दूध पीते ही क्यों बच्चों को आने लगती है नींद, जान लें इसके पीछे की असल वजह

बच्चे जितना ज्यादा सोएं उनकी सेहत के लिए उतना भी फायदेमंद माना जाता है। लेकिन क्या कभी आपने नोटिस किया है कि बच्चे दूध पीते ही क्यों सो जाते हैं। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे की वजह।

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आपने अक्सर देखा होगा कि बच्चे जब बहुत ज्यादा रोते हैं तो उन्हें या तो भूख लगी होती है या फिर बहुत तेज नींद आ रही होती है। बच्चों में भूख और नींद का बहुत गहरा कनेक्शन होता है। इसलिए आपने नोटिस भी किया होगा कि बच्चे दूध पीते ही तुरंत सो जाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है कि बच्चे दूध पीते ही क्यों सो जाते हैं। यहां इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि दूध पीने के बाद बच्चों को क्यों नींद आने लगती है।

ट्रिप्टोफैन का प्रभाव

दूध में ट्रिप्टोफैन नामक एक अमीनो एसिड पाया जाता है। यह अमीनो एसिड शरीर में सेरोटोनिन और फिर मेलाटोनिन नामक हार्मोन बनाने में मदद करता है। मेलाटोनिन को "नींद का हार्मोन" भी कहा जाता है, क्योंकि यह दिमाग को शांत करता है और नींद लाने में सहायक होता है। बच्चों में यह प्रक्रिया तेजी से होती है, जिससे उन्हें तुरंत नींद आने लगती है।

पेट भरने का सुकून

बच्चों का पेट बहुत छोटा होता है और दूध पीते ही उनका पेट भर जाता है। पेट भर जाने के बाद शरीर एक आरामदायक स्थिति में चला जाता है। यह संतुष्टि का एहसास बच्चे को नींद की ओर ले जाता है, ठीक वैसे ही जैसे बड़ों को दोपहर में खाना खाने के बाद महसूस होता है।

चूसने की प्रक्रिया से आराम

चाहे मां का दूध पीते समय या बोतल से दूध पीते समय, चूसने की क्रिया बच्चे के लिए सिर्फ खाने का जरिया नहीं, बल्कि एक आरामदायक प्रक्रिया भी होती है। चूसने से बच्चे के मुंह और चेहरे की मांसपेशियों को आराम मिलता है, जो उनके नर्वस सिस्टम को शांत करता है और उन्हें धीरे-धीरे नींद आ जाती है।

मां के संपर्क और सुरक्षा का एहसास

जब बच्चा मां का दूध पीता है, तो वह मां की गोद में होता है, मां की धड़कनों को सुनता है, और त्वचा का स्पर्श महसूस करता है। यह सब बच्चे को सुरक्षित और आरामदायक महसूस कराता है, जिससे उन्हें मानसिक शांति मिलती है और वे आसानी से सो जाते हैं।

शारीरिक थकान

दूध पीना, खासकर छोटे बच्चों के लिए, एक मेहनत भरी प्रक्रिया होती है। चूसने में ऊर्जा लगती है और मुंह की मांसपेशियों में हलचल होती है, जिससे बच्चा थक जाता है और तुरंत सो जाता है।

नैचुरल स्लीप टॉनिक

शिशुओं में भूख और नींद का एक नेचुरल चक्र होता है। दूध पीना उनकी "बॉडी क्लॉक" के लिए एक नींद का ट्रिगर होता है। इसी वजह से कई डॉक्टर दूध को छोटे बच्चों के लिए एक तरह का नेचुरल "स्लीप टॉनिक" मानते हैं। मां के दूध में ऑक्सीटोसिन और प्रोलैक्टिन जैसे हार्मोन भी होते हैं जो बच्चे को शांत करने में मदद करते हैं।

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Ritu raj author

शुरुआती शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर से हुई। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए नोएडा आय...और देखें

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