Lok Sabha Chunav: बिहार में फिर लालू की RJD का नहीं खुलेगा खाता? समझें नीतीश के दावे के सियासी मायने

Bihar Politics: लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी को क्या पिछली बार की तरह इस बार के लोकसभा चुनाव में भी बिहार की सभी 40 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ेगा? ये सवाल इसलिए क्योंकि नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ आते ही एक बड़ा दावा कर दिया है, आपको सियासी गुणा-गणित समझाते हैं।

Lalu Vs Nitish in Bihar

नीतीश कुमार ने किया बड़ा दावा।

सियासत में में कब क्या हो जाए इसे समझ पाना अच्छे-अच्छों के बस की बात नहीं और जब बात बिहार की राजनीति की हो, तो समझिए अंधेरे में सुई ढूंढने जैसा होता है। नीतीश कुमार के पलटी मारने के बाद सूबे की सियासत में पिछले लोकसभा चुनाव 2019 जैसे समीकरण बनते नजर आ रहे हैं। ऐसे में लालू यादव, तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आरजेडी की टेंशन में इजाफा हो सकता है। नीतीश कुमार ने भी दावा कर दिया है कि बिहार की सभी लोकसभा सीटों पर NDA की जीत होगी।

नीतीश कुमार के दावों की सियासी हकीकत समझिए

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी सीट जीतेगा। राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) अध्यक्ष ने विधानसभा में जोरदार तरीके से यह दावा किया। उन्होंने दोहराया कि अतीत के उतार-चढ़ाव के बाद वह पुराने सहयोगियों के साथ लौट आए हैं। पिछले संसदीय चुनावों में राजग के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा, 'हमें इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि आगामी चुनाव में हम सभी सीट जीतेंगे।' आखिर नीतीश के इन दावों में कितना दम है आपको समझाते हैं।

लालू की RJD को फिर सभी सीटों पर मिलेगी हार?

बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं, पिछली बार जब भाजपा और जदयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो एनडीए ने 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। विपक्ष को महज एक सीट से संतुष्ट करना पड़ा था। किशनगंज की सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। अगर पिछली बार वाला फॉर्मूला इस बार भी काम कर जाता है तो जाहिर है कि आरजेडी और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी टेंशन की बात होगी।

नीतीश-भाजपा का साथ लालू के लिए चिंताजनक

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भाजपा के साथ जाने से सबसे ज्यादा टेंशन लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी की बढ़ी है। पिछले आम चुनावों के नतीजों में हो हश्र आरजेडी का हुआ था, उससे तेजस्वी और लालू की चिंता में इजाफा होना लाजमी है।

नीतीश ने याद दिलाए 2010 चुनाव के नतीजे

पिछले संसदीय चुनाव में राजग ने राज्य की 40 में से 39 सीट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजग की शानदार सफलता को भी याद किया और उम्मीद जताई कि यह उपलब्धि अगले साल के विधानसभा चुनाव में दोहराई जाएगी। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनावों में राजग ने कुल 243 सीट में से 200 से अधिक सीट जीती थीं।

नीतीश कुमार ने कहा, 'यह कोरोना महामारी का दौर था। हम समझ नहीं पा रहे थे कि क्या हो रहा है। लेकिन अब चिंता की कोई बात नहीं है।' वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अध्यक्ष चिराग पासवान ने जद(यू) के खिलाफ कई भाजपा बागियों को मैदान में उतारा था, इससे जद(यू) के प्रदर्शन पर असर पड़ा था। लगभग 40 मिनट तक के अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने 'अपनी सीट पर बैठे रहने और बहस में भाग लेने के बजाय' बहिर्गमन करने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले विपक्ष पर तंज कसा।

‘घच-पच’ करने जा रहे थे उन पर कार्रवाई

नीतीश कुमार ने कहा, 'उन्होंने यही कहा होगा कि राज्यपाल ने सरकार की प्रशंसा करके झूठ बोला। मैंने उन्हें दो मौकों पर सरकार में सेवा करने का अवसर प्रदान किया, जिसे उन्होंने गंवा दिया।' कुमार की सरकार ने सोमवार को विश्वास मत हासिल करने से पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त की शिकायतों का जिक्र करते हुए जद(यू) प्रमुख ने कहा, 'मैं उन सभी लोगों पर कार्रवाई करने जा रहा हूं जो ‘‘घच-पच’’ करने जा रहे थे। उन्हें यह जानने की जरूरत है कि विधानसभा में अपनी सदस्यता छोड़े बिना वे दूसरे पाले में नहीं जा सकते। अगर उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया होता तो वे कभी भी अपनी सीट नहीं जीत पाते।'

हालांकि, राजद के तीन विधायक के उनके खेमे में आने पर कुमार ने कहा, 'ये लोग अपने दम पर जीतते हैं और इनके हमारे साथ आने पर हमें ताकत मिलेगी।' राजद पर निशाना साधते हुए कुमार ने आरोप लगाया, 'उनके (राजद के) शासन में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं थी और लोग सूर्यास्त के बाद बाहर नहीं निकलते थे। आज इसके विपरीत महिलाएं भी देर रात तक बिना किसी डर के घूमती हैं।'

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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