Noida History: क्या आप नोएडा का पूरा नाम जानते हैं, 'नोएडा' नहीं, कुछ और ही इस शानदार सिटी का पूरा नाम

Noida City: नोएडा शहर जितना देखने में हाईटेक और आधुनिक है उतना ही इसका इतिहास भी गहरा है। आधुनिक नोएडा शहर बनाने का श्रेय संजय गांधी को दिया जाता है। बता दें कि इस शहर का इतिहास भारत के आजादी से भी जुड़ा है। इस शहर को लेकर कई राजनीतिक मिथक भी सामने आते हैं।

Noida History

नोएडा का इतिहास आजादी से है जुड़ा, जानिए कैसे

मुख्य बातें
  1. संजय गांधी ने बसाया था इस आधुनिक शहर को
  2. यह शहर जितना हाईटेक, उतना ही भरा है राजनीतिक मिथकों से
  3. ब्रिटिश आर्मी और मराठों के बीच हुआ था यहां निर्णायक युद्ध

Noida News: उत्तर प्रदेश सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाला नोएडा शहर देश के हाईटेक शहरों में शामिल है। नोएडा की गगनचुंबी इमारतें और मॉल कल्चर यहां खुलेपन का आभास कराते हैं। इसका पूरा नाम न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के संक्षिप्तीकरण (नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण) से बना हुआ है। माना जाता है कि यह शहर संजय गांधी द्वारा बसाया गया था। बता दें कि इतना ही नहीं यह शहर जितना हाईटेक होने के लिए प्रसिद्ध है। उतना ही राजनीतिक रूप में भी यहां एक मिथक जुड़ा हुआ है। जिसे बड़े-बड़े राजनीतिक नेता मान चुके हैं। और सूब के कई मुख्यमंत्रियों ने तो यहां आना ही बंद कर दिया था।

बता दें कि नोएडा 17 अप्रैल 1976 को प्रशासनिक अस्तित्व में आया था। इसलिए 17 अप्रैल को नोएडा दिवस के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है। नोएडा विवादास्पद आपातकाल (1975-1977) के दौरान शहरीकरण पर जोर देने के लिए स्थापित किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र और कांग्रेस नेता संजय गांधी की पहल से इस शहर को यूपी औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम के तहत बनाया गया था। जनगणना भारत की अंतिम रिपोर्ट 2011 के अनुसार नोएडा की आबादी 6,37,272 है। यहां पुरुष और महिलाओं की आबादी क्रमश: 3,49,397 और 2,87,875 है।

भारत के पुरातन काल और आजादी के दौर से जुड़ा है नोएडा

नोएडा के दनकौर में द्रोणाचार्य तथा बिसरख में रावण के पिता विश्रवा ऋषि का प्राचीन मन्दिर आज भी मौजूद है। ग्रेटर नोएडा स्थित रामपुर जागीर गांव में स्वतन्त्रता संग्राम के समय 1919 में मैनपुरी षड्यंत्र करके फरार हुए राम प्रसाद 'बिस्मिल' भूमिगत होकर कुछ समय के लिये यहीं रहे थे। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे के किनारे स्थित नलगढ़ा गांव में भगत सिंह ने भूमिगत रहकर कई तरह के बम-परीक्षण किये थे। यहां आज भी एक बहुत बड़ा पत्थर सुरक्षित तरीके से रखा हुआ है।

मराठों और अंग्रेजों में हुआ था भीषण युद्ध

बता दें कि 11 सितम्बर 1803 को ब्रिटिश आर्मी व मराठों की सेना के बीच हुए भीषण निर्णायक युद्ध का स्मारक आज भी नोएडा के गोल्फ कोर्स कैंपस के अन्दर मौजूद है। जो ब्रिटिश जनरल गेरार्ड लेक की स्मृति को दर्शाया करता है। जिसे अंग्रेज वास्तुविद एफ लिस्मन की ओर से बनाया गया था। इसे जीतगढ़ स्तम्भ भी कहा जाता है। मराठों के वीरता कहानी बयां करता है यहां का स्मारक।

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