Vrishchik Sankranti 2022 Date, Puja Muhurat: जानें कब है वृश्चिक संक्रांति और क्या है पूजा मुहूर्त
Vrishchik Sankranti 2022 Date, Time, Puja Muhurat (वृश्चिक संक्रांति कब है 2022): हिंदू धर्म में वृश्चिक संक्रांति का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर 2-22 को है। सूर्यदेव 16 नवंबर की शाम 07 बजकर 29 मिनट पर वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे तथा 15 दिसंबर तक इस राशि में विराजमान रहेंगे। आइए जानते हैं वृश्चिक संक्रांति 2022 कब है, शुभ मुहूर्त, महत्व व पूजा विधि से लेकर संपूर्ण जानकारी।
वृश्चिक संक्रांति 2022 कब है, शुभ मुहूर्त और महत्व
- कल यानी 16 नवंबर 2022 को है वृश्चिक संक्रांति।
- सूर्यदेव तुला राशि से वृश्चिक राशि में करेंगे गोचर।
- इस दिन दान पुण्य का विशेष महत्व।
Vrishchik Sankranti 2022 Date, Time, Puja Muhurat (वृश्चिक संक्रांति कब है 2022): सनातन धर्म में संक्रांति तिथि का विशेष महत्व है, जब सूर्य देव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे संक्रांति Sankranti कहा जाता है। वहीं जब सूर्य तुला राशि Libra Zodiac से वृश्चिक राशि Scorpio Zodiac में गोचर करते हैं तो इसे वृश्चिक संक्रांति (Vrishchik Sankranti 2022) कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सालभर में कुल 12 संक्रांति आती हैं, प्रत्येक राशि में सूर्यदेव 30 दिनों तक विराजमान रहते हैं। इस बार वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर 2022, बुधवार को है। सूर्यदेव कल यानी 16 दिसंबर को शाम 07 बजकर 29 मिनट पर तुला राशि से वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार वृश्चिक संक्रांति छात्रों और शिक्षकों के लिए बहुत शुभ मानी (
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Vrishchik Sankranti 2022 Date, कब है वृश्चिक संक्रांति 2022हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर 2022, बुधवार को है। सूर्यदेव 16 नवंबर की शाम 07 बजकर 29 मिनट पर वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। तथा 15 दिसंबर तक इस राशि में विराजमान रहेंगे। बता दें इस बार वृश्चिक संक्रांति पर खास संयोग बन रहा है। आइए जानते हैं वृश्चिक संक्रांति का शुभ मुहूर्त।
Vrishchik Sankranti 2022 Date, Time And Puja Muhurat
- वृश्चिक संक्रांति 2022 - 16 नवंबर 2022
- वृश्चिक संक्रांति पुण्यकाल समय - 16 दिसंबर, दोपहर 12:11 से शाम 05 बजकर 36 मिनट पर
- वृश्चिक संक्रांति महा पुण्यकाल समय - दोपहर 03:48 से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक
- सूर्य राशि परिवर्तन - 16 नवंबर 2022, 07 बजकर 29 मिनट पर
- कुल अवधि - 5 घंटे 24 मिनट
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्यदेव के साथ श्रीहरि भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना का विधान है। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सभी कष्टों का निवारण होता है। ध्यान रहे इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य दिए बिना वृश्चिक संक्रांति की पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती है। साथ ही इस दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण भी किया जाता है। मान्यता है कि इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद सदैव अपने वंशजों पर बना रहता है। यहां देखें वृश्चिक संक्रांति की पूजा विधि।
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद तांबे के लोटे में काला तिल, चंदन, रोली, हल्दी और सिंदूर डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। भगवान सूर्य को फल, फूल अर्पित करें। इसके बाद धूप-दीप जलाकर भगवान सूर्य की आरती करें तथा सूर्यदेव के मंत्रों का जप करे। ध्यान रहे बिना मंत्रों का जप किए सूर्य देव की पूजा को संपूर्ण नहीं मानी जाती है। सूर्य देवतो को गुड़ का हलवा अत्यंत प्रिय है, इसके लिए गुण का हलवा बनाकर सूर्यदेव को अर्पित करें, इससे भगवान सूर्य का आशीर्वाद अपने भक्तों पर सदैव बना रहता है।
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