Lok Sabha Election 2024: अमेठी में फिर राहुल गांधी Vs स्मृति ईरानी? समझिए कितना दिलचस्प होगा मुकाबला
Rahul Gandhi Vs Smriti Irani: कांग्रेस के राहुल गांधी और मोदी सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी अगर एक बार फिर अमेठी लोकसभा सीट से आमने-सामने होंगी तो लड़ाई बेहद ही दिलचस्प होगी। गांधी परिवार का गढ़ रहे अमेठी में पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। आपको इस बार का समीकरण समझाते हैं।
अमेठी में इस बार क्या होगा? समझें लोकसभा चुनाव के समीकरण।
Amethi Lok Sabha Election: स्मृति ईरानी और राहुल गांधी दोनों अगर एक बार फिर अमेठी लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में आमने-सामने होते हैं, तो दोनों की ही राह आसान नहीं होगी। अमेठी का सियासी समीकरण बेहद ही अलग है, जो समझना हर किसी के बस की बात नहीं है। अगर भाजपा इस सीट पर लगातार दूसरी बार जीत हासिल करती है तो ये एक नया सियासी इतिहास होगा और बीजेपी के नेता यही कहेंगे कि मोदी है तो मुमकिन है। हालांकि राहुल गांधी और कांग्रेस को इतना कमजोर समझना भी आसान नहीं है। आपको इसकी वजह तफसील से समझाते हैं।
क्या कहता है अमेठी का सियासी इतिहास?
अमेठी में 16 बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महज तीन बार बार झेलनी पड़ी है। यही नहीं इस सीट के सियासी इतिहास का जिक्र करें तो एक भी बार भाजपा यहां से दोबारा जीत हासिल नहीं कर पाई। ये फैक्टर निश्चित तौर पर स्मृति ईरानी की चिंता में इजाफा करेगा। यही वजह है कि स्मृति यहां तमाम कोशिशें कर रही हैं। चुनाव से पहले अमेठी में घर बनवाकर उन्होंने सियासी संदेश दिया। हालांकि डॉ. संजय सिंह और रवींद्र प्रताप सिंह का अमेठी निवासी फैक्टर उन्हें इस सीट से दोबारा जीत दिलाने में कारगर साबित नहीं हुआ था।
अगर स्मृति बनाम प्रियंका की जंग हुई तो...?
कांग्रेस की ओर से अगर प्रियंका गांधी वाड्रा को उम्मीदवार बनाया गया और भाजपा की तरफ से फिर से स्मृति ईरानी मैदान में उतरती हैं तो मुकाबले की तस्वीर थोड़ी अलग हो जाएगी। अमेठी में इस तरह वो फैक्टर काम कर सकता है कि भाजपा को इस सीट पर दोबारा जीत हासिल नहीं होती है। दो महिलाओं के बीच की लड़ाई में जीत और हार के बारे में अंदाजा लगा पाना निश्चित तौर पर आसान नहीं होगा।
गांधी परिवार का गढ़ क्यों कहा जाता है अमेठी?
पहली बार अमेठी में हुए लोकसभा चुनाव 1967 में कांग्रेस के वी डी वाजपेयी को जीत हासिल हुई थी। गांधी परिवार से ताल्लुक रखने वाले और इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी को 1977 में इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि तीन साल बाद ही 1980 में उन्हें प्रचंड जीत हासिल हुई। इसके एक साल बाद ही सियासत में राजीव गांधी ने अपनी एंट्री करते हुए 1981 में इस सीट से जीत हासिल की। इस सीट से राजीव गांधी चार बार लोकसभा सदस्य रहे। फिर सोनिया गांधी एक बार और राहुल गांधी तीन बार अमेठी के सांसद रहे। मतलब 16 बार हुए लोकसभा चुनाव में से 9 बार यहां गांधी परिवार का कब्जा रहा।
स्मृति ईरानी ने अमेठी में घर बनवाकर दिया संदेश
लोकसभा चुनाव के पहले अमेठी की सांसद और मोदी सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी ने यहां अपना घर बनवाकर बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने हाल ही में अपने पति जुबिन ईरानी के साथ स्मृति ईरानी ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर गृह-प्रवेश किया। वैदिक मंत्रों के साथ स्मृति ने सिर पर कलश रखकर घर के अंदर प्रवेश किया। 2019 के लोकसभा चुनाव स्मृति ने अमेठी की जनता से वादा किया था कि अगर वह यहां की सांसद बनेंगी तो अमेठी की जनता को सांसद से मिलने के लिए दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री स्मृति ने अमेठी में आवास बनाकर एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है। इसके साथ ही वह अमेठी में घर बनवाने वाली पहली सांसद बन गई।
क्या राहुल-सोनिया को ये गलती पड़ेगी भारी?
गांधी परिवार की परंपरागत सीट होने के बावजूद उनका यहां पर कोई घर नहीं है। ऐसे में उन्होंने अपने को अमेठी से लगाव होने का भी दावा मजबूत किया है। अमेठी लोकसभा क्षेत्र से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, कैप्टन सतीश शर्मा, राहुल गांधी सहित अन्य ने यहां से सांसद बने। लेकिन, 1977 में रवींद्र प्रताप सिंह व 1998 में सांसद बने डॉ. संजय सिंह ने अमेठी में स्थायी आशियाना बनाया था। ये दोनों अमेठी के रहने वाले थे। स्मृति ईरानी पहली ऐसी सांसद बनी हैं, जिन्होंने अमेठी में जमीन खरीदकर घर बनवाया है। राजनीतिक दिग्गजों का मानना है कि इस मामले में स्मृति ने बढ़त ले ली है।
राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा लेकर हाल ही में अमेठी पहुंचे थे, हैरानी की बात ये है कि तीन बार यहां से सांसद रहे राहुल दो साल बाद अमेठी आए थे, लेकिन उनमें अपने लोगों के प्रति पहले जैसी गर्मजोशी नहीं दिखी। राहुल की यात्रा में पहले जैसी गर्मजोशी नहीं दिखी, जब वो यहां के सांसद रहते हुए इस क्षेत्र में आते थे। 2021 में स्मृति ईरानी ने अपना घर बनवाने के लिए 11 बिस्वा जमीन खरीदी थी। अब इस जमीन पर उन्होंने अपना आशियाना बनवाया है। साल 2021 में ही स्मृति के बेटे ने भूमि पूजन कर आवास की नींव रखी थी। चुनाव के ठीक पहले वह अपने नए घर में प्रवेश कर गई हैं। जो कांग्रेस की राह की मुश्किलें बढ़ाने में भरपूर भूमिका अदा करेगी।
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