Chandrayaan 3: लैडिंग के ढाई घंटे बाद 'विक्रम' से बाहर आया रोवर 'प्रज्ञान', चांद के साउथ पोल पर लगा घूमने; लैंडिंग साइट भी देखें
Chandrayaan 3 Latest Updates: भारत के इस महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 मिशन की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की वैज्ञानिक समुदाय ने सराहना की। प्रमुख वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की ओर से कहा गया कि यह शानदार उपलब्धि न केवल चंद्र अन्वेषण पर भारत की विशिष्ट छाप को दर्शाती है, बल्कि मानव सहयोग, दृढ़ संकल्प और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की शक्ति को भी प्रदर्शित करती है।
चंद्रयान-3 के तहत विक्रम की जहां लैंडिंग हुई, वहां से उसके कैमरा ने तस्वीरें भेजी हैं।
Chandrayaan 3 Latest Updates: इंडिया के मून मिशन चंद्रयान-3 के तहत लैंडर विक्रम की चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग के बाद उससे रोवर प्रज्ञान बाहर निकला है। बुधवार (23 अगस्त, 2023) को सफल सॉफ्ट लैंडिंग के दो घंटे 26 मिनट बाहर यह लैंडर से बाहर आया और इसके साथ ही वह चांद की सतह पर चहलकदमी करते हुए घूमने लगा।
चंद्रयान-3 मिशन में अब आगे क्या? जानिए
यह रोवर लैडिंग स्पॉट पर मौजूद विक्रम को चांद पर मिलने वाली नई और अनोखी जानकारियों से जुड़ा डेटा शेयर करेगा, जो कि आगे हिंदुस्तानी स्पेस एजेंसी इसरो तक पहुंचेगा। हालांकि, वैज्ञानिक इस बात को लेकर चिंतित थे कि अगर रोवर लैंडिंग के बाद उठी धूल के सेटल होने से पहले ही निकल आया तब उसके कैमरा और अन्य सेंसिटिव एक्विपमेंट्स को नुकसान पहुंच सकता है।
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लैंडर (विक्रम) और 26 किलोग्राम के रोवर (प्रज्ञान) वाले लैंडर मॉड्यूल ने इसी तरह के रूसी लैंडर के दुर्घटनाग्रस्त होने के एक हफ्ते से भी कम समय बाद शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की। वैसे, इसी साल 14 जुलाई को प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-3 से पहले चंद्रयान-2 सात सितंबर 2019 को चंद्र सतह पर पहुंचने से कुछ देर पहले ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में विफल हो गया था, जबकि भारत ने पहला चंद्र मिशन 2008 में भेजा था।
सॉफ्ट लैंडिंग के बाद आगे क्या?सफल लैंडिंग के बाद अब रोवर मॉड्यूल इसरो के वैज्ञानिकों की ओर से दिए गए 14 दिवसीय काम चालू करेगा, जिनमें चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए वहां प्रयोग करना भी है। इसरो के अनुसार, लैंडर और रोवर में पांच वैज्ञानिक उपक्रम (पेलोड) हैं, जिन्हें लैंडर मॉड्यूल के भीतर रखा गया है। चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए रोवर की तैनाती चंद्र अभियानों में नयी ऊंचाइयां हासिल करेगी। हालांकि, लैंडर और रोवर दोनों का जीवन काल एक-एक चंद्र दिवस है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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