शिव शक्ति और तिरंगा प्वाइंट: कैसे किया जाता है चांद की सतह का नामकरण, कौन देता है इसे मान्यता? जानें
Shiv Shakti and Tiranga Point on Moon: चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने जिस जगह पर अपने कदम रखे, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिव शक्ति प्वाइंट नाम दिया। इसके अलावा चंद्रयान-2 का लैंडर जहां क्रैश हुआ था उसे तिरंगा प्वाइंट नाम दिया है। आइए जानते हैं चांद की सतह पर नामकरण की परंपरा के बारे में...
चंद्रमा की सतह पर नामकरण
Shiv Shakti and Tiranga Point on Moon: चंद्रयान-3 ने जब चांद की सतह को चूमा तो भारत ने इतिहास रच दिया। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बना। इसके बाद बीते शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी घोषणा की। उन्होंने चांद की सतह पर दो प्वाइंट का नामकरण किया। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने जिस जगह पर अपने कदम रखे, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिव शक्ति प्वाइंट नाम दिया। इसके अलावा चंद्रयान-2 का लैंडर जहां क्रैश हुआ था उसे तिरंगा प्वाइंट नाम दिया है।
पीएम मोदी की इस घोषणा के बाद चांद की सतह पर शिव शक्ति और तिरंगा प्वाइंट की काफी चर्चा है। लोग जानना चाहते हैं कि चांद की सतह का नामकरण किस प्रकार किया जाता है? इसे मान्यता कौन देता है? क्या शिव शक्ति और तिरंगा प्वाइंट के अलावा चांद पर और भी प्वाइंट हैं। आइए, जानते हैं...
नामकरण की वैज्ञानिक परंपरा
इंसान ने जब से चांद पर अपने खोज अभियान शुरू किए हैं, तब से चांद की सतह के नामकरण की वैज्ञानिक परंपरा है। 1919 में इसके लिए इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) की स्थापना की गई थी, जो खगोलीय पिंडों के नामकरण को मानकीकृत करने वाली नोडल संस्था है। इसमें कार्यकारी समिति, प्रभाग, आयोग और कार्य समूह जैसे विभिन्न कार्य बल हैं, जिनमें दुनिया भर के पेशेवर खगोलविद शामिल हैं।
प्रस्तावित नामों को दी जाती है मंजूरी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब किसी ग्रह या उपग्रह की सतह की पहली तस्वीरें प्राप्त की जाती हैं, तो इनका नामकरण किया जाता है, इसके लिए इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन कार्य समूह द्वारा नाम प्रस्तावित किए जाते हैं। सभी प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद IAU का वर्किंग ग्रुप फॉर प्लैनेटरी सिस्टम नॉमेनक्लेचर (WGPSN) इन मामलों में प्रस्तावित नामों को मंजूरी देता है। इसके लिए वोटिंग भी कराई जाती है। अनुमोदन के बाद इन नामों का उपयोग मानचित्रों और अन्य प्रकाशनों में किया जाता है।
क्रेटर के भी तय किए जाते हैं नाम
इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन चंद्रमा के गड्ढों (क्रेटर) का भी नामकरण करता है। इनके नाम जानेमाने वैज्ञानिकों, कलाकारों या एक्सप्लोर्स के नाम पर रखे जाते हैं। अपोलो क्रेटर और मेयर मॉस्कोविंस के पास क्रेटर्स के नाम अमेरिकी और रूसी अंतरिक्षयात्रियों के नाम पर रखे गए हैं। वहीं, 2020 में, चंद्रयान -2 द्वारा देखे गए चंद्रमा के क्रेटर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया था। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने 'साराभाई क्रेटर' की तस्वीरें लीं थीं।
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मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें
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