जातीय जनगणना को नफरत के चश्मे से देख रही केंद्र सरकार, बोले लालू यादव
Caste Census: आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना को नफरत के चश्मे से देख रही है। आर्थिक स्थिति और जाति से परिचित हुए बिना नीतियां कैसे बनाई जा सकती हैं?
जातीय जनगणना पर लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार को घेरा।
Caste Census: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने लेखक मनोज मित्ता की पुस्तक 'कास्ट प्राइड' का पटना में विमोचन किया। इस मौके पर लालू प्रसाद यादव ने कहा कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना को नफरत के चश्मे से देख रही है। आर्थिक स्थिति और जाति से परिचित हुए बिना नीतियां कैसे बनाई जा सकती हैं? लालू प्रसाद यादव ने कहा कि हमलोगों ने जातीय जनगणना कराई है, उसे मौजूदा केंद्र सरकार नफरत की निगाह से देख रही है। एटॉर्नी जनरल कोर्ट में जाकर इसका विरोध कर रहे हैं। बिना जाति जाने हुए, बिना उसकी आर्थिक स्थिति को जाने हुए अंदाज पर योजना कैसे बनाई जाएंगी। गरीबों को बजट का कुछ हिस्सा दे दिया। लगता है खैरात दे रहे हैं। जातीय जनगणना हमारा अधिकार है।
लालू प्रसाद यादव ने कहा, हमने हाल ही में जाति जनगणना कराई है। केंद्र सरकार जातीय जनगणना को नफरत की नजर से देख रही है। किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और जाति से परिचित हुए बिना नीतियां कैसे बनाई जा सकती हैं? इससे पहले बिहार सरकार ने 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि बिहार में जाति जनगणना के सर्वे 6 अगस्त तक आयोजित किए जाएंगे। बिहार सरकार के वकील के तर्क का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि वह जाति सर्वे के नतीजे प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग करें।
लेकिन न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि वह सर्वे पर तब तक रोक नहीं लगाएगी जब तक कि प्रथम दृष्टया ऐसा कोई मामला न हो जिसमें इस तरह की रोक लगाने की आवश्यकता हो। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि बिहार जाति सर्वे एक कार्यकारी आदेश के आधार पर किया गया था और यह नहीं किया जा सकता है।
सर्वे को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता ने दावा किया कि केंद्र के पास भारत में जनगणना करने का अधिकार है और राज्य सरकार के पास बिहार राज्य में जाति-आधारित सर्वे के संचालन पर निर्णय लेने और अधिसूचित करने का कोई अधिकार नहीं है और 6 जून 2022 की अधिसूचना गलत है।
बिहार सरकार द्वारा आदेशित जाति सर्वे को बरकरार रखने वाले पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दायर की गईं। इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने जातियों के आधार पर सर्वे कराने के नीतीश कुमार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
सर्वे में सभी जातियों, उपजातियों के लोगों, सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि से संबंधित आंकड़े एकत्र किए गए। जाति जनगणना का निर्णय बिहार कैबिनेट ने पिछले साल 2 जून को लिया था। जिसके महीनों बाद केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना इनकार कर दिया था। सर्वे में 38 जिलों में अनुमानित 2.58 करोड़ घरों में 12.70 करोड़ की अनुमानित आबादी को कवर किया गया जिसमें 534 ब्लॉक और 261 शहरी स्थानीय निकाय हैं।
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