पुरानी पेंशन स्कीम से बढ़ेगा सरकार पर बोझ, नई पेंशन स्कीम के मुकाबले 4 गुना से ज्यादा होगा खर्च

Old Pension Scheme: राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश राज्यों ने एनपीएस की जगह फिर से ओपीएस लागू करने की घोषणा की, जिसे पेंशन सुधारों के तहत एक दशक पहले लागू किया गया था।

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Updated Sep 19, 2023 | 09:56 AM IST

Old Pension Scheme vs New Pension Scheme

पुरानी पेंशन स्कीम से बढ़ेगा सरकार का खर्च

मुख्य बातें
  • पुरानी पेंशन स्कीम से बढ़ेगा सरकार का खर्च
  • आरबीआई के अर्थशास्त्रियों ने चेताया
  • जीडीपी पर पड़ेगा ज्यादा बोझ
Old Pension Scheme: केंद्र सरकार पूरे भारत में नई पेंशन स्कीम (New Pension Scheme) को लागू करने को लेकर काफी प्रयास कर रही है। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अर्थशास्त्रियों की एक नई स्टडी सामने आई है, जिसमें पुरानी पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) के बहुत अधिक खर्चीला होने का खुलासा हुआ है।
आरबीआई के अर्थशास्त्रियों की इस स्टडी के मुताबिक यदि सभी राज्य 2023 में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू कर दें, तो संचयी राजकोषीय बोझ (Fiscal Burden) न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) का 4.5 गुना तक हो सकता है। वहीं 2060 तक अतिरिक्त बोझ सालाना सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 0.9 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।

पीछे की ओर जाने वाला कदम

इस स्टडी पेपर को Fiscal Cost of Reverting to the Old Pension Scheme by the Indian States – An Assessment नाम दिया गया है। इस स्टडी में आरबीआई को इकोनॉमिस्ट अचित सोलंकी, सोमनाथ शर्मा, आर के सिन्हा, एस आर बेहरा और अत्रि मुखर्जी ने तैयार किया है।
इसमें कहा गया है कि पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करना 'पीछे की ओर जाने' वाला एक कदम होगा। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार रिसर्च पेपर में जाहिर किए गए विचार इन अर्थशास्त्रियों के हैं, आरबीआई के नहीं हैं।

कई राज्यों ने शुरू की पुरानी पेंशन व्यवस्था

हाल ही में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश राज्यों ने एनपीएस की जगह फिर से ओपीएस लागू करने की घोषणा की, जिसे पेंशन सुधारों के तहत एक दशक पहले लागू किया गया था।
स्टडी पेपर में कहा गया है कि ओपीएस में डिफाइंड बेनेफिट्स (डीबी) हैं, जबकि एनपीएस में डिफाइंड कॉन्ट्रिब्यूशंस है।

शॉर्ट टर्म में फायदा, लॉन्ग टर्म में नुकसान

लेख में कहा गया है कि ओपीएस में लौटने वाले राज्यों के लिए शॉर्ट टर्म फायदा यह है कि उन्हें कर्मचारियों के एनपीएस योगदान पर खर्च नहीं करना पड़ेगा, लेकिन भविष्य में अनफंडेड ओपीएस उनकी फाइनेंसिंग पर "गंभीर दबाव" डाल सकती है।
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