Explained: क्या है मिशन समुद्रयान जिसकी तैयारी में जुटा है भारत, चंद्रयान-3 की तरह रचेगा इतिहास
मिशन समुद्रयान में तीन वैज्ञानिक गहरे समुद्र के संसाधनों और जैव विविधता मूल्यांकन का अध्ययन करने के लिए समुद्र की गहराई में जा सकेंगे।
Updated Sep 13, 2023 | 02:02 PM IST

भारत का मिशन समुद्रयान तैयार
Samudrayaan Mission: चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान -3 की सफल लैंडिंग और सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल 1 मिशन के बाद भारत अपने पहले मानवयुक्त महासागर मिशन 'समुद्रयान' की तैयारी में जुटा हुआ है। इसमें 6 किमी. समुद्र की गहराई में तीन वैज्ञानिकों को भेजने की योजना बनाई गई है। सोमवार को केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने मानवयुक्त पनडुब्बी 'मत्स्य 6000' का निरीक्षण किया, जो मिशन 'समुद्रयान' के हिस्से के रूप में महासागर की गहराई का पता लगाएगी। इस पनडुब्बी का विकास चेन्नई में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान में किया जा रहा है। इसके चालू हो जाने पर तीन वैज्ञानिक गहरे समुद्र के संसाधनों और जैव विविधता मूल्यांकन का अध्ययन करने के लिए समुद्र की गहराई में जा सकेंगे।
भारत का समुद्रयान मिशन क्या है?
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पहले मानवयुक्त पनडुब्बी 'मत्स्य 6000' को कीमती धातुओं और खनिजों जैसे गहरे समुद्र के संसाधनों का अध्ययन करने के लिए 6 किमी (6000 मीटर) पानी के नीचे भेजने के लिए डिजाइन किया जा रहा है। एनआईओटी चेन्नई द्वारा विकसित किया जा रहा समुद्रयान मिशन का समुद्री जहाज मत्स्य 6000 अगले साल बंगाल की खाड़ी में डुबकी लगाएगा।
2024 की शुरुआत में बंगाल की खाड़ी में परीक्षण
'मत्स्य 6000' नामक सबमर्सिबल का 2024 की शुरुआत में बंगाल की खाड़ी में परीक्षण किया जाएगा। वैज्ञानिकों की टीम टाइटन सबमर्सिबल के विस्फोट के बाद सावधानी से डिजाइन पर गौर कर रही है, जो 2023 अप्रैल में उत्तरी अटलांटिक महासागर में पर्यटकों को टाइटैनिक के मलबे में ले गई थी।
संकट के दौरान 96 घंटे तक चलेगी
मिशन को नियमित संचालन के तहत 12 घंटे और संकट के दौरान 96 घंटे तक चलने के लिए डिजाइन किया गया है। समुद्रयान 3 वैज्ञानिकों को निकल, कोबाल्ट और मैंगनीज जैसे कीमती खनिजों और धातुओं की तलाश के लिए समुद्र में ले जाएगा। दो यात्री औंधे मुंह लेटे होंगे और एक टाइटेनियम मिश्र धातु ऑपरेटर जो पानी के दबाव को झेलने में सक्षम होगा, मत्स्य 6000 सबमर्सिबल पर सवार होगा।
अब तक सिर्फ पांच देश ही कामयाब
6000 मीटर पर जहां दबाव समुद्र तल से 600 गुना अधिक होगा, तीनों यात्री ध्वनिक तरंगों का उपयोग करके शोधकर्ताओं के साथ संवाद कर सकेंगे। मिशन गहरे समुद्र के रहस्यों को उजागर करेगा और सफल होने पर भारत को अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन के साथ विशिष्ट क्लब में शामिल कर देगा। अभी तक इन्हीं पांच देशों ने समुद्र गतिविधियों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी और वाहन विकसित करने में सफलता हासिल की है।
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