Explainer: उत्तराखंड में ऐसा मंसूबा पालने वालों को मिलेगा कठोर दंड, जानें क्या होता है निकाह हलाला

UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक के जरिए 'हलाला' जैसी कुप्रथाओं को तगड़ी चोट दी है। अब निकाह हलाला जैसा कृत्य आपराधिक श्रेणी में आएगा। आपको समझाते हैं कि आखिर निकाह हलाला है क्या, जिसकी आड़ में मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार होता है।

UCC in Uttarakhand Nikah Halala

UCC से हलाला पर होगा चोट।

Nikah Halala In Islam: ऐसी कई कुप्रथाए हैं, जिनकी आड़ में महिलाओं पर अत्याचार किया जाता है। महिलाओं की मजबूरियों का फायदा उठाने के लिए तरह-तरह के षड्यंत्र रचे जाते हैं। ऐसी ही एक प्रथा है, जिसे 'निकाह हलाला' के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में यूसीसी विधेयक को पारित कराने के लिए बुलाये गए विधानसभा के विशेष सत्र में पेश हुए ‘समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024’ विधेयक में धर्म और समुदाय से परे सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, हलाला, उत्तराधिकार, संपत्ति जैसे विषयों पर एक समान कानून प्रस्तावित है। इसके तहत 'हलाला' जैसी प्रथाओं को आपराधिक कृत्य बनाया जाना है। आपको इस रूह कंपा देने वाली प्रथा के बारे में बताते हैं।

हलाला को हथियार बनाने वालों की अब खैर नहीं

विधेयक में बहु विवाह पर रोक लगाई गयी है और कहा गया है कि एक पति या पत्नी के जीवित रहते कोई नागरिक दूसरा विवाह नहीं कर सकता। इसमें यह भी प्रस्तावित है कि असाधारण कष्ट की स्थिति को छोड़कर न्यायालय में तलाक की कोई भी अर्जी तब तक प्रस्तुत नहीं की जाएगी जब तक कि विवाह हुए एक वर्ष की अवधि पूरी न हुई हो। विधेयक में मुस्लिम समुदाय में तलाकशुदा पत्नी के लिए प्रचलित ‘हलाला’ को प्रतिबंधित करने के साथ ही उसे आपराधिक कृत्य घोषित करते हुए उसके लिए दंड का प्रावधान किया गया है।

मुस्लिम महिलाओं की अस्मत लूटने का सिलसिला

निकाह हलाला के नाम पर मुस्लिम महिलाओं की अस्मत लूटने का सिलसिला काफी पुराना है। इस्लामिक प्रथा की आड़ में न जाने कितनी महिलाओं की मजबूरियों का फायदा उठाया जाता है। एक मुस्लिम महिला का हलाला के नाम पर शारीरिक शोषण किया जाता है और उसका फायदा उठाया जाता है।

मजबूरी का फायदा उठाकर महिला के साथ गुजारते हैं रात

इस्लामी कानून (मुस्लिम पर्सनल लॉ) के प्रावधानों के तहत निकाह हलाला से जुड़े ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें शादी बचाने के लिए महिला के साथ यौन संबंध स्थापित किए जाते हैं। इस प्रथा में कई मौलवियों ने महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ रात गुजारी है। कई मीडिया एंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट्स में ये खुलासा हो चुका है कि निकाह हलाला की विवादित प्रक्रिया का हिस्सा बनने के एवज में लाखों रुपये तक की रकम ऐंठे जाते हैं।

जानिए क्या है रूह कपां देने वाली प्रथा निकाह हलाला

अगर किसी मुस्लिम महिला का तलाक हो चुका है या यूं कहें कि किसी के शौहर ने अपनी बेगम को तीन तलाक दे दिया हो और अगर महिला उसी शौहर से दोबारा निकाह करना चाहती है, तो उसे एक एक अजीबो-गरीब प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। महिला को पहले किसी और शख्स से शादी कर एक रात गुजारनी पड़ती है, यूं कहे कि महिला के साथ कोई दूसरा शख्स एक रात के लिए सेक्स करता है, इसे निकाह हलाला कहते हैं।

क्या सचमुच इस्लाम में हराम है हलाला?

जब महिला किसी दूसरे शख्स से निकाह कर लेती है और एक रात गुजार लेती है, तो फिर बाद उस दूसरे शख्स से महिला को तलाक लेना होता है। दूसरे शख्स से तलाक होने के बाद ही वो अपने पहले पति के साथ दोबारा निकाह कर सकेगी। अजीब बात तो ये भी है कि तलाक देने के लिए दूसरे पति को मजबूर नहीं किया जा सकता, वो अगर तलाक देना न चाहे तो दोनों शौहर-बेगम को जिंदगी साथ बितानी पड़ेगी। कई इस्लामिक स्कॉलर्स कहते हैं कि मौलवियों ने अपने मर्जी से हलाला के इस नियम को तोड़ा-मरोड़ा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस्लाम में हालाला हराम है। अगर कोई शौहर अपनी बेगम को तलाक-ए-मुगल्लज़ा यानी तीन तलाक दे देता है, तो वो उस महिला से दोबारा निकाह नहीं कर सकता है। इस प्रथा को लेकर कई अलग-अलग दावे किए जाते हैं।

यूसीसी से ऐसी 'कुप्रथाओं' पर लगेगा पूर्णविराम

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने से उत्तराखंड में इस तरह की कुप्रथाओं पर प्रतिबंध लग जाएगा। इस संहिता को यदि आसान भाषा में समझा जाए तो इसका सीधा मतलब है, 'एक देश-एक कानून...' शादी, तलाक, गोद लेने के नियम, उत्तराधिकारी, संपत्तियों से जुड़े मामलों के लिए सभी धर्मों में अलग-अलग कानून हैं। समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद सभी के लिए सिर्फ एक ही कानून होगा। उत्तराखंड के बाद अगर देश में भी यूसीसी लागू हो जाता है तो निकाह हलाला जैसी कुप्रथाओं पर लगाम लग जाएगा।

यूसीसी पर अधिनियम बनाकर उसे प्रदेश में लागू करना 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में से एक था। वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर इतिहास रचने के बाद भाजपा ने मार्च 2022 में सत्ता संभालने के साथ ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक में यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी थी। कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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