चुनावों से पहले आरक्षण पर छिड़ा संग्राम! समझें- देश में सियासी दलों के लिए OBC क्यों हैं 'महान'

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आबादी का आखिरी प्रामाणिक डेटा साल 1931 की जनगणना है। आगे साल 2011 में सामाजिक आर्थिक जनगणना के डेटा को पब्लिक नहीं किया गया था।

OBC

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

हिंदुस्तान में चुनावी सीजन से पहले आरक्षण को लेकर सियासी संग्राम देखने को मिला है। महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा और हो-हल्ले के बीच विपक्ष ने ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग को भी मुद्दा बनाने के प्रयास किए। ऐसा इसलिए क्योंकि चुनावों में यही ओबीसी वर्ग के लोग इनकी किस्मत को बदलने की ताकत रखते हैं। आइए, समझते हैं कि आखिरकार अपने देश के सियासी दलों के बीच ये ओबीसी क्यों महान और महत्वपूर्ण हो गए हैं:

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पॉलिटिकल पार्टियों की यूं बढ़ाई चिंताभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ओबीसी वोटबैंक के बीच पिछले कुछ समय में तेजी से अपनी पैठ मजबूत की है। भगवा दल इन लोगों के दिलो-दिमाग में अपनी छाप छोड़ने में बहुत हद तक कामयाब भी रहा है। यह बात हम नहीं बल्कि बीते वक्त में आए सर्वे और पोल्स के जरिए सामने आई है। बीजेपी की बात करें तो उसे साल 2009 के लोकसभा चुनाव में 22% ओबीसी वोट मिले थे। 10 साल के अंतराल में यह आंकड़ा दोगुना था। वहीं, क्षेत्रीय दलों की बात करें तो 2009 में यह घटकर 27% रह गया था, जबकि पहले यह 42% था। ऐसे में बीजेपी ही नहीं बल्कि समूचे विपक्ष के लिए भी यह बड़ा चैलेंज है कि वे ओबीसी वोटबैंक को किसी भी सूरत में खफा न होने दें।

...तो देश में इतने हैं OBCsचूंकि, लगभग 100 साल पुराने आकड़ों के अनुसार भारत में फिलहाल 52% ओबीसी आबादी है। किसी भी सूबे में इन लोगों की जनसंख्या 42% से कम नहीं है। यह कुछ राज्यों में तो 60% से भी अधिक चली जाती है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि फिलहाल देश में चार हजार से अधिक ओबीसी जातियां हैं। सबसे रोचक बात है कि कई ऐसी ओबीसी जातियां भी हैं, जो कि एक सूबे में रिजर्वेशन का लाभ ले रही हैं, जबकि दूसरे में उच्च जाति मानी जाती हैं।

कौन हैं ओबीसी?अन्य पिछड़ा वर्ग यानी कि ओबीसी एक टर्म है, जिसका इस्तेमाल केंद्र सरकार एक खास जाति को रेखांकित करने के लिए करती है। यह मुख्य रूप से आर्थिक तौर पर या फिर सामाजिक रूप से पिछड़ेपन का शिकार होते हैं। अपने देश के संविधान में इन्हें सोशियली एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लास (एसईबीसी) के तौर पर भी जाना जाता है।

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अभिषेक गुप्ता author

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