'ऑरेंज कलर' फिर भी कहते हैं Black Box...आखिर ऐसा क्या इसमें जो विमान हादसे के खोलता है 'राज'

Black Box: दुनिया भर में कहीं भी प्लेन क्रैश की खबर सामने आती है तो एक शब्द जरूर सामने आता है वो है ब्लैक बॉक्स, क्या आपको पता है कि ये कैसे बता पाता है कि विमान दुर्घटना के कारण क्या थे, जानें ये सब...

How Black Box Working

जानें ब्लैक बॉक्स कैसा काम करता है?

How Black Box Working: अहमदाबाद विमान हादसे को लेकर सबके मन में एक ही सवाल आ रहा है कि आखिर ये इतना बड़ा हादसा हो कैसे गया अब जबकि इसका ब्लैक बॉक्स मिल गया है तो निगाहें इसके माध्यम से होने वाले खुलासे पर है कि आखिर क्या कारण रहे कि इतने लोगों की जान पलक झपकते ही सेकेंडों में चली गई, Black Box कैसे काम करता है क्या-क्या उसके अंदर होता है जानें ये सब...

बता दें कि ब्लैक बॉक्स, किसी भी विमान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, इसमें फ्लाइट का पूरा डेटा रिकॉर्ड किया जाता है इसलिए किसी भी विमान हादसे के बाद इसकी तलाश सबसे पहले की जाती है।

दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में कारणों की होती है पहचान

ब्लैक बॉक्स प्लेन में उड़ान के दौरान विभिन्न सूचनाओं को एकत्र करने वाला उपकरण है। इसमें विमान से जुड़ी कई जानकारियां, जैसे कि विमान की गति, ऊंचाई, इंजन तथा अन्य यंत्रों की ध्वनी, यात्रियों और पायलटों की बातचीत आदि ये सब दर्ज होती रहती है। इन सूचनाओं के विश्लेषण द्वारा विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में दुर्घटना के कारणों की पहचान की जाती है।

Black Box के अंदर आखिर होता क्या है?

ब्लैक बॉक्स में कॉकपिट वायस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) होते हैं ये विमान के भीतर सीसीटीवी सिस्टम की तरह काम करता है, सीवीआर पायलट की आवाज, इंजन की आवाज और रेडियो ट्रांसमिशन को रिकार्ड करता है जिससे उस हादसे के वक्त के हालात पता रहें वहीं एफडीआर विमान की ऊंचाई, हवा की गति और दिशा की जानकारी को एकत्र करता है।

शुरू में इसे 'Ref Egg' पुकारा गया था

1954 में ब्लैक बॉक्स का पहला प्रारूप हवाई जहाज में लगाया गया। समय-समय पर इसकी बनावट में बदलाव आते रहे हैं। शुरू में इसे 'रेड एग' पुकारा गया था, जो रंग की दृष्टि से उसका अधिक उपयुक्त नाम था।

असल में यह ऑरेंज कलर का होता है...

ये जानना अहम है कि इस डिवाइस को ब्लैक बॉक्स क्यों कहा जाता है और आखिर इस डिवाइस के अंदर होता क्या है? तो बता दें कि भले ही इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाता हो पर असल में यह ऑरेंज कलर का होता है, ऐसा इसलिए कि मलबे में आसानी से मिल जाए।

डिजाइन ऐसा कि हर तरीक के दबाव बर्दाश्त कर ले

ब्लैक बॉक्स टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील जैसी मजबूत सामग्री से बना होता है, वर्तमान समय में प्रयुक्त ब्लैक बॉक्स के अंदर वायुयान में होने वाली बातचीत, एटीसी और क्रू के सदस्यों के बीच हुई बातचीत और परिवेश की ध्वनियां रिकॉर्ड होती रहती हैं। यह 270 नॉट्स तक के आघात वेग और 1 घंटे तक 1100 डिग्री सेल्सियस तापमान को भी सह सकता है। यही वजह है कि किसी भी विमान हादसे में विमान में आग लगने और उसके दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बावजूद इसे नुकसान नहीं पहुंचता। उच्च दबाब और ताप के बावजूद उसमें मौजूद जानकारी सुरक्षित रहती है। यह समुंद्र में 14000 फीट तक गिरने के बावजूद भी सिग्नल भेजते रहता हैं। इसे सुरक्षित रखने के लिए सामान्यतः वायुयान के पिछले हिस्से में रखा जाता है, क्योंकि अगले हिस्से को 'क्रश जोन' माना जाता है।

लगातार 90 दिनों तक निकलने वाली तरंगें

इसकी मजबूत बॉडी स्टील या टाइटेनियम की बनी होती है। यह भीतर से पूरी तरह तापरोधी होता है। इससे एक खास तरह की प्रकाश तरंगें निकलती रहती है। लगातार 90 दिनों तक निकलने वाली इन तरंगों के कारण दुर्घटना के बाद इसे ढूंढने में मदद मिलती है।

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रवि वैश्य author

मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनिया' या कहें 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब...और देखें

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