Ganesh Chaturthi Vrat Katha: गणेश चतुर्थी व्रत कथा, जानें गणपति बप्पा के जन्म की कहानी
Ganesh Chaturthi 2023 Vrat Katha in Hindi: गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की विधि विधान पूजा करने के साथ उनके जन्म की कथा भी जरूर सुनी जाती है। यहां देखें गणेश चतुर्थी की संपूर्ण व्रत कथा। इसे पढ़ने से बढ़ेगा सौभाग्य और जीवन में बनी रहेंगी खुशियां।
Updated Sep 19, 2023 | 12:43 PM IST

Ganesh Chaturthi Vrat Katha In Hindi
Ganesh Chaturthi 2023 Vrat Katha in Hindi: प्रत्येक वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है और इसकी समाप्ति अनंत चतुर्दशी पर होती है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग घरों और पंडालों में बप्पा की मूर्तियों की स्थापना करते हैं और विधि विधान उसकी पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान जो व्यक्ति भी गणेश जी की सच्चे मन से अराधना करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। गणेश चतुर्थी (Vinayak Chaturthi Katha) के दिन भगवान गणेश की कथा पढ़ना बेहद फलदायी माना जाता है। यहां देखें गणेश चतुर्थी का व्रत कथा।
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Ganesh Chaturthi Vrat Katha (गणेश चतुर्थी व्रत कथा)
गणेश चतुर्थी की कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने स्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक बालक को उत्पन्न किया जिसे उन्होंने गणेश नाम दिया। फिर पार्वतीजी ने उस बालक को आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर न आने दे। ऐसा कहकर पार्वती जी स्नान के लिए चली गई। जब भगवान शिव वहां आए ,तो बालक ने उन्हें भी अंदर जाने से रोक दिया। शिवजी ने गणेशजी को बहुत समझाया, कि पार्वती मेरी पत्नी है। पर गणेशजी नहीं माने और उन्हें लगातार अंदर जाने से रोकते रहें। तब शिवजी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेशजी की गर्दन काट दी।
जब पार्वतीजी ने ये देखा तो वो जोर-जोर से विलाप करने लगीं। तब पार्वती जी ने गुस्से में रौद्र रूप धारण कर लिया और भगवान शिव से उनके पुत्र को जीवित करने की बात कही। शिवजी ने पार्वती जी को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन पार्वती जी नहीं मानी। तब शिवजी ने अपने गरुड़ से कहा कि किसी ऐसे बच्चे का सिर लेकर आये जिसकी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। बहुत खोजने पर एक हथिनी मिली जो कि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरुड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गये। शिवजी ने वह सिर भगवान गणेश जी के लगा दिया जिससे गणपति बप्पा को जीव दान मिला। साथ ही गणेश जी को ये वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी उसमें गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम होगी ।
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