Jnanpith Award List 2023: गुलजार और रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा, यहां देखें अब तक किन विद्वानों को मिला ये सम्मान
Jnanpith Award List in Hindi: वर्ष 1961 में स्थापित ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता है। पुरस्कार में 21 लाख रुपये की पुरस्कार राशि, वाग्देवी की एक प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता है।
Jnanpith Award List 2023 in Hindi: सरकार ने ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 का ऐलान कर दिया। ज्ञानपीठ चयन समिति ने देश के मशहूर उर्दू कवि और गीतकार गुलजार और संस्कृत के प्रकांड विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य काे 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की है। ज्ञानपीठ चयन समिति ने शनिवार इस पुरस्कार के बारे में घोषणा की है। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ संगठन द्वारा हर साल भारतीय लेखकों को दिया जाने वाला पुरस्कार है। ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 1961 में की गई थी। और यह केवल उन भारतीय लेखकों को दिया जाता है जो भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में लिखते हैं। जानकारी के अनुसार, 1982 तक ज्ञानपीठ पुरस्कार केवल एक ही कृति के लिए दिया जाता था। 1982 के बाद भारतीय साहित्य में आजीवन योगदान के लिए भी ज्ञानपीठ सम्मान दिया जाने लगा है। बता दें कि ज्ञानपीठ पुरस्कार मरणोपरांत नहीं दिया जाता है; यह केवल जीवित लेखकों को ही दिया जाता है। तो चलिए आप को भारत के उन महान लेखकों के नाम बताते है जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से किया गया है।
1965 से 2023 इन लेखकों को ज्ञानपीठ पुरस्कार से किया गया है सम्मानित(List of Jnanpith Award Winners 1965 to 2023)
वर्ष | ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता | भाषा |
1965 | जी शंकर कुरुप | मलयालम |
1966 | ताराशंकर बंदोपाध्याय | बंगाली |
1967 | कुप्पाली वेंकटप्पागौड़ा पुट्टप्पा | कन्नडा |
1967 | उमाशंकर जोशी | गुजराती |
1968 | सुमित्रा नंदन पंत | हिंदी |
1969 | फ़िराक़ गोरखपुरी | उर्दू |
1970 | विश्वनाथ सत्यनारायण | तेलुगू |
1971 | बिष्णु डे | बंगाली |
1972 | रामधारी सिंह दिनकर | हिंदी |
1973 | दत्तात्रेय रामचन्द्र बेंद्रे | कन्नडा |
1973 | गोपीनाथ मोहंती | ओरिया |
1974 | विष्णु सखाराम खांडेकर | मराठी |
1975 | पीवी अकिलन | तामिल |
1976 | आशापूर्णा देवी | बंगाली |
1977 | के. शिवराम कारंत | कन्नडा |
1978 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' | हिंदी |
1979 | बीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य | असमिया |
1980 | एसके पोट्टेक्कट | मलयालम |
1981 | अमृता प्रीतम | पंजाबी |
1982 | महादेवी वर्मा | हिंदी |
1983 | मस्ती वेंकटेश अयंगर | कन्नडा |
1984 | थकाज़ी शिवशंकर पिल्लई | मलयालम |
1985 | पन्नालाल पटेल | गुजराती |
1986 | सच्चिदानंद राउतराय | ओरिया |
1987 | विष्णु वामन शिरवाडकर | मराठी |
1988 | डॉ. सी. नारायण रेड्डी | तेलुगू |
1989 | कुर्रतुलैन हैदर | उर्दू |
1990 | विनायक कृष्ण गोकक | कन्नडा |
1991 | सुभाष मुखोपाध्याय | बंगाली |
1992 | नरेश मेहता | हिंदी |
1993 | सीताकांत महापात्र | ओरिया |
1994 | यूआर अनंतमूर्ति | कन्नडा |
1995 | डॉ. एमटी वासुदेवन नायर | मलयालम |
1996 | महाश्वेता देवी | बंगाली |
1997 | अली सरदार जाफ़री | उर्दू |
1998 | गिरीश कर्नाड | कन्नडा |
1999 | गुरदयाल सिंह | पंजाबी |
1999 | निर्मल वर्मा | हिंदी |
2000 | इंदिरा गोस्वामी | असमिया |
2001 | राजेंद्र केशवलाल शाह | गुजराती |
2002 | डी. जयकांतन | तमिल |
2003 | विंदा करंदीकर | मराठी |
2004 | रहमान राही | कश्मीरी |
2005 | कुँवर नारायण | हिंदी |
2006 | रवीन्द्र केलेकर | कोंकणी |
2006 | सत्य व्रत शास्त्री | संस्कृत |
2007 | डॉ. ओएनवी कुरुप | मलयालम |
2008 | अखलाक मोहम्मद खान | उर्दू |
2009 | अमर कांत | हिंदी |
2009 | श्रीलाल शुक्ल | हिंदी |
2010 | चन्द्रशेखर कंबारा | कन्नडा |
2011 | प्रतिभा रे | ओरिया |
2012 | रावौरी भारद्वाज | तेलुगू |
2013 | केदारनाथ सिंह | हिंदी |
2014 | भालचंद्र नेमाड़े | मराठी |
2015 | डॉ. रघुवीर चौधरी | गुजराती |
2016 | शंका घोष | बंगाली |
2017 | कृष्णा सोबती | हिंदी |
2018 | अमिताव घोष | अंग्रेज़ी |
2019 | अक्कितम अच्युतन नंबूथिरी | मलयालम |
2021 | नीलमणि फूकन | असमिया |
2022 | दामोदर मौजो | कोंकणी |
2023 | गुलजार (दिया जायेगा) | उर्दू |
2023 | रामभद्राचार्य (दिया जायेगा) | संस्कृत |
गुलजारगुलजार के नाम से मशहूर संपूर्ण सिंह कालरा हिंदी सिनेमा में अपने कार्य के लिए पहचाने जाते हैं और वर्तमान समय के बेहतरीन उर्दू कवियों में शुमार हैं। इससे पहले गुलजार को उर्दू में अपने कार्य के लिए 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं।
रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानंदाचार्यों में से एक हैं और 1982 से इस पद पर हैं। 22 भाषाओं पर अधिकार रखने वाले रामभद्राचार्य ने संस्कृत, हिंदी, अवधी और मैथिली सहित कई भारतीय भाषाओं में रचनाओं का सृजन किया है। 2015 में उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार मिला।
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