नहीं चाहिए मुस्लिम वोट, मेरे लिए न करें मतदान, पर...डंके की चोट पर बोले असम के भाजपाई CM सरमा
Himanta Biswa Sarma on Muslims: बकौल सरमा, "कांग्रेस ने मुस्लिम इलाकों में बुनियादी ढांचे या स्कूल नहीं बनाए। लेकिन मैं उनका विकास करना चाहता हूं। मैं 10-15 साल तक ऐसा करूंगा, फिर मुसलमानों से वोट मांगूंगा। अगर मैं अब उनसे वोट मांगूंगा तो यह लेन-देन का रिश्ता बन जाएगा। मैं नहीं चाहता कि यह लेन-देन का रिश्ता बने।''
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
Himanta Biswa Sarma on Muslims: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया है कि फिलहाल वह मुस्लिमों के वोट नहीं मांगते हैं और न ही उन्हें ये वोट चाहिए। डंके की चोट पर उन्होंने आगे यह भी कह दिया कि मुस्लिम लोग उन्हें वोट न दें।
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हालांकि, सरमा ने यह जरूर बोले- मुझे अगले 10 साल तक अपने (मुस्लिमों के) इलाके विकसित करने दीजिए। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि आपके बच्चों के बाल विवाह से जुड़ी प्रथा टूटे। वे मदरसा जाना बंद करें। वे उसकी जगह स्कूल और कॉलेज जाएं। मैं मुस्लिम बेटियों के लिए सात कॉलेजों का उद्घाटन करने जा रहा हूं।
सरमा के मुताबिक, सारी समस्या वोट बैंक की राजनीति के चलते होती है। वह एक महीने पहले मुस्लिम बहुल इलाके में गए थे, जहां वे कार्यक्रम के दौरान कई लोगों से मिले। उन्होंने दावा किया कि वह राजनीति को विकास से नहीं जोड़ते हैं। वह मुसलमानों को एहसास कराना चाहते हैं कि कांग्रेस के साथ उनका रिश्ता वोटों का है।
बकौल सरमा, "कांग्रेस ने मुस्लिम इलाकों में बुनियादी ढांचे या स्कूल नहीं बनाए। लेकिन मैं उनका विकास करना चाहता हूं। मैं 10-15 साल तक ऐसा करूंगा, फिर मुसलमानों से वोट मांगूंगा। अगर मैं अब उनसे वोट मांगूंगा तो यह लेन-देन का रिश्ता बन जाएगा। मैं नहीं चाहता कि यह लेन-देन का रिश्ता बने।''
पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा की लगातार दूसरी जीत के बाद 2021 में असम के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में सर्बानंद सोनोवाल के उत्तराधिकारी बनने वाले सरमा ने आगे यह भी बताया कि मुसलमानों के लिए यह समझना क्यों महत्वपूर्ण है कि भाजपा के साथ उनका रिश्ता वोटों से परे है।
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