और उन्होंने दोनों को स्वर्ग लोक से निष्कासित करके मृत्यु लोक में निवास करने का श्राप दे दिया जिसके कारण दोनों पिशाचों का जीवन व्यतीत करने लगे।

श्राप के प्रभाव से दोनों प्रेत योनि में चले गए और दुख भोगने लगे। इस दौरान उन दोनों को अपने किए पर पछतावा होने लगा। संयोगवश एक बार माघ शुक्ल की जया एकादशी को दोनों ने पूरे दिन भोजन नहीं किया। बस दिन में एक बार फलाहार ग्रहण किया और एक पीपल के पेड़ के नीचे पूरी रात गुजारी। साथ ही अपनी गलती का पश्चाताप करने लगे। इसके बाद सुबह होते ही उन्हें पिशाची जीवन से मुक्ति मिल गई। उन्हें ये बात मालूम नहीं थी कि उस दिन जया एकादशी थी और अनजाने में ही उन्होंने जया एकादशी का व्रत कर लिया। जिस वजह से उन्हें भगवान विष्णु की कृपा से पिशाच योनि से मुक्त मिल गई। जया एकादशी व्रत के प्रभाव से दोनों पहले से भी अधिक रूपवान हो गए और फिर से मृत्युलोक से स्वर्ग लोक में पहुंच गए।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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