चुनावी बजट 'सपनों के सौदागर' जैसा, सिर्फ 'हम दो-हमारे दो' पर मोदी सरकार ने दिया जोर- विपक्ष, जानें- कौन क्या बोला?

Budget 2023 Political Reactions in Hindi: इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चीफ ममता बनर्जी ने केंद्रीय बजट को “पूर्णत: अवसरवादी” और “जन विरोधी” करार दिया। उन्होंने कहा कि गरीब वंचित रह जाएंगे और सिर्फ एक वर्ग के लोगों को इस बजट से फायदा होगा।

Budget 2023 Political Reactions in Hindi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र में उनके नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने भले ही आम बजट 2023-24 को आकांक्षाओं से भरे समाज के सपनों को पूरा करने वाला बताया हो, मगर विपक्षी दलों ने इसे पूर्ण रूप से चुनावी कदम करार दिया। कहा कि यह आने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए पेश किया गया है और यह सिर्फ सपनों के सौदागर सरीखा है। केंद्रीय बजट में सिर्फ हम दो (नरेंद्र मोदी और अमित शाह) - हमारे दो (मुकेश अंबानी-गौतम अडानी) पर फोकस किया गया है। आइए, जानते हैं कि किस दल की ओर से किस तरह की प्रतिक्रिया आई है:

कांग्रेस के सांसद शशि थरूर के अनुसार, बजट में कुछ अच्छी चीजें हैं, पर इसमें MNREGA, गांव में रहने वाले गरीब श्रमिक, बेरोजगारी और महंगाई पर कुछ नहीं कहा गया। बुनियादी सवालों के जवाब अभी भी दिए जाने बाकी हैं। कांग्रेस के के.सुरेश ने कहा, "यह प्रो-कॉरपोरेट बजट है। अडानी के हितों को इस बजट में पूरा किया गया है। ये अडानी, अंबानी और गुजरात के लिए है।"

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जेडी(यू) के सांसद राजीव रंजन के मुताबिक, इस बजट में कुछ नहीं है। यह "सपनों के सौदागर" जैसा है। आप जब सपने से जागते हैं, तब आप कुछ भी नहीं पाते हैं। महंगाई काबू करने और बेरोजगारी को संभालने पर इसमें कुछ भी नहीं कहा गया। इस बीच, टीएमसी नेता शत्रुघ्न सिन्हा बोले- इस बजट में मुख्य तौर पर "हम दो, हमारे दो" पर जोर दिया गया और इसमें कुछ भी खास नहीं है।

वहीं, यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपाई बजट महंगाई और बेरोज़गारी दोनों को और बढ़ाते हैं। उन्होंने यह बात ट्वीट के जरिए कही, जबकि पत्नी डिंपल यादव ने कहा कि यह बजट चुनाव को ध्यान में रखकर पेश किया गया है। सरकार ने किसानों की एमएसपी, युवाओं और रोजगार पर कुछ नहीं कहा। भारतीय रेल भी इस मामले में नजरअंदाज कर दिया गया।

पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने बताया कि यह पिछले आठ-नौ साल जैसा ही बजट है। टैक्स बढ़ा दिया गया है, जबकि जन कल्याण योजनाओं और सब्सिडी पर रकम नहीं खर्च की गई है। बड़े कारोबारियों और क्रोनी कैपिटलिस्ट्स के लिए यह टैक्स जुटाया जा रहा है। टैक्स से पब्लिक को फायदा होना चाहिए, पर वही उनकी कमर तोड़ रहा है।

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उधर, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों? बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर होता है क्योंकि देश के 130 करोड़ गरीब, मजदूर, वंचित और किसान अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं। पिछले नौ वर्षो में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही लेकिन मध्यम वर्ग महंगाई व बेरोजगारी के कारण निम्न मध्यम वर्ग बन गया हैं।

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अभिषेक गुप्ता author

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