टेक्निक गलत हो तो देश बर्बादी के रास्ते पर, क्या कांग्रेस का तंज कर जाता है बैकफायर
क्या कांग्रेस के नेता खुद ब खुद बीजेपी को हमलावर होने का मौका देते हैं। तेलंगाना में इस समय भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी अपने सफर को तय कर रहे हैं। उन्होंने एक बच्चे को कराटे के गुर सिखाए तो कांग्रेस ने उसे बीजेपी की गलत टेक्निक से जोड़ा।
तेलंगाना में हैं राहुल गांधी(सौजन्य- Congress Twitter Handle)
भारत जोड़ो यात्रा इस समय तेलंगाना में है। कांग्रेस का कहना है कि जिस तरह से इस यात्रा को मिल रहे समर्थन से एक बात तो साफ है कि जनता बदलाव का मन बना चुकी है। कांग्रेस के नेता अलग अलग तरह से बीजेपी सरकारों खासतौर से केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। तेलंगाना में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अलग अलग क्षेत्रों की शख्सियतें हिस्सा बन रही हैं जिसे लेकर पार्टी उत्साहित है। राहुल गांधी की इस यात्रा में उनके कई रंग भी दिखाई दिए हैं। मसलन समाज के निचले पैदान के लोगों से जमीन पर बैठ कर मुलाकात तो दौड़ लगाना या बच्चों के साथ दौड़ना। इसी कड़ी में एक तस्वीर आई जिसमें वो एक बच्चे को कराटे का दांवपेंच सिखा रहे हैं जिसे कांग्रेस ने कैप्शन दिया है कि अगर टेक्निक गलत हो तो देश तबाही के रास्ते पर चला जाता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या कांग्रेस पार्टी ने खुद बीजेपी को हमलावर होने का मौका दे दिया है।
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के बयान
"BJP-RSS का लक्ष्य है कि देश के युवा, किसान, मज़दूर और कर्मचारी डर जाएं, ताकि इस डर का फायदा उठाकर वह हिन्दुस्तान को अपने चुने हुए 'मित्रों' के हवाले कर दें"
हम अपने दर्द की शिद्दत को कम नहीं करते, जरा सी बात पर आंखों को नम नहीं करते। बने बनाए रास्तों पर हम नहीं चलते, तमाम लोग जो करते हैं वो हम नहीं करते।
कंधों पर बैठाकर निहारूँगा तुम्हें...तुम मान हो, भविष्य की पहचान हो बेटी।
फर्क साफ है...कांग्रेस यानी हर हाथ रोजगार, भाजपा यानी हर कोई बेरोजगार
भारत निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संस्थान है। ये निष्पक्ष चुनाव कराता है। गुजरात में चुनावी तारीखों के ऐलान से पहले की कांग्रेस की टिप्पणी। हालांकि बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा कि हार का डर।
क्या है एक्सपर्ट राय
अब सवाल यह है कि कांग्रेस की तरफ से जो कैप्शन दिये जा रहे हैं क्या वो पार्टी के लिए मददगार साबित होंगे। क्या कांग्रेस के लोग खुद ब खुद पीएम मोदी को तंज कसने और निशाना साधने का मौका तो नहीं दे रहे। इस विषय पर जानकारो की राय बंटी हुई है। जानकार कहते हैं कि राजनीति में तंज, प्रतीक और बयानबाजी का अपना महत्व होता है। सियासी दल खासतौर पर विपक्षी दलों के पास और विकल्प ही क्या होता है। वो सीधे तौर पर जनता की मदद नहीं कर सकते हैं। लेकिन सरकार को दबाव में लाने की कोशिश कर सकते हैं। सवाल यह है कि जब आप किसी विषय पर अपनी बात रखते हैं तो क्या आंकड़े आपके पक्ष में बोलते हैं। क्या उसके पीछे कोई तार्किक आधार होता है। मसलन जब कांग्रेस नेता बहन बेटियों के सुरक्षा की बात करते हैं तो राजस्थान के डराने वाले आंकड़े सामने आ जाते हैं। जब भ्रष्टाचार की बात करते हैं कि तो यूपीए 2 के दौरान तरह तरह के घोटाले जेहन में आने लगते हैं।
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