Chandrayaan-3: ट्वीट कर फंसीं ब्रिटिश पत्रकार, सोशल मीडिया पर उठी भारत से 45 ट्रिलियन राशि लूटने की बात
इस साल मार्च में द गार्जियन में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, भारत को ब्रिटेन से सहायता 2015 में बंद कर दी गई थी क्योंकि भारत ने कहा था कि वह ऐसा नहीं चाहता है।
Chandrayaan-3: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी का ध्यान भारत और इसरो की ओर खींचा है। कई देशों ने इसरो वैज्ञानिकों को वह उपलब्धि हासिल करने के लिए बधाई दी जिसे अब तक असंभव माना जाता था। लेकिन सोशल मीडिया पर एक पत्रकार की टिप्पणी से ब्रिटेन द्वारा भारत को भेजी जाने वाली सहायता को लेकर बहस शुरू हो गई है। सोफी कोरकोरन ने ट्विटर (एक्स) पर एक पोस्ट में कहा कि ब्रिटेन को भारत को मदद नहीं भेजनी चाहिए क्योंकि उसके पास एक एडवांस अंतरिक्ष कार्यक्रम है। उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि हमें अपना पैसा वापस मिल जाए।
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भारत से लूटा गया पैसा वापस करो...
यह पोस्ट जल्द ही वायरल होने लगा और भारत के यूजर्स ने भी जवाब देना शुरू कर दिया। यूजर्स ने तुरंत कहा कि ब्रिटेन को भी भारत से लूटा गया पैसा वापस करना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि 45 ट्रिलियन डॉलर राशि लूटी गई है। यह आंकड़ा पहली बार अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक द्वारा किए गए एक शोध और कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित किए जाने के बाद सुर्खियों में आया, जिसमें दावा किया गया था कि 1765 से 1938 की अवधि के दौरान ब्रिटेन ने भारत से लगभग 45 ट्रिलियन डॉलर लेकर गया।
यह चौंका देने वाली रकम है। यह राशि आज ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से 15 गुना अधिक है। पटनायक ने कर और व्यापार पर लगभग दो शताब्दियों के विस्तृत आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद इस राशि की गणना की।
भारत को ब्रिटेन से सहायता 2015 में बंद
इस साल मार्च में द गार्जियन में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, भारत को ब्रिटेन से सहायता 2015 में बंद कर दी गई थी क्योंकि भारत ने कहा था कि वह ऐसा नहीं चाहता है। लेकिन सहायता के लिए स्वतंत्र आयोग की समीक्षा में कहा गया कि लगभग 2.3 बिलियन 2016 से 2021 के बीच यूके से पाउंड (23,000 करोड़ रुपए) की मदद भारत को मिली। इसमें सरकार द्वारा संचालित ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट द्वारा मुख्य रूप से छोटी कंपनियों को कर्ज का प्रावधान शामिल था।
आनंद महिंद्रा ने दिया करारा जवाब
वहीं, महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने गुरुवार को बीबीसी एंकर के उस सवाल का जवाब दिया कि क्या भारत को वास्तव में चंद्रयान-3 अंतरिक्ष कार्यक्रम पर पैसा खर्च करना चाहिए। प्रेजेंटर ने तर्क दिया था कि भारत की अधिकांश आबादी गरीबी में रहती है, 700 मिलियन से अधिक भारतीयों के पास शौचालय तक पहुंच नहीं है।
बीबीसी एंकर के वीडियो वाले ट्वीट का जवाब देते हुए महिंद्रा ने लिखा, वास्तव में?? सच्चाई यह है कि बड़े पैमाने पर हमारी गरीबी दशकों के औपनिवेशिक शासन का परिणाम थी जिसने पूरे उपमहाद्वीप की संपत्ति को व्यवस्थित रूप से लूटा। फिर भी हमसे जो सबसे मूल्यवान संपत्ति लूटी गई वह कोहिनूर हीरा नहीं बल्कि हमारा गौरव और अपनी क्षमताओं पर विश्वास था।
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