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क्या PAK-अफगानिस्तान के बीच सुलग रही आग को बुझा पाएगा कतर? मध्यस्थता की पैरवी करता रहा ये खाड़ी देश

Pakistan Afghanistan Conflict: अफगानिस्तान और पाकिस्तानी के बीच जारी संघर्ष पर लगाम लगाने के लिए कतर की राजधानी दोहा में बातचीत चल रही। हालांकि, दोहा के लिए यह काम एक टेढ़ी खीर है। एक तरफ जहां सीजफायर की बातचीत चल रही है। वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना लगातार अफगानिस्तान में बमबारी कर रही है।

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पाकिस्तान और तालिबान के बीच दोहा में चल रही युद्धविराम की वार्ता।(फोटो सोर्स: AP)

Pakistan Afghanistan Conflict: बलूचिस्तान, सिंध से लेकर खैबर पख्तूनख्वा तक... पाकिस्तान के हर प्रांत से शहबाज सरकार के खिलाफ विरोध की आवाज उठ रही है। तालिबान के लड़ाकों (Tehreek E Taliban Pakistan) ने पाकिस्तानी सेना के नाक में दम कर रखा है।

काबुल हमले के बाद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के लड़ाकों ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।इसके बाद अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में जबदस्ती गोलीबारी की। पाकिस्तान सेना की कई चौकियों पर कब्जा तक जमा लिया।

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच भीषण संघर्ष जारी।(फोटो सोर्स: एपी)

एक सप्ताह तक जारी खून खराबे के बाद दोनों देशों ने 48 घंटों के लिए संघर्ष विराम का फैसला किया, लेकिन शुक्रवार देर रात अफगानिस्तान में आतंकी ठिकानों पर ताजा हवाई हमले शुरू कर दिए। दोनों देशों के बीच जारी भीषण संघर्ष के बीच दोहा एक बार फिर मध्यस्थता की भूमिका के लिए आगे आया है।

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दोहा में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच चल रही वार्ता।(फोटो सोर्स: AP)

दोहा में बातचीत का दौर जारी

पाकिस्तान का उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल दोहा पहुंच गया है ताकि अफगानिस्तान की इस्लामिक अमीरात के साथ वार्ता शुरू की जा सके। इस प्रतिनिधिमंडल में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और खुफिया एजेंसी के प्रमुख आसिम मलिक शामिल हैं।

इसी बीच, काबुल से अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब मुजाहिद और खुफिया विभाग के प्रमुख अब्दुल हक वसीक के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल दोहा पहुंचने वाला है। इस बैठक का मकसद दोनों देशों के बीच के तनाव को कम करना है।

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कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी की फाइल फोटो।(फोटो सोर्स: AP)

सवाल ये है कि चाहे इजरायल हमास युद्ध हो या इजरायल-यूक्रेन की जंग, हर क्षेत्रीय संघर्षों में मध्यस्थता कराने के लिए कतर अनोखा रोल क्यों निभाता रहा है? दरअसल, एक्सपर्ट्स का कहना है कि कतर पक्ष नहीं चुनता, यह अवसर चुनता है। कतर की संपत्ति और प्राकृतिक गैस भंडार हमेशा से दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। कतर अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल वैश्विक स्तर पर निवेश करने के लिए करता है।

कतर मध्य पूर्व में सबसे बड़े अमेरिकी सैन्य अड्डे (अल उदीद एयर बेस) का घर तो है ही, साथ ही उसने एक स्वतंत्र विदेश नीति भी अपनाई है। कतर की विदेश नीति का उदाहरण इस बात से लगाया जा सकता है कि वो अमेरिका और ईरान दोनों देशों से दोस्ताना संबंध रखता है।

कतर ने कब-कब निभाई मध्यस्थता की भूमिका?

इजराइल-हमास संघर्ष (2023-2025): कतर ने युद्ध विराम कराने और मानवीय सहायता एवं बंधक वार्ता को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

अफगानिस्तान: तालिबान के कब्जे के बाद, कतर पश्चिमी देशों के लिए नई सरकार के साथ जुड़ने का मुख्य कूटनीतिक माध्यम बन गया, जहां दूतावासों की स्थापना की गई तथा निकासी और सहायता प्रयासों में सहायता की गई।

चाड-सूडान शांति प्रयास: कतर ने मध्य अफ्रीका के संघर्ष ग्रस्त क्षेत्रों में स्थिरता लाने के उद्देश्य से वार्ता की मेजबानी की ।

2008 में कतर ने लेबनान में 18 महीने से चल रहे राजनीतिक संकट को समाप्त करने में मदद की।

2012 में इसने निर्वासित सीरियाई विपक्ष की मेजबानी की।

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आसान नहीं पाकिस्तान-अफगानिस्तान की लड़ाई रुकवा पाना

अफगान सूत्रों ने शनिवार को यह दावा किया कि पाकिस्तानी सेना ने पिछले चार वर्षों में 1,200 से अधिक बार अफगानिस्तान की सीमा और 710 बार उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। भले ही कतर अब तक कई संघर्षों को सुलझाने में कामयाब रहा है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच सीजफायर को अंजाम दे पाना एक टेढ़ी खीर है।

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अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी और पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर की फाइल फोटो।AP

एक तरफ जहां पाकिस्तान दोहा में बातचीत की पैरवी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर उसकी सेना अफगानिस्तान में बमबारी कर रही है। दोहा में चल रही ये वार्ता पाकिस्तान की सेनी की कार्रवाई पर निर्भर करेगी।

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Piyush Kumar
Piyush Kumar Author

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