NASA ने रचा इतिहास, पृथ्वी से 'टकराने वाले' उल्कापिंड का सैंपल ले धरती पर पहुंचा नासा का कैप्सूल

अंतरिक्ष की गहराइयों से उल्कापिंड के नमूनों को लेकर नासा का पहला अंतरिक्ष कैप्सूल सात साल की यात्रा पूरी कर रविवार को उताह रेगिस्तान में उतरा। पृथ्वी के पास से गुजरते हुए, ओसिरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान ने कैप्सूल को 63,000 मील (100,000 किलोमीटर) दूर से छोड़ा था।

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नासा के पहले क्षुद्रग्रह नमूने पृथ्वी पर पहुंचे (फोटो- NASA)

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने स्पेस की दुनिया में एक और इतिहास रच दिया है। अमेरिका किसी भी उल्कापिंड का सैंपल लेकर धरती पर सफलता से लैंड करने वाला अब दूसरा देश बन गया है। इससे पहले जापान ने ऐसा कारनामा किया था। नासा के कैप्सूल ने उस उल्कापिंड का सैंपल लेकर लैंड किया है, जिसके धरती से टकराने की उम्मीद है, अगर यह टक्कर होती है तो धरती पर तबाही आ जाएगी।

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सात साल की यात्रा

अंतरिक्ष की गहराइयों से उल्कापिंड के नमूनों को लेकर नासा का पहला अंतरिक्ष कैप्सूल सात साल की यात्रा पूरी कर रविवार को उताह रेगिस्तान में उतरा। पृथ्वी के पास से गुजरते हुए, ओसिरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान ने कैप्सूल को 63,000 मील (100,000 किलोमीटर) दूर से छोड़ा था। लगभग चार घंटे बाद यह कैप्सूल पैराशूट के जरिये सेना के उताह परीक्षण एवं प्रशिक्षण रेंज में उतर गया।

मिलेगा सिर्फ एक कप नमूना

वैज्ञानिकों को बेन्नू नामक कार्बन-समृद्ध क्षुद्रग्रह से कम से कम एक कप मलबा मिलने का अनुमान है। हालांकि, जब तक कंटेनर को खोला नहीं जाता, उसमें मिलने वाली सामग्री के बारे में पुष्ट तरीके से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। रविवार को पहुंचे क्षुद्रग्रह के नमूनों के अध्ययन से वैज्ञानिकों को 4.5 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल की शुरुआत के संबंध में और बेहतर ढंग से यह समझने में मदद मिलेगी कि पृथ्वी और जीवन ने कैसे आकार लिया। क्षुद्रग्रह के नमूने वापस लाने वाला एकमात्र अन्य देश जापान दो क्षुद्रग्रह मिशन से केवल एक चम्मच मलबा ही एकत्र कर सका था।

नासा का मिशन

ओसिरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान ने 2016 में अपना मिशन शुरू किया था और इसने बेन्नू नामक क्षुद्रग्रह के नजदीक पहुंचकर 2020 में नमूने एकत्र किए थे। इन नमूनों को सोमवार को ह्यूस्टन स्थित नासा के जॉनसन अंतरिक्ष केंद्र में ले जाया गया, जहां इसपर रिसर्च किया जाएगा।

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