खालिस्तान प्रेम पर ट्रूडो का अपनों ने ही छोड़ा साथ, बाइडन चुप तो बाकियों ने की खानापूर्ति
कनाडा के सबसे बड़ा मित्र अमेरिका इस मामले पर सिर्फ खानापूर्ति ही करता दिखा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इस मामले पर चुप ही हैं, वो इन आरोपों के बाद जब भारत को लेकर बोले तो किसी दूसरे मुद्दे पर बोले और जमकर तारीफ भी।
खालिस्तान प्रेम पर अकेले पड़े जस्टिन ट्रूडो
कनाडा का खालिस्तान प्रेम अब उसके लिए मुसीबत बनता जा रहा है। जो कभी कनाडा के साथ थे, वो भी अब उसका साथ इस मुद्दे पर छोड़ चुके हैं। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो अपने खालिस्तान प्रेम पर वैश्विक मंच पर अकेल पड़ गए हैं। ये कनाडा की मीडिया को भी समझ आ रहा है। कनाडा ने भारत के साथ संबंध ये सोच कर खराब किए होंगे कि उसे उसके सहयोगी देशों को उसका साथ मिलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं है।
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बाइडन की चुप्पी
कनाडा के सबसे बड़ा मित्र अमेरिका इस मामले पर सिर्फ खानापूर्ति ही करता दिखा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इस मामले पर चुप ही हैं, वो इन आरोपों के बाद जब भारत को लेकर बोले तो किसी दूसरे मुद्दे पर बोले और वो भी जमकर तारीफ भी। आज की तारीख में भारत से शायद ही कोई देश संबंध खराब करने की कोशिश करेगा, चाहे चीन को रोकना हो या फिर रूस को समझना, ये सिर्फ भारत के बलबूते ही हो सकता है।
अकेले पड़े ट्रूडो
IANS की रिपोर्ट के अनुसार लोगों की नजरों में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो काफी हद तक अकेले पड़ गए हैं, अपनी आबादी से 35 गुना आबादी वाले देश से पंगा लेने के बाद। वहां की मीडिया में ये बात कही गई है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रूडो की विस्फोटक घोषणा के कुछ दिनों बाद, फ़ाइव आइज़ ख़ुफ़िया गठबंधन में उनके सहयोगियों ने स्पष्ट रूप से सार्वजनिक बयान दिए, जो पूर्ण समर्थन से काफी कम थे।
मित्रों ने की खानापूर्ति
ब्रिटेन के विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली ने कहा था कि उनका देश "कनाडा जो कह रहा है उसे बहुत गंभीरता से लेता है"। लगभग समान भाषा का प्रयोग करते हुए, ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि वह आरोपों से "काफी चिंतित" है। लेकिन शायद सबसे अधिक चौंकाने वाली चुप्पी कनाडा के दक्षिणी पड़ोसी, अमेरिका से आई। दोनों देश घनिष्ठ सहयोगी हैं, लेकिन अमेरिका ने कनाडा की ओर से नाराजगी व्यक्त नहीं की। जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र में सार्वजनिक रूप से भारत का मुद्दा उठाया, तो यह निंदा करने के लिए नहीं, बल्कि एक नया आर्थिक मार्ग स्थापित करने में मदद करने के लिए भारत की प्रशंसा के लिए था।
पश्चिम के लिए भारत का महत्व
बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बाद में इस बात से इनकार किया कि अमेरिका और उसके पड़ोसी के बीच कोई 'दरार' है। उन्होंने कहा कि कनाडा से परामर्श किया जा रहा है। लेकिन बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अन्य सार्वजनिक बयान कुछ ऐसे ही थे, जैसे "गहरी चिंता"। ये इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पश्चिमी दुनिया के लिए भारत का कितना महत्व है।
चीन को रोकने में भारत की भूमिका महत्व
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों का कहना है कि कनाडा के लिए समस्या यह है कि उसके हित वर्तमान में भारत के व्यापक रणनीतिक महत्व की तुलना में बहुत कम हैं। विल्सन सेंटर के कनाडा इंस्टीट्यूट के एक शोधकर्ता जेवियर डेलगाडो ने बीबीसी को बताया, "अमेरिका, ब्रिटेन और इन सभी पश्चिमी और इंडो-पैसिफिक सहयोगियों ने एक ऐसी रणनीति बनाई है जो मुख्य रूप से भारत पर केंद्रित है, ताकि चीन के खिलाफ एक सुरक्षा कवच और जवाबी कार्रवाई की जा सके। यह कुछ ऐसा है जिसे वे हटाने का जोखिम नहीं उठा सकते।"
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