Jalander Katha: भगवान भोलेनाथ के शत्रु जालंधर की क्या है पौराणिक कथा

Lord Shiva & Jalander Katha: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जालंधर का जन्म महादेव के क्रोध से हुआ था इसलिए उसे शिव पुत्र भी कहा जाता है। असीम बल के मद में चूर होने पर महादेव ने किया जालंझर का वध। चलिए जानते हैं महादेव शिव और जालंधर से पौराणिक मान्यताओं को यहां।

Jalander Katha: भगवान भोलेनाथ के शत्रु जालंधर की क्या है पौराणिक कथा
मुख्य बातें
  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जालंधर का जन्म महादेव के क्रोध से हुआ था
  • सागर में जन्म लेने के कारण ब्रह्मा ने दिया सिंधुपुत्र जालंधर नाम
  • पत्नी वृंदा की पतिव्रता धर्म से जालंधर को प्राप्त हुई थी अपार शक्ति

Lord Shiva & Jalander Katha: देवराज इंद्र को पराजित करने और महादेव के निवास कैलाश पर धावा बोलने वाले असुर जालंधर की उत्पत्ति शिव से हुई थी। उसे शिवपुत्र और सिंधुपुत्र भी कहा जाता है। जालंधर के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा प्रचलत है। कई पुराणों श्रीमद देवी, पद्म पुराण, शिव पुराण और स्कंद पुराण में इसका वर्णन मिलता है। आइए जानते हैं जालंधर के जन्म से लेकर मृत्यु से जुड़ी कथा।

जालंधर का जन्म

एक बार इंद्र की प्राणों की रक्षा के देवताओं के गुरू बृहस्पति के अनुरोध पर महादेव ने अपनी क्रोधाग्नि सागर में डाल दिया। क्रोधाग्नि गंगा नदी के सागर में मिलन स्थल पर गिरी, जिसे गंगा सागर कहते हैं। शिवजी के क्रोधाग्नि से समुद्र में एक बालक की उत्पत्ति हुई। उस बालक की रुदन ध्वनि इतनी तीव्र थी कि उससे पुरी दुनिया बहरी हो गई। परेशान हो कर सभी देवता ब्रह्मा जी के शरण में पहुंचे। ब्रह्मा जी ने शिशु को गोद में उठा लिया। शिशु उनसे लिपट गया। इससे ब्रह्मा जी द्रवित हो गए। उन्होंने बालक का नाम सिंधु पुत्र जालंधर रखा। आगे चल कर जालंधर असुरों का राजा बना और उसे दैत्यराज जालंधर कहा जाने लगा। उसका विवाह असुर कालनेमि की पुत्री वृंदा से हुआ। वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी। कहा जाता है वृंदा की पतिव्रता धर्म से जालंधर को अपार शक्ति प्राप्त हुई थी। अपार शक्तिमद में चूर जालंधर संसार में आतंक मचाने लगा। वृंदा की पतिव्रता धर्म के कारण देव भी उसका कुछ बिगाड़ नहीं पा रहे थे। वह देवताओं की पत्नियों को परेशान करने लगा।

शिव ने किया संहार

जालंधर का आतंक बढ़ता गया। देवराज इंद्र को परास्त करने के बाद उसने विष्णु लोक पर आक्रमण कर विष्णु जी से देवी लक्ष्मी को छीनने पहुंचा, लेकिन देवी लक्ष्मी ने कहा कि वे दोनों सागर से उत्पन्न हुए हैं और भाई बहन हैं। उनकी बात मानकर जालंधर कैलाश जाकर देवी पार्वती को अधीन करने का प्रयास करने लगा। इससे शिव जी नाराज हो गए। दोनों में युद्ध शुरू हो गया लेकिन वृंदा के पतिव्रता धर्म के कारण महादेव के प्रहार विफल साबित हो रहे थे। तब भगवान विष्णु जालंधर का रूप धारण कर वृंदा के पास गए। वृंदा उन्हें अपना पति समझ उनसे पत्नी जैसा व्यवहार करने लगी और उनका पतिव्रत धर्म भंग हो गया। इस तरह महादेव जालंधर का वध करने में सफल रहे।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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