Kajari Teej Vrat Katha 2023: कजरी तीज के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, वैवाहिक जीवन में बनी रहेगी खुशहाली
Kajari Teej Vrat Katha In Hindi: हिंदू पंचांग अनुसार कजरी तीज व्रत हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इसे छोटी तीज भी कहते हैं। इसके 15 दिन बाद हरतालिका तीज (Hartalika Teej) मनाई जाती है। यहां जानिए कजरी तीज की व्रत कथा हिंदी में।
Kajari Teej Katha In Hindi
Kajari Teej Vrat Katha In Hindi: हिंदू पंचांग अनुसार आज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है इस दिन कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और संतान के सुख जीवन के लिए व्रत रखती हैं। कजरी तीज को कजली तीज (Kajli Teej), कजलिया तीज और सातुड़ी तीज (Satudi Teej Katha) भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और नींमड़ी माता की पूजा की जाती है। लेकिन इसी के साथ इस दिन व्रत कथा पढ़ना भी जरूरी है जिसके बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है। यहां देखें कजरी तीज की व्रत कथा।
कजरी तीज व्रत कथा (Kajari Teej Vrat Katha 2023)
एक गांव में ब्राह्मण रहता था। जिसकी पत्नी भाद्रपद-माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का व्रत रखती थी। उसने अपने पति से कहा की आज मेरा तीज का व्रत है। कही से चने का सत्तू ले आओ। ब्राह्मण ने बोला मैं सत्तू कहां से लेकर आऊं क्योंकि मेरे पास तो धन ही नहीं है। इस पर ब्राह्मणी बोली कि आप चाहे चोरी करो या डाका डालो, लेकिन मेरे लिए कैसे भी करके सत्तू लेकर आओ। रात का समय था, ब्राह्मण घर से सत्तू लेने के लिए साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने वहां से चने की दाल, घी, शक्कर लेकर सत्तू बनाया और धीरे से लेकर जाने लगा। इतने में दुकान के नौकरों की नींद खुल गई और वह ब्राह्मण को चोर-चोर कहकर चिल्लाने लगे। तब शोर सुनकर साहुकार आ गया और उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया।
ब्राह्मण ने कहा मै चोर नहीं हूं। मै एक ब्राह्मण हूं। मेरी पत्नी ने तीज का व्रत रखा है, इसलिए मैंने आपकी दुकान से सत्तू बनाकर लिया है। इसके अलावा मैंने कुछ नहीं लिया है। तब साहुकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली उसके पास सिर्फ सवा किलो सत्तू के अलावा कुछ भी नहीं था। वहीं चांद निकल आया था और ब्राह्मणी अपने पति का इंतजार कर रही थी।
तब साहुकार ने ब्राह्मण से कहा कि मैं तुम्हारी पत्नी को आज से अपनी बहन मानता हूं और उसने ब्राह्मण को सत्तू और कुछ गहने, पैसे, मेहंदी, धन देकर सम्मान के साथ विदा किया। इसके बाद ब्राह्मणी ने सबके साथ मिलकर तीज माता की पूजा की। कहते हैं तभी से जो कजरी माता का व्रत रखता है उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही भगवान शिव के आशीर्वाद की भी प्राप्ति हो सकती है।
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