Kanpur News: यूपी के इस गांव से बीते 140 साल से विदा नहीं हुई है कोई दुल्हन, हर बार इस कारण बैरंग लौटी है बारात

Groom Not Get Bride: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक ऐसा गांव है, जहां 140 साल बाद भी दूल्हों को दुल्हन नहीं मिल पाई हैं। इस साल भी यहां से बारात बैरंग लौट गई। आइए जानते हैं यहां ऐसा क्यों होता है।

jaunpur bride

बीते 140 साल से इस गांव से विदा नहीं हुई है कोई बारात

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  1. यहां बीते 140 वर्षों से विदा नहीं हुई कोई दुल्हन
  2. इस साल भी बिना दुल्हन लिए ही वापस लौट गई बारात
  3. अगले साल फिर बारात लेकर आने की चेतवानी दी

Groom Not Get Bride: कानपूर के पास जौनपुर जिले में कई साल से दो गांव से आ रही बारात को इस वर्ष भी बिना दुल्हन के ही खाली हाथ लौटना पड़ा। दो गांवों से हाथी-घोड़े पर सवार होकर आए दूल्हे और बाराती बैंड बाजे की धुन पर थिरकते बारात लेकर पहुंचे थे। लेकिन इस साल भी दूल्हों और बारातियों को मायूसी ही हाथ लगी। हालांकि इस दौरान लौटते समय दोनों गांवों के लोग अगले साल फिर बारात लेकर आने की चेतवानी देकर गए हैं। आपको बता दें कि यहां 140 वर्षों से चली आ रही यह एक परम्परा है। यह परम्परा हर साल कजरी के दिन निभाई जाती है।

जानकारी के अनुसार, इस साल भी राजेपुर और कजगांव से कई लोग अपने आपको दूल्हा बताकर सैकड़ों लोगों के संग शादी के लिए आए , लेकिन बिना दुल्हन के अगले साल फिर बारात लेकर आने की बात कहते हुए वापस लौट गए ।

बैंड-बाजे की धुन पर घंटों जमकर थिरके बाराती

करीब 140 वर्षों का इतिहास संजोये टेढ़वा स्थित पोखरे पर राजेपुर और कजगांव की ऐतिहासिक बारातें पहले की तरह बुधवार (17 अगस्त) को आईं। बारात में हाथी, घोड़े, ऊंट पर सवार बैंड-बाजे की धुन पर बाराती घंटों जमकर थिरके, लेकिन इस वर्ष भी बिना दुल्हन के बारात को वापस जाना पड़ा। स्थानी छोटेलाल के अनुसार, जब हम पैदा भी नहीं हुए थे, हमारी पैदाइश के पहले से मेला चलता आ रहा है।

हर साल चली आ रही है यह परंपरा

बताया जाता है कि बगल के गांव की दो लड़कियां जरई बोने तालाब में गई थीं। जहां दोनों के बीच कजरी गीत गाने की प्रतियोगिता शुरू हो गई। रात हो गई, लेकिन प्रतियोगिता में मामला बराबर रहा। उसके बाद से उस इलाके के नवाब ने सुबह लड़कियों को जाते समय विदाई के स्वरूप कपड़ा दिया और विदाई की। उसके बाद से यह परंपरा हर साल चला आ रही है। इसके बाद से ही यहां मेला भरना शुरू हुआ था।

मंडप लगाकर गाए जाते हैं मांगलिक गीत

मेले से पहले जहां कजगांव में जगह-जगह मंडप सज जाते हैं, वहीं महिलाएं मंगल गीत गाती दिखाई देती हैं। यही हाल राजेपुर गांव में भी होता है। वैदिक रीति के अनुसार मंडप लगाकर मांगलिक गीत गाए जाते हैं। मेले के दिन बकायदा उसी ढंग से महिलाएं बारात को विदा करती हैं, जैसे वास्तविक में बारात विदा की जाती है। गाजे-बाजे संग पोखरे पर बारात आती है, जहां दोनों छोर के बाराती शादी के लिए एक दूसरे को ललकारते हैं, लेकिन सूर्यास्त के साथ बिना दुल्हन के बारात वापस चली जाती है। यह मेला पूरी तरह परम्परागत ढंग से होता है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | कानपुर (cities News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

    Times Now Digital author

    Professionals & enthusiasts who write about politics to science, from economy to education, from local issues to national events and global affairs, t...और देखें

    End of Article

    © 2024 Bennett, Coleman & Company Limited