अनुच्छेद 370 पर 'सुप्रीम' सुनवाई: बोले अब्दुल्ला- J&K में कुछ न बदला, बताएं हमें कौन सा हक मिल गया?

Omar Abdullah on Article 370: सरकार के हलफनामे (हालात बदलने और टूरिस्ट आने से जुड़े वाले) से संबंधित सवाल पर सख्त तेवर अपनाते हुए वह बोले- आप मुझे बताइए कि हमें कौन सा हक मिल गया? वहां कुछ खास नहीं बदला। जो भी दावे किए गए, वे गलत हैं।

Omar Abdullah on 370

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Omar Abdullah on Article 370: नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता उमर अब्दुल्ला ने दावा किया है कि जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद वहां कुछ भी नहीं बदला है। अगर कुछ बदला है तो इस बात की जानकारी उन्हें दी जानी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लोग बुजदिल हैं और चुनावी राजनीति करते हैं। वे भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के पीछे छिप जाते हैं। अगर वे चुनावी मैदान में आएं तो उन्हें जवाब दिया जाए।

ये बातें अब्दुल्ला ने देश की राजधानी दिल्ली में बुधवार (दो जुलाई, 2023) को मीडिया से कहीं। सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़ी सुनवाई के मसले पर वह बोले- हमने सीजेआई और उनके सहयोगी जज को यह समझाने का प्रयास किया कि जो कुछ पांच अगस्त, 2019 को हुआ उस पर हमारा परिप्रेक्ष्य क्या है। हमने इसके साथ ही अदालत को यह भी बताना चाहा कि हम उससे क्या चाह रहे है। सीजेआई और उनके सहयोगी जज ने भी कई सारे सवाल उठाए...यह सब संविधान की बात है। देश और जम्मू और कश्मीर के संविधान की बात है।

उन्होंने आगे कहा, "पांच अगस्त, 2019 को जो कुछ भी हुआ, वह देश के संविधान और जम्मू-कश्मीर के खिलाफ था। हम ऐसी उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मसले को हमारे नजरिए से भी देखेगा...हम संविधान की बात कर रहे हैं। न कि राजनीति की...यह जम्मू और कश्मीर के लिए बड़ा मसला है।"

बकौल अब्दुल्ला, "बीजेपी का काम राजनीति करना है। वे अगर मैदान में उतरने की हिम्मत करें तो हम उन्हें जवाब दें। वे बुजदिलों की तरह चुनाव आयोग (ईसी) के पीछे क्यों छिपे हैं। बीजेपी वाले आपको बुलाकर बड़े-बड़े बयान देते हैं और बड़े इल्जाम लगाते हैं, पर लोगों का सामना करने के लिए तैयार नहीं हैं। यह तो बुजदिली है।"

"370 अब कल की बात हो गई और अब कुछ भी कर लीजिए यह वापस नहीं आने वाला...?" इस सवाल पर अब्दुल्ला ने कहा- यह मामला तो सुप्रीम कोर्ट में है न। हम जब यह दावा नहीं कर रहे कि जज क्या फैसला करेंगे तो फिर बीजेपी वाले यह दावा कैसे कर सकते हैं। यह तो न्यायपालिका की बेइज्जती है और इस चीज को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह कंटेप्ट ऑफ कोर्ट है। कोर्ट को जजमेंट देने दीजिए। जो फैसला आएगा, उससे कौन इन्कार कर सकता है।

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अभिषेक गुप्ता author

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