भूमिहारों की रणनीति पर कांग्रेस को भरोसा? तीन बड़े राज्यों में इसी जाति के अध्यक्ष, 134 सीटों पर नजर
बिहार में भूमिहारों कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं, उनकी संख्या भी इस राज्य में सबसे ज्यादा है। यूपी में पूर्वांचल बेल्ट में भूमिहारों का दबदबा है। झारखंड में भी कुछ सीटों पर उनकी पकड़ है। ऐसे में कांग्रेस अपने उस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है, जो कभी था तो उसका लेकिन कई सालों पहले वो छिटक गया।
तीन राज्यों में भूमिहारों के भरोसे कांग्रेस
कांग्रेस हिंदी भाषी क्षेत्र के 3 बड़े राज्यों में भूमिहारों पर निर्भर दिख रही है। अब ये संयोग है या प्रयोग पता नहीं लेकिन लोकसभा की 134 सीटों के लिए कांग्रेस ने भूमिहार कप्तानों पर ही भरोसा किया है। बिहार और झारखंड के बाद अब यूपी में भी कांग्रेस ने भूमिहार समाज से आने वाले नेता को अध्यक्ष बनाया है। कहने को तो भूमिहार मुख्य रूप से बिहार और यूपी में हैं। झारखंड में भी इनकी थोड़ी सी उपस्थिति है। हालांकि कहीं भी इनका संख्याबल ज्यादा नहीं है। फिर भी इनका दबदबा इन राज्यों में माना जाता रहा है।
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क्यों है भूमिहारों पर नजर
बिहार में भूमिहारों कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं, उनकी संख्या भी इस राज्य में सबसे ज्यादा है। यूपी में पूर्वांचल बेल्ट में भूमिहारों का दबदबा है। झारखंड में भी कुछ सीटों पर उनकी पकड़ है। ऐसे में कांग्रेस अपने उस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है, जो कभी था तो उसका लेकिन कई सालों पहले वो छिटक गया।
बिहार में रणनीति
बिहार में कांग्रेस ने अखिलेश प्रसाद सिंह को अध्यक्ष बनाया है। जो भूमिहार समाज से आते हैं। अखिलेश प्रसाद सिंह दबंग किस्म के नेता माने जाते रहे हैं। पिछले कुछ चुनावों से कांग्रेस की नजर भूमिहार वोटों पर है। भूमिहार समाज से आने वाले बाहुबली नेता अनंत सिंह को भी कांग्रेस पिछले बार मैदान में उतार चुकी है। जिनकी इस समाज पर काफी पकड़ है। कांग्रेस पिछले चुनाव में भी भूमिहारों को अपने पाले में करने की कोशिश करती दिखी थी।
यूपी में रणनीति
उत्तरप्रदेश में कांग्रेस ने उस नेता को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी है, जो पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं और अपनी दबंगई के लिए भी मशहूर हैं। कांग्रेस ने यहां अजय राय को अध्यक्ष पद की कुर्सी दी है। अजय राय भी भूमिहार समाज से आते हैं और पूर्वांचल में उनकी अच्छी खासी पकड़ है। भाजपा राजभर को अपने पाले में करके पूर्वांचल में अपने किले को मजबूत करने की तैयारी में है। कांग्रेस में एक अजय राय ही ऐसे नेता माने जाते हैं तो पूर्वांचल में उसका जनाधार बढ़ा सकते हैं।
झारखंड में क्यों
झारखंड में यूपी और बिहार जैसी भूमिहारों की उपस्थिति नहीं है। कुछ सीटों पर प्रभाव जरूर है। यहां कांग्रेस ने राजेश ठाकुर को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दे रखी है। राजेश ठाकुर भूमिहार समाज से आते हैं। हालांकि कहा जा रहा है अब उन्हें बदला जा सकता है।
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