INDIA की सफलता से 'हिला' NDA, हम मुल्क का नाम नहीं 'प्रधान' बदलेंगे- मोदी और BJP पर उद्धव का हमला
भाजपा पर निशाना साधते हुए महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ने आगे यह भी दावा कि वे लोग सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। राजनीतिक दलों को तोड़ेंगे। उनके पिता (दिवंगत बालासाहेब ठाकरे) सहित अन्य दलों के नेताओं को हथियाएंगे।
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे। (फाइल)
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिव सेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर सीधा हमला बोला है।रविवार (10 सितंबर, 2023) को ठाकरे ने दावा किया कि सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए पिछले हफ्ते मुंबई में राष्ट्रीय विपक्षी दलों के सम्मेलन की सफलता से 'हिल गया' है। जलगांव में दोपहर को जनसभा के दौरान उन्होंने बताया, “वे 'इंडिया' गठबंधन से इतने परेशान हैं कि उन्होंने देश का नाम बदलकर (अंग्रेजी में भी) भारत कर दिया है…हम इस तरह के नाम-परिवर्तन के खेल में शामिल नहीं होंगे…हम अगले (लोकसभा) चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी और देश के प्रधानमंत्री को बदल देंगे… भाजपा 2024 के चुनावों में सत्ता में नहीं लौटेगी।”
हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि 'इंडिया', 'भारत' या 'हिंदुस्तान' सभी हमारे नाम हैं और हम जो चाहें उसका उपयोग करेंगे और कोई भी इसे हम पर थोप नहीं सकता। ठाकरे ने बताया कि कैसे मुंबई में 'इंडिया' कॉन्क्लेव (31 अगस्त-1 सितंबर) के दौरान, सत्तारूढ़ शिवसेना ने उनकी पार्टी को 'शिवसेना कांग्रेस' करार देते हुए पोस्टर-बैनर युद्ध शुरू कर दिया था। उन्होंने आगे कहा, “अरे… हम 25-30 साल तक भाजपा के साथ थे और हम उनके जैसे नहीं बने, तो अब कांग्रेस कैसे बन सकते हैं…?”
भाजपा पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने कहा कि वे सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे, राजनीतिक दलों को तोड़ेंगे, उनके पिता (दिवंगत बालासाहेब ठाकरे) सहित अन्य दलों के नेताओं को हथियाएंगे। ठाकरे ने यह चेतावनी भी दी, “अब ऐसी चर्चा है कि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के आसपास गोधरा कांड (27 फरवरी 2002) की पुनरावृत्ति हो सकती है…।” आगे मौजूदा मणिपुर संकट का जिक्र करते हुए, शिवसेना (यूबीटी) सुप्रीमो ने अफसोस जताया कि कैसे महिलाओं के साथ सार्वजनिक रूप से क्रूरता की गई और उन्हें शर्मिंदा किया गया, "लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ नहीं कहा या किया"।
ठाकरे ने तीखे स्वर में कहा, "जो लोग ऐसे दु:खद और गंभीर मुद्दों पर चुप रहने का रास्ता चुनते हैं, उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज या सरदार वल्लभभाई पटेल और ऐसे प्रतीकों का नाम लेने का कोई अधिकार नहीं है।" उन्होंने शिंदे की इस बात के लिए आलोचना की कि उनके पास नई दिल्ली जाने और जी-20 के गणमान्य व्यक्तियों के साथ तस्वीरें खिंचवाने के लिए समय है, लेकिन मराठा नेता मनोज जारांगे-पाटिल से मिलने के लिए समय नहीं है - जो इस समय मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जालना में 13 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं।
ठाकरे ने एक बार फिर प्रदर्शनकारी मराठा भीड़ पर 1 सितंबर की पुलिस कार्रवाई की तुलना ब्रिटिश शासन के जलियांवाला बाग नरसंहार (13 अप्रैल 1919) के साथ करते हुए इसे 'जालना-वाला' करार दिया। ठाकरे ने आश्चर्य किया, “जरांगे-पाटिल की मांगें क्या हैं… कम से कम उनसे बात करें, हम उनसे मिलने गए थे… क्या सरकार का कोई आधिकारिक प्रतिनिधि अभी भी मराठा नेता के साथ संपर्क में है या नहीं? या क्या यह उस दाढ़ी वाले गद्दार (पूर्व-शिवसेना-यूबीटी विधायक) अर्जुन खोतकर पर छोड़ दिया गया है…।”
उन्होंने लोगों से अगले चुनावों में गद्दारों, भ्रष्ट तत्वों और झूठे वादे करने वालों की सरकार को उखाड़ फेंकने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि उन्हें दोबारा धोखा न दिया जाए। वैसे इससे पहले ठाकरे ने जलगांव शहर के दो प्रमुख जंक्शनों पर छत्रपति शिवाजी महाराज और सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमाओं का उद्घाटन किया।
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