शरद पवार गुट अगले आदेश तक ‘राकांपा-शरदचंद्र पवार' नाम का इस्तेमाल कर सकता है- SC का आदेश

शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि आयोग का सात फरवरी का फैसला 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव होने तक एक अंतरिम व्यवस्था है।

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शरद पवार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट मे सुनाया फैसला

तस्वीर साभार : भाषा

शरद पवार गुट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शरद पवार गुट अगले आदेश तक राकांपा-शरदचंद्र पवार नाम का इस्तेमाल कर सकता है। शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को मतदाताओं की जीत बताया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) घोषित करने के आयोग के छह फरवरी के आदेश के खिलाफ शरद पवार की याचिका पर अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट से जवाब मांगा। पीठ ने अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को नोटिस जारी करते हुए कहा कि हम मामले पर गौर करेंगे। पीठ ने शरद पवार को पार्टी चिन्ह के आवंटन के लिए निर्वाचन आयोग का रुख करने की अनुमति दी और आयोग को आवेदन के एक सप्ताह के अंदर समूह को चुनाव चिन्ह आवंटित करने का निर्देश दिया।

शरद पवार की ओर से क्या कहा गया

शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि आयोग का सात फरवरी का फैसला 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव होने तक एक अंतरिम व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र 26 फरवरी से शुरू होने वाला है और 27 फरवरी के बाद हमारे समूह के पास न कोई नाम और न चिन्ह होगा। सिंघवी ने कहा कि आदेश में कहा गया है कि अजित पवार का समूह असली राकांपा है, हम इसे बाद में चुनौती देंगे। लेकिन राज्यसभा चुनाव के लिए शरद पवार एक बार के लिए नाम (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार) का इस्तेमाल कर सकते हैं। 27 फरवरी के बाद तकनीकी रूप से हमारे पास न नाम होगा, न चुनाव चिन्ह और हमें अजित पवार के व्हिप का पालन करना होगा।

मतदाताओं की जीत- पवार

शरद पवार ने अपने समूह को अगले आदेश तक ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ नाम का इस्तेमाल करने की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को मतदाताओं की जीत करार दिया। पवार ने एक बयान में कहा- "यह मतदाताओं की जीत है क्योंकि अदालत ने कहा कि देश के मतदाताओं को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए और इस तथ्य पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए कि उम्मीदवारों ने मूल पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था।"

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