Hanuman Ji Ki Aarti: मंगलवार को पढ़ें 'आरती कीजै हनुमान लला की' आरती, हर दुख-पीड़ा दूर करेंगे मारुति नंदन

Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi (आरती कीजै हनुमान लला की): हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित है। इस दिन भगवान हनुमान की विधि अनुसार पूजा करने से शक्ति, ज्ञान, सुख, संपत्ति और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा के लिए यहां देखें उनकी आरती लिरिक्स हिंदी में।

Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi

Hanuman Ji Ki Aarti 'Aarti Kije Hanuman Lala Ki' Lyrics In Hindi

मुख्य बातें
  • शिव‌ जी के सबसे बलवान और बुद्धिमान अवतार हैं बजरंगबली।
  • भगवान श्री राम के परम भक्त माने गए हैं हनुमान जी।
  • श्री राम की सहायता के लिए हुआ था मारुति नंदन का जन्म।

Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi (आरती कीजै हनुमान लला की): बजरंगबली को भगवान शिव का सबसे बलवान और बुद्धिमान अवतार माना जाता है। कहा जाता है कि बजरंगबली का जन्म भगवान राम जी की सहायता के लिए हुआ था। भारतीय महाकाव्य रामायण में हनुमान जी का वर्णन मुख्य रूप से मिलता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, जो भक्त मंगलवार को विधि अनुसार, पवन पुत्र के लिए व्रत रखता है तथा उनकी पूजा करता है उसे मारुति नंदन की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यताओं के अनुसार, महावीर की पूजा करने से किसी भी चीज का भय नहीं रहता है तथा शक्ति के साथ ज्ञान की भी प्राप्ति होती है। भगवान हनुमान की पूजा करने से समाज में मान-सम्मान भी बढ़ता है। अगर आप भी भगवान हनुमान की पूजा करते हैं तो यहां देखें उनकी आरती लिरिक्स हिंदी में।

आरती शुरू करने से पहले करें इस मंत्र का जाप, (Hanuman Ji Ka Mantra)अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्

दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् |

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्

रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ||

हनुमान जी की आरती लिरिक्स हिंदी में, Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics In Hindiआरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे॥

पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥

सुर नर मुनि आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें॥

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥

जो हनुमानजी की आरती गावे। बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥

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