Jwalamukhi Yog: बिगड़ जाते हैं आपके बनते काम तो हो सकता है ज्वालामुखी योग का साया, विवाह के लिए भी नहीं होता शुभ

What is Jwalamukhi Yog in Hindi (ज्वालामुखी योग क्या होता है, कैसे बनता है) : कुंडली में कुछ योग बिल्कुल शुभ नहीं माने जाते हैं और ज्वालामुखी योग भी इन्हीं में से एक है। इस योग में हुआ विवाह सफल नहीं होता है और प्रारंभ किया गया काम भी पूर्ण नहीं हो पाता।

Jwalamukhi Yog: बिगड़ जाते हैं आपके बनते काम तो हो सकता है ज्वालामुखी योग का साया, विवाह के लिए भी नहीं होता शुभ

What is Jwalamukhi Yog in Hindi (ज्वालामुखी योग क्या होता है, कैसे बनता है) : कभी हम किसी प्रोजेक्ट को लेकर काफी मेहनत और उत्साह से काम करते हैं ,लेकिन फिर भी वो मेहनत कम पड़ जाती है और जब काम पूरा नहीं होता तो हम स्ट्रेस में आ जाते है। बार-बार प्रयास करने के बाद भी कोई ना कोई रुकावट आ जाती है और काम पूरा नहीं हो पाता। फिर हम थक कर बैठ जाते हैं और सोचते है इसका क्या कारण हो सकता है ?

अपने भाग्य और कर्मों को दोष देने से पहले एक बार अपनी कुंडली खंगाले और अपने ज्योतिषी से जांच कराए कि कुंडली चार्ट में ज्वालामुखी योग तो नहीं है। क्या जब आपने अपना जरूरी काम शुरू किया था तब ज्वालामुखी योग चालू था ? आपको बता दें कि ज्वालामुखी योग शुभ कार्यों के लिए अशुभ और अशुभ कार्यों के लिए शुभ होता है ।यह आपके शत्रुओं के लिए शुभ काम करता है। ज्योतिषशास्त्र में जहां अभिजीत मुहूर्त को शुभ माना जाता है,वहीं ज्वालामुखी योग सभी अशुभ कार्य के लिए जाना जाता है।आइए जानते हैं क्या आपकी कुंडली में भी है ये योग।

ज्वालामुखी योग और ज्वालामुखी दोष कैसे उत्पन्न होता है

अशुभ ज्वालामुखी योग तब बनता है जब एक ही दिन एक विशिष्ट

तिथि और विशिष्ट नक्षत्र परस्पर मिलते हैं, यह योग निम्न स्थितियों में बनता है। यह सब से अशुभ श्रेणी का योग है ,ज्वालामुखी योग 5 नक्षत्रों और 5 तिथियों के योग से बनता है। जब एक विशिष्ट चंद्र ग्रहण या नक्षत्र एक चंद्रमास की विशिष्ट तिथि के साथ जुड़ जाता है तब कुंडली में ज्वालामुखी दोष बनता है ।

ज्वालामुखी योग किस तिथि और नक्षत्र से बनता है

  • प्रतिपदा तिथि (पहला दिन) मूल नक्षत्र (धनु राशि) के दिन आती है।
  • पंचमी तिथि (पांचवा दिन) भरणी नक्षत्र (मेष राशि ) के दिन पड़ती है।
  • अष्टमी तिथि (आठवां दिन ) कृतिका नक्षत्र (मेष या वृष राशि) के दिन पड़ती है।
  • नवमी तिथि ( नौवां दिन )रोहिणी नक्षत्र ( वृष राशि ) के दिन पड़ती है।
  • यदि दशमी तिथि (दसवां दिन) आश्लेषा नक्षत्र ( कर्क राशि ) के दिन पड़ती है।

ज्वालमुखी योग कैसे बनता है

यह योग एक चंद्र मास में दो बार या लगातार दो दिनों में अर्थात लगातार दो तिथियों और दो लगातार दो नक्षत्रों पर हो सकता है ।

1. जब किसी भी महीने की अष्टमी तिथि ( आठवां दिन ),कृतिका नक्षत्र ( तीसरा नक्षत्र) के साथ मेल खाती है।

2. जब किसी महीने की नवमी तिथि ( नौवां दिन ), रोहिणी नक्षत्र ( चौथा नक्षत्र ) के साथ मेल खाती है ।

ज्वालामुखी योग के सामान्य प्रभाव क्या हैं ?

  1. यह योग अशुभ होता है अगर आपकी कुंडली में यह योग है , तो आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है ।
  2. अगर ज्वालामुखी योग में लड़का लड़की का विवाह हो तो इसमें कई समस्या होने लगती है ।
  3. इस योग में आप कोई भी नया काम शुरू करेंगे तो वह बिल्कुल नहीं चलेगा।
  4. इस योग में कोई बीमारी होती है ,तो वह लंबे समय तक चलती है इसका इलाज नहीं मिलता।
  5. इस योग में आप जो कुछ भी करते हैं वह पूरा नहीं हो सकता।
  6. कई प्राचीन ग्रंथो में भी इस योग का जिक्र मिलता है।
  7. यदि यह योग किसी भी समय कुंडली में हो ,तो कोई भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चहिए।

ज्वालमुखी योग में क्या नहीं करना चहिए

1.इस योग में कोई भी महत्वपूर्ण कार्य या यात्रा न करें।

2. नया घर, कुआं न खोदे, नए घर की नींव बिलकुल न रखें।

3. इस योग में गर्भ धारण नहीं करना चाहिए न कि बच्चें का जन्म होना चाहिए।

4. शादी या सगाई को इस योग में बिल्कुल नहीं करने चहिए।

5. कोई भी शुभ कार्य , वाहन खरीदना, गहने खरीदना नही करना चाहिए।

6. इस अवधि में होने वाली किसी भी अच्छी घटना के लिए यह अशुभ योग है।

7. ज्वालामुखी योग काल का प्रयोग केवल अपने श शत्रु को परास्त करने या युद्ध प्रारंभ करने के लिए किया जाता है।

8. यह योग आपके शत्रु या किसी भी आधार पर आप का विरोध करने वालों के विरुद्ध सफलता प्रदान करता है।

9. कुंडली में मौजूद सभी कारकों को सावधानीपूर्वक पढ़ने और विश्लेषण करने के बाद ही अंतिम निर्णय लेना चाहिए।

डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।

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